नई दिल्ली. बीते हफ्ते शेयर बाजार की चाल ने देश की दिग्गज कंपनियों के मार्केट कैप में खासी हलचल पैदा कर दी. सेंसेक्स की टॉप 10 कंपनियों में से 6 के बाजार मूल्यांकन में कुल मिलाकर ₹78,166 करोड़ की गिरावट दर्ज की गई. बीएसई सेंसेक्स जहां 609 अंक फिसल गया, वहीं एनएसई निफ्टी ने 166 अंकों की गिरावट देखी. यह रुख बताता है कि निवेशक इन दिनों सतर्क हैं, जिसकी वजह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, सेक्टोरल दबाव और ब्याज दरों को लेकर बनी चिंताएं हो सकती हैं. हालांकि, चार कंपनियों—एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस और आईटीसी—ने इस रुख के उलट अच्छा प्रदर्शन किया और अपनी वैल्यू में इजाफा किया.
सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ, जिसकी मार्केट वैल्यू ₹40,800 करोड़ कम हो गई. हालांकि वह अब भी देश की सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है. तेल, गैस, टेलिकॉम और रिटेल सेक्टर में फैला इसका कारोबार वैश्विक तेल कीमतों, ब्याज दरों और हालिया मुनाफावसूली के चलते दबाव में आ सकता है. Jio और रिटेल सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा और रेगुलेटरी तनाव भी निवेशकों की सोच को प्रभावित कर सकते हैं.
टीसीएस की मार्केट वैल्यू ₹17,710 करोड़ घटी, जो साफ तौर पर आईटी सेक्टर पर मंडराते बादलों की ओर इशारा करती है. अमेरिका और यूरोप में खर्च घटने और ऑपरेशनल लागत बढ़ने के चलते निवेशकों का भरोसा डगमगाया है. इसी तरह, इन्फोसिस ने भी ₹10,488 करोड़ गंवाए. अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर निर्भरता और संभावित मंदी की आशंका इसके पीछे वजह हो सकती है.
एफएमसीजी की दिग्गज कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप ₹5,462 करोड़ घटा, जो इनपुट लागत और उपभोक्ता खर्च में सुस्ती की वजह से हो सकता है. आईसीआईसीआई बैंक और एसबीआई ने भी क्रमशः ₹2,454 करोड़ और ₹1,249 करोड़ का नुकसान दर्ज किया. ब्याज दरों में बढ़ोतरी और कर्ज की मांग में संभावित गिरावट इन बैंकों पर असर डाल सकती है.
हालांकि, हर तस्वीर के दो पहलू होते हैं. इस गिरावट के बीच कुछ कंपनियों ने निवेशकों को राहत दी. सबसे ऊपर नाम रहा भारती एयरटेल का, जिसने ₹10,121 करोड़ का इजाफा दर्ज किया. इसकी वजह रही 5G रोलआउट में तेजी, टैरिफ बढ़ोतरी और डिजिटल सेगमेंट में मजबूती. निवेशकों को कंपनी की मजबूत कैश फ्लो और कर्ज घटाने की दिशा में उठाए कदम भी पसंद आए.
बजाज फाइनेंस ने ₹4,548 करोड़ का फायदा कमाया, जो इसकी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, मजबूत कलेक्शन और क्रेडिट कंट्रोल की रणनीति को दर्शाता है. आईटीसी ने भी अपनी विविधता और एफएमसीजी सेगमेंट में ग्रोथ के दम पर ₹875 करोड़ की बढ़त हासिल की. वहीं, एचडीएफसी बैंक ने ₹399 करोड़ की बढ़त के साथ स्थिर प्रदर्शन जारी रखा, जिसका श्रेय रिटेल लोन ग्रोथ और एचडीएफसी लिमिटेड के साथ मर्जर को जाता है.
क्या है गिरावट की वजह
बाजार की इस चाल के पीछे कई व्यापक कारण हैं. अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं को लेकर बढ़ती चिंता, वैश्विक मंदी की आशंका और केंद्रीय बैंकों की सख्त मौद्रिक नीतियां निवेशकों की सोच पर असर डाल रही हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई हैं, जिससे कर्ज लेना महंगा हुआ है और कंपनियों की कमाई पर दबाव बढ़ सकता है. इसके साथ ही, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और एफआईआई आउटफ्लो ने भी बाजार को कमजोर किया.
इस सबके बीच राहत की बात यह रही कि कुछ सेक्टर, खासतौर पर टेलीकॉम और कंज्यूमर फाइनेंस, ने मजबूत घरेलू मांग और रणनीतिक फैसलों के दम पर अच्छा प्रदर्शन किया. इसका उदाहरण भारती एयरटेल और बजाज फाइनेंस हैं.
हफ्ते के अंत तक देश की टॉप 10 कंपनियों की रैंकिंग इस प्रकार रहीरिलायंस इंडस्ट्रीज (₹19.30 लाख करोड़), एचडीएफसी बैंक, टीसीएस, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, इन्फोसिस, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी.
इन आंकड़ों से साफ है कि मौजूदा समय में बाजार बेहद संवेदनशील है और हर सेक्टर अपनी-अपनी चुनौती से जूझ रहा है. आने वाले हफ्तों में निवेशकों की नजरें रिजर्व बैंक की नीतियों, कंपनियों के तिमाही नतीजों और वैश्विक संकेतों पर टिकी रहेंगी. अगर ब्याज दरों में ठहराव के संकेत मिलते हैं या वैश्विक बाजारों में स्थिरता आती है, तो भारतीय बाजार भी फिर से रफ्तार पकड़ सकता है.
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