रांची: झारखंड की राजधानी रांची के चुटीया स्थित सखी मंडल की महिलाओं ने अपनी तकदीर खुद बदली है. ये सभी महिलाएं सिलाई में माहिर हैं और घर से समय निकालकर एक जगह इकट्ठा होती हैं और सिलाई-बुनाई का काम करती हैं. खासतौर पर ये महिलाएं लाह की खेती में उपयोग होने वाले झोले और नेट की बुनाई करती हैं, जो पूरे झारखंड में सप्लाई होती है.
महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार
आज ये महिलाएं खुद पर निर्भर हैं और अपने घर को चला रही हैं. इस सखी मंडल की महिला सीमा बताती हैं कि मेरे पति टाइल्स का सीजनल काम करते हैं, कभी काम मिलता है, कभी नहीं. पहले ₹100 मांगने पर गाली पड़ती थी, लेकिन आज वह महीने के आराम से 15000 रुपये कमा लेती हैं, जिससे घर का राशन-पानी सब चल जाता है.
लाह की खेती के लिए नेट करती हैं तैयार
महिला पुष्पा बताती हैं कि हम लाह की खेती के लिए नेट तैयार करते हैं, जो झारखंड और आसपास के राज्यों में होती है. यह नेट सिर्फ हम ही बनाते हैं और पूरे झारखंड में यह कहीं और नहीं मिलेगी. इसकी मांग झारखंड के हर जिले और आसपास के उड़ीसा, बंगाल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी होती है.
संघर्ष से सफलता तक का सफर
उन्होंने आगे बताया कि पहले हम सब घर में हाउसवाइफ थीं और कुछ नहीं करती थीं. लाह की खेती करने वाले शक्ति ने हमें बताया कि इस नेट की बहुत जरूरत होती है, लेकिन यह कोई बनाता नहीं है. तब हमने सोचा क्यों न हम ही इसे बनाएं. हम हर दिन 3 से 4 घंटे निकालकर एक जगह सलाई मशीन लेकर बैठ गए और मन लगाकर काम करने लगे.
जुड़ने की अपील
वहीं, शक्ति बताते हैं कि यह महिलाएं सिलाई करके अपनी किस्मत खुद लिख रही हैं. पहले ये 200-200 रुपये के लिए तरसती थीं, लेकिन आज पूरा राशन-पानी और बच्चों की फीस खुद जमा करती हैं और गर्व से जीती हैं. कोई भी महिला जो जुड़ना चाहती है, वह यहां आकर काम कर सकती हैं. अधिक जानकारी के लिए इस नंबर 9102962005 पर संपर्क कर सकते हैं.
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