राम मंदिर ट्रस्ट ने किया 272 करोड़ का GST भुगतान, आखिर मंदिरों को भी क्यों भरना पड़ता है टैक्स?

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Last Updated:March 17, 2025, 12:50 ISTWhy Temple Pay GST: राम मंदिर ट्रस्ट अभी तक करोड़ों का टैक्स भर चुका है. इसके पीछे की क्या वजह है? जानें इस आर्टिकल में.राम मंदिर हाइलाइट्सराम मंदिर ट्रस्ट ने 272 करोड़ का GST भरा.मंदिर निर्माण में 2150 करोड़ रुपए खर्च हुए.सरकार से कोई आर्थिक मदद या छूट नहीं ली गई.Why Temple Pay GST: प्रभु राम की नगरी अयोध्या में पिछले 5 वर्षों से मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति के साथ चल रहा है. जून 2025 तक मंदिर को पूरा कर लिया जाएगा. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी तक 272 करोड़ रुपए जीएसटी का भुगतान किया है. तो दूसरी तरफ मंदिर निर्माण में अभी तक 2150 करोड रुपए खर्च भी हुए हैं.

जब से मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है तब से लेकर अभी तक राम मंदिर ट्रस्ट ने सरकार के विभिन्न एजेंसियों को 396 करोड़ रुपए का भुगतान किया है. तो वहीं 272 करोड़ रुपए का जीएसटी भुगतान दिया है. लेकिन अब आपके मन में यह सवाल चल रहा होगा कि आखिर मंदिरों को जीएसटी क्यों देना पड़ता है और कैसे भुगतान होता है. समझते हैं इस रिपोर्ट में.

मंदिर भी भरते हैं टैक्स श्रीराम जन्मभूमि में राम मंदिर के अलावा पूरे परिसर में अलग-अलग परियोजनाएं निर्माणाधीन अवस्था में है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की देखरेख में हो रहे इस निर्माण को लेकर तीर्थ क्षेत्र के न्यासियों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया था कि वह केंद्र व प्रदेश सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक मदद अथवा अतिरिक्त छूट नहीं लेंगी सामान्य रूप में आम लोगों के लिए जो छूट या व्यवस्था है. उसके अनुसार पारदर्शी तरीके से सभी प्रकार के करों अथवा देयों का भुगतान करेंगे. इस निर्णय के आलोक में तीर्थ क्षेत्र ने सभी सरकारी टैक्स का भुगतान पिछले पांच सालों में किया.

तीर्थ क्षेत्र ने सरकारों से कोई मदद नहीं ली है. केंद्र व प्रदेश सरकार ने राम मंदिर निर्माण में अवरोध हटाने में मदद की है, लेकिन कोई छूट नहीं दी है.

मंदिरों को नहीं कोई छूट वैसे भी भारत सरकार ने जीवनोपयोगी सामानों पर बिक्री व सेवा कर अलग-अलग उपयोगिता की दृष्टि से निर्धारित कर रखा है. कोई व्यक्ति अथवा संस्था जब सम्बन्धित सामानों का उपयोग करने के लिए उनकी खरीदारी करती है तो उसको सम्बन्धित दर से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. इसमें मंदिरों की दृष्टि से किसी खास छूट का उल्लेख किसी उपबंध में नहीं है. लिहाजा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने निर्माण में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों पत्थर, ईंट व अन्य उपयोगी सामानों की खरीदारी पंजीकृत व्यापारिक प्रतिष्ठानों से की है.

पिछले पांच साल में कितने करोड़ खर्च किए दरअसल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र भी ट्रस्ट एक्ट के अन्तर्गत एक पंजीकृत संस्था है, जिसका गठन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया है. फिर भी यह संस्था सरकार के अधीन नहीं है बल्कि स्वतंत्र संस्था है. इसके अलावा संस्था का एफसीआरए के अन्तर्गत भी पंजीकरण है. यह संस्था भारतीय व विदेशी श्रद्धालुओं की ओर समर्पित धनराशि प्राप्त करती है. इसके कारण उसे आय-व्यय का हिसाब सरकार को देना पड़ता है. तीर्थ क्षेत्र ने लेखा-जोखा अपडेट रखने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट भी रखा है. उनके द्वारा आय-व्यय का हिसाब सरकारी नियमों के अन्तर्गत जमा कराया जाता है.

यही कारण है कि तीर्थ क्षेत्र के द्वारा सभी भुगतान बैंक खाते के चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जाता है. तीर्थ क्षेत्र ने पिछले पांच साल में 2150 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान चेक या बैंक ड्राफ्ट से ही किया है.
Location :Ayodhya,Faizabad,Uttar PradeshFirst Published :March 17, 2025, 12:50 ISThomebusinessआखिर मंदिरों को भी क्यों भरना पड़ता है टैक्स? जानें वजह

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