Last Updated:March 17, 2025, 09:15 ISTभारत में ट्रेनों का संचालन भारत सरकार करती है. हालांकि कई प्लेटफॉर्म्स का रखरखाव पीपीपी मॉडल पर होता है, लेकिन कोई एक व्यक्ति ट्रेन का मालिक नहीं हो सकता. फिर लुधियाना का ये किसान कैसे ट्रेन का मालि…और पढ़ेंये शख्स बना था भारतीय रेलवे की एक ट्रेन का मालिक हाइलाइट्सलुधियाना के किसान सम्पूर्ण सिंह बने ट्रेन के मालिक.मुआवजा विवाद में स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस जब्त की गई.अदालत के आदेश पर ट्रेन का प्रतीकात्मक कब्जा मिला.नई दिल्ली. भारतीय रेल, भारत सरकार की एक सार्वजनिक रेलवे सर्विस है, जो रोजाना करीब 2 करोड़ 31 लाख यात्रियों उनकी मंजिल तक पहुंचाती है और रोजाना 33 लाख टन माल ढोती है. भारतीय रेल पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में रहती है, हालांकि प्लेटफॉर्म और इसके रखरखाव की जिम्मेदारी पीपीपी मॉडल पर की जाती है, लेकिन इस पर किसी एक व्यक्ति या कंपनी का अधिकार नहीं हो सकता. पर लुधियाना के एक किसान को कुछ समय के लिए ऐसा करने का सौभाग्य मिला.
एक असामान्य कानूनी लड़ाई में लुधियाना का एक किसान कुछ समय के लिए भारतीय रेलवे की एक ट्रेन का मालिक बन गया. किसान का नाम सम्पूर्ण सिंह है और वो कटाना गांव के रहने वाले हैं. सम्पूर्ण सिंह और भारतीय रेलवे के साथ लंबे समय से मुआवजे का विवाद चल रहा था, जिसके कारण सम्पूर्ण सिंह को स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस का मालिकाना हक मिल गया. आइये जानते हैं कि सारा मामला क्या है और सम्पूर्ण सिंह कैसे स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए.
क्या था सारा विवादये विवाद साल 2007 में शुरू हुआ. जब भारतीय रेलवे ने लुधियाना-चंडीगढ़ रेलवे लाइन बनाने के लिए सम्पूर्ण सिंह सहित कई किसानों से जमीनें लीं. सिंह को 25 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया, जबकि पड़ोसी गांव के किसानों को इसी तरह की जमीन के लिए 71 लाख रुपये प्रति एकड़ मिले. अपने साथ अन्याय महसूस करने पर सिंह ने साल 2012 में एक याचिका दायर की, जिसमें अधिक मुआवजा राशि की मांग की गई.
पिछले कुछ साल में, अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, पहले उनका मुआवजा बढ़ाकर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ और बाद में 1.7 करोड़ रुपये प्रति एकड़ कर दिया. अदालत के आदेश के बावजूद, उत्तरी रेलवे पूरा भुगतान नहीं कर पाया. साल 2015 तक, सिंह को केवल 42 लाख रुपये मिले थे, जबकि 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया था.
भारतीय रेलवे ने जब न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया तो जिला एवं सत्र न्यायाधीश जसपाल वर्मा ने साल 2017 में एक कठोर कदम उठाया. न्यायालय ने बकाया राशि के मुआवजे के रूप में लुधियाना स्टेशन पर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को जब्त करने का आदेश दिया. इसके अलावा, लुधियाना रेलवे स्टेशन मास्टर के कार्यालय को भी कुर्क कर लिया गया. इस कानूनी निर्देश के बाद, सम्पूरन सिंह अपने वकील के साथ लुधियाना रेलवे स्टेशन पहुंचे और ट्रेन का प्रतीकात्मक कब्जा कर लिया. इससे वह इसके अस्थायी मालिक बन गए.
हालांकि सिंह के स्वामित्व के बावजूद, ट्रेन को जल्दी ही छोड़ दिया गया. एक सेक्शन इंजीनियर ने न्यायालय के एक अधिकारी की सहायता से मामले को कुछ ही मिनटों में सुलझा लिया, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस अपने निर्धारित परिचालन को फिर से शुरू कर दे. वैसे, मुआवजा विवाद अभी भी अनसुलझा ही है, कानूनी कार्यवाही अभी भी जारी है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 17, 2025, 09:15 ISThomebusinessक्या आप हो सकते हैं ट्रेन के मालिक? लुधियाना का ये किसान बना, जानें कैसे
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