Railways fare hike: बोगी में गिर रहा बारिश का पानी, ट्रेनें वही पुरानी, रेल किराया बढ़ने छिड़ा घमासान

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सीतामढ़ी. भारतीय रेलवे 1 जुलाई 2025 से मेल, एक्सप्रेस और एसी/नॉन-एसी ट्रेनों के किराए में मामूली बढ़ोतरी करने जा रहा है. रेलवे बोर्ड ने इसका प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेज दिया है. प्रस्ताव के अनुसार, नॉन-एसी क्लास में 1 पैसा और एसी क्लास में 2 पैसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से किराया बढ़ेगा. यानी अगर कोई यात्री 1000 किलोमीटर की यात्रा करता है, तो उसे नॉन-एसी में 10 रुपये और एसी में 20 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे.यह बढ़ोतरी मामूली जरूर है, लेकिन आम जनता खासकर सीमावर्ती क्षेत्र सीतामढ़ी के लोगों की प्रतिक्रिया कुछ अलग ही है. लोगों का कहना है कि किराया बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हो रहा है. सीतामढ़ी से चलने वाली ट्रेनों की संख्या पहले ही सीमित है, और जो ट्रेनें हैं, उनमें बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.

सीतामढ़ी के लोगों का कहना है कि पैसे की बात नहीं, सुविधा की बात है. जब एक पैसा प्रति किलोमीटर से भी सरकार राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है, तो उस पैसे का सही उपयोग कर यात्रियों को बेहतरीन सुविधा देना भी जरूरी है. वरना यह फैसला जनता के लिए बोझ बन जाएगा, फायदा नहीं. पारस कुमार, शहर निवासी कहते हैं, ‘1000 किलोमीटर में 10 रुपये की बढ़ोतरी कोई बड़ा मसला नहीं है. लेकिन यह एक यात्री का मामला नहीं, लाखों लोगों की बात है. रेलवे अगर किराया बढ़ा रहा है तो सुविधा भी देनी चाहिए. जहां ट्रेनें कम चल रही हैं, वहां नई ट्रेनों की जरूरत है.’

आम लोगों की पहुंच से बाहर वंदे भारत ट्रेनअवनीश कुमार का कहना है कि ‘आजकल तत्काल टिकट लेने के लिए आधार वेरिफिकेशन जरूरी कर दिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों के बहुत से लोग अभी तक आधार लिंक नहीं कर पाए हैं, उनके लिए यह परेशानी बन सकती है. साथ ही वंदे भारत ट्रेनें जो चलाई जा रही हैं, वो आम लोगों की पहुंच से बाहर हैं. किराया ₹500 से ₹650 तक है, जबकि बस का किराया सिर्फ ₹120 से ₹150 है. अवनीश आगे कहते हैं, सीतामढ़ी से अभी मुंबई के लिए एक ही ट्रेन है जो अक्सर लेट चलती है. वह भी स्पेशल ट्रेन के नाम पर चलाई जा रही है. सीतामढ़ी से मुंबई के लिए एक रेगुलर ट्रेन होनी चाहिए. साथ ही जानकी जी की जन्मस्थली से अयोध्या तक एक स्पेशल धार्मिक ट्रेन होनी चाहिए.

मूलभूत सुविधाओं पर दिया जाए जोरअंशु कुमार कहते हैं, ‘हम नेपाल बॉर्डर के पास रहते हैं. मजदूर वर्ग बहुत है. उन्हें सस्ती और सामान्य ट्रेनें चाहिए, ताकि वे आसानी से यात्रा कर सकें. सीतामढ़ी से हर बड़े शहर के लिए अच्छी ट्रेनें चलनी चाहिए. किराया बढ़ने के साथ सुविधा बढ़ाना भी जरूरी है. ‘धीरज कुमार का कहना है, ‘सीतामढ़ी से पटना जाने के लिए सुबह 4 बजे के बाद कोई ट्रेन नहीं है. अगर किसी मरीज को लेकर जाना हो, तो दिक्कत होती है. ट्रेनों में सीट भी नहीं मिलती, और जिन ट्रेनों में मिलती है उनमें टॉयलेट, साफ-सफाई, बैठने की सुविधा जैसी मूलभूत चीजें भी नहीं होतीं.’

यात्रियों की नहीं मिल रही विशेष सुविधावहीं, रितेश रमन सिंह ने एक वीडियो का हवाला देते हुए कहा, ‘अभी हाल ही में देखा कि वंदे भारत ट्रेन की बोगी में बारिश की तरह पानी गिर रहा था. सुविधा के नाम पर कुछ खास नहीं किया गया है. 2013 से लगातार किराया बढ़ रहा है, लेकिन न तो नई ट्रेनें चल रही हैं और न ही यात्रियों को कोई विशेष सुविधा मिल रही है. दरअसल, आम जनता की मांग है कि सीतामढ़ी जैसे सीमावर्ती और धार्मिक महत्व वाले जिले को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. यहां से अयोध्या, दिल्ली और मुंबई के लिए नियमित ट्रेनें शुरू की जानी चाहिए. साथ ही लोगों ने यह भी मांग की है कि ‘सप्तक्रांति एक्सप्रेस’ का रूट सीतामढ़ी होते हुए किया जाए, या कम से कम सप्ताह में तीन दिन इसका संचालन यहां से हो.

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