नई दिल्ली. गुजरात के सूरत शहर का छोटा सा रेलवे स्टेशन “उधना” पहली बार चर्चा में तब आया जब दिवाली और छठ पूजा के मौके पर हजारों प्रवासी मजदूरों का हुजूम अपने घर लौटने के लिए इकट्ठा हुआ.
रेलवे प्रशासन ने तैयारी तो की थी, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अचानक एक ही दिन में यात्रियों के जुट जाने की उम्मीद नहीं थी. इन प्रवासी मजदूरों को संभालना और उनके लिए अतिरिक्त ट्रेनों का इंतजाम करना रेलवे के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया.
27 अक्टूबर की सुबह मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर हुई भगदड़ के बाद रेलवे प्रशासन अलर्ट पर था, और इसी वजह से उधना में भीड़ को सुरक्षित तरीके से नियंत्रित करने और समय पर ट्रेनों की व्यवस्था करने में उसने सफलता पाई. प्रशासन ने न केवल भीड़ को नियंत्रित किया, बल्कि भगदड़ से बचने के लिए बैरिकेडिंग की, टिकटिंग के लिए वेंडिंग मशीन और अतिरिक्त काउंटर खोले, स्टेशन परिसर में प्रतीक्षालय बनाए, खाने-पीने, शौचालय और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराईं. इस प्रयास से रेलवे ने पिछले 10 दिनों में इस छोटे से स्टेशन से लगभग 1,60,000 यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया.
आइए देखते हैं कैसे रेलवे ने उधना में इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया.
सूरत में कपड़ा उद्योग और हीरे का कारोबार बड़े पैमाने पर चलता है, जिसके कारण यहां बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर कार्यरत हैं. दिवाली और छठ के अवसर पर ये मजदूर अपने घर लौटने का प्रयास करते हैं. मुंबई और सूरत से अतिरिक्त विशेष ट्रेनों का संचालन तो होता है, लेकिन इस बार अचानक से बढ़ी भीड़ को देखते हुए रेलवे ने दिवाली से एक सप्ताह पहले और छठ तक विशेष प्रबंध किए.
रेलवे ने यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए उधना से कुल 104 ट्रेनें चलाईं, जिनमें से 44 ट्रेनें हॉलिडे स्पेशल थीं, और इनमें से लगभग एक तिहाई ट्रेनें पूरी तरह अनारक्षित थीं. इससे 1,60,000 से अधिक यात्री दिवाली और छठ मनाने के लिए अपने गंतव्य तक पहुंच सके. 3 नवंबर, 2024 को ही उधना जंक्शन से लगभग 31,000 यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया.
स्टेशन पर दी गई प्रमुख सुविधाएं:
सूरत से उधना तक दो शिफ्टों में 50 लाइसेंस सहायक तैनात किए गए.प्रमुख स्थानों पर विशेष ट्रेनों की जानकारी के लिए बैनर और स्टैंडी लगाए गए.उधना के सभी प्रवेश और निकास द्वारों पर 20-40 टिकट चेकिंग स्टाफ को चौबीसों घंटे तैनात किया गया.यात्रियों की सुविधा के लिए होल्डिंग एरिया में त्योहार टिकट खिड़की बनाई गई.मांग के अनुसार 5 अतिरिक्त टिकट काउंटर संचालित किए गए और त्योहार के दौरान अतिरिक्त 3 नाइट शिफ्ट चलाई गईं.
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 8 नवंबर, 2024 तक प्लेटफार्म टिकटों की बिक्री पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया.यात्रियों की अतिरिक्त आवाजाही को प्रबंधित करने के लिए आरपीएफ और जीआरपी के अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया गया.होल्डिंग क्षेत्र में यात्रियों के आराम के लिए पर्याप्त रोशनी, पंखे, शौचालय और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई गई.यात्रियों को ट्रेन की आवाजाही के बारे में अपडेट रखने के लिए सार्वजनिक घोषणा प्रणाली भी स्थापित की गई.उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में, विशेष रूप से जनरल और स्लीपर कोचों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त आरपीएफ, जीआरपी, स्काउट्स और गाइड, एनसीसी और अन्य स्वयंसेवी समूहों को तैनात किया गया.
आरपीएफ और जीआरपी की टीमें सादे कपड़ों में संदिग्ध गतिविधियों और चोरी पर नजर रखने के लिए स्टेशनों पर गश्त कर रही हैं, और भीड़ की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी सक्रिय कर दिए गए हैं. यात्रियों को अतिरिक्त ट्रेनों की जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया, समाचार पत्र विज्ञापन और प्रेस विज्ञप्ति का सहारा लिया गया.
दिवाली और छठ पूजा सीजन के दौरान चलाई गई अतिरिक्त ट्रेनों के बारे में यात्रियों को जानकारी देने के लिए रेलवे ने सोशल मीडिया का भी उपयोग किया. यात्रियों की सहायता के लिए विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों ने पानी, बिस्किट और अन्य खाद्य पदार्थ वितरित किए, जिससे प्रतीक्षा कर रहे यात्रियों को राहत मिली.
इन तमाम प्रयासों का परिणाम यह रहा कि लाखों प्रवासी यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सकी. रेलवे के लिए यह एक केस स्टडी के रूप में भी उभरा कि त्योहारों के दौरान अचानक बढ़ने वाली भीड़ को संभालने के लिए किस प्रकार के एसओपी की आवश्यकता है.
कुन्दन सिंह, संवाददाता
Tags: RailwayFIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 18:04 IST
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