Last Updated:June 11, 2025, 11:23 ISTTrain in Mizoram : भारत का चिकन नेक कहे जाने वाले पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ मोदी सरकार तेजी से मजबूत कनेक्टिविटी बना रही है. इस कड़ी में भारतीय रेलवे ने चौथे राज्य में भी ट्रेन सेवा शुरू करने की तैयारी कर…और पढ़ेंमिजोरम की राजधानी तक रेलवे ट्रैक बिछाने का काम पूरा हो चुका है. हाइलाइट्समिजोरम में रेलवे ट्रैक का सफल ट्रायल पूरा हुआ.मिजोरम नॉर्थ ईस्ट का चौथा राज्य बना जो रेलवे से जुड़ा.रेलवे ट्रैक पर 48 सुरंग और 142 पुल बनाए गए हैं.नई दिल्ली. देश के पूर्वोत्तर इलाके को शेष भारत से जोड़ने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. अब इस दिशा में एक और बड़ी कामयाबी मिली है. मिजोरम की राजधानी आइजोल तक रेलवे लाइन पहुंच चुकी है और बुधवार को इस पर पहला स्पीड ट्रायल भी सफलतापूर्वक कर लिया गया है. ये प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कनेक्ट नॉर्थ ईस्ट मिशन का हिस्सा है जिसके तहत नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों को रेलवे से जोड़ा जा रहा है. आइजोल तक पटरी बिछ चुकी है और आज एक मालगाड़ी को इस नए ट्रैक से गुजारा गया जो पूरी तरह सफल रहा.
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक अब जरूरी कागजी काम और सुरक्षा जांच के बाद जल्द ही इस रूट पर यात्रियों के लिए भी ट्रेनें शुरू कर दी जाएंगी. इससे मिजोरम के लोग दिल्ली जैसे बड़े शहरों तक सीधी ट्रेन यात्रा कर सकेंगे. इस रेलवे ट्रैक के साथ ही मिजोरम नॉर्थ ईस्ट का चौथा राज्य बन गया है जो पूरी तरह रेलवे नेटवर्क से जुड़ गया है. इससे पहले असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश रेलवे से जुड़ चुके हैं. इस खास मौके पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट कर लिखा, ‘मिजोरम की राजधानी (आइजोल) को भारत के हर दिल से जोड़ना! लुमडिंग डिवीजन एन.एफ. रेलवे की बैराबी-सैरांग नई ब्रॉड गेज लाइन परियोजना का सफल स्पीड ट्रायल.
क्या है प्रोजेक्ट की खासियत
इस रेलवे ट्रैक की कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है.
इसे बनाने में करीब 5021.45 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
प्रोजेक्ट का 97% काम अब तक पूरा हो चुका है.
यह प्रोजेक्ट चार हिस्सों में बंटा है.
बैराबी से होरटोकी तक 16.72 किमी है.
होरटोकी से कावनपुई तक 9.71 किमी है.
कावनपुई से मुआलखांग तक 12.11 किमी है.
मुआलखांग से सैरांग (आइजोल) तक 12.84 किमी है.
इंजीनियरिंग का कमालयह ट्रैक एक कठिन और पहाड़ी इलाके में बिछाया गया है. इस ट्रैक पर 48 सुरंग पड़ती है, जबकि 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल भी बनाए गए हैं. इसके अलावा 5 रोड ओवरब्रिज और 6 रोड अंडरब्रिज भी बने हैं. इस ट्रैक पर बना पुल संख्या 196 करीब 104 मीटर ऊंचा है, जो कुतुब मीनार से 42 मीटर अधिक ऊंचा बनाया गया है.
सेना के लिए भी बड़ा महत्वयह इलाका बांग्लादेश और म्यांमार (बर्मा) की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटा हुआ है. ऐसे में इस रेलवे लाइन का सामरिक महत्व भी बहुत बड़ा है. अब सेना या राहत सामग्री को एक छोर से दूसरे छोर तक जल्दी और आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. इस परियोजना के पूरा होने से मिजोरम के लोगों को न केवल देश के बाकी हिस्सों से बेहतर संपर्क मिलेगा, बल्कि इससे व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए रास्ते भी खुलेंगे.
Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessबांग्लादेश के सीने तक पहुंची रेल! 48 सुरंग और 142 पुल से गुजरेगी ट्रेन
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