नई दिल्ली. ट्रेन में सफर करने में जो सहूलियत और आनंद मिलता है, वह किसी दूसरे सफर में नहीं. यही वजह है कि लोग महीनों पहले बुकिंग कराना शुरू कर देते हैं. ट्रेन में कन्फर्म टिकट पाने के बाद यात्रा के वक्त आता है. यात्रा के दौरान एक बड़ी समस्या यह आती है कि ट्रेन में चाय से लेकर बिस्कुट और खाने-पीने का अन्य सामान बेचने वालों की भरभार रहती है. एक गया नहीं कि पीछे-पीछे दूसरा आ जाता है. ऐसे में यह पहचानना काफी मुश्किल हो जाता है कि किससे खाने-पीने का सामान लिया जाए और किससे नहीं. किसकी क्वालिटी खराब होगी और किसकी अच्छी, यह भी मालूम नहीं चल पाता. अब रेलवे ने इस समस्या का भी हल कर दिया है.
यह सब जानते हैं कि रेलवे द्वारा जिन्हें सच में सामान बेचने का ठेका दिया गया है, वह खराब क्वालिटी की वस्तु नहीं बेच सकता. यदि कोई ऐसा करता है तो उसकी शिकायत हो सकती है और लाइसेंस तक रद्द करवाया जा सकता है. ऐसे में यदि पता चल जाए कि सामान बेचने आया व्यक्ति सही वेंडर है, जिसे रेलवे ने लाइसेंस दिया है, तो पूरी समस्या का हल हो सकता है. तो अब रेलवे ने इसी पहचान का सरल बनाने के लिए एक जरूरी कदम उठाया है.
क्यूआर कोड (QR Code) बताएगा सबकुछरेलवे कैटरिंग के सभी ठेकेदारों, वेंडरों और हेल्पर्स के लिए ऐसे पहचान पत्र अनिवार्य करने जा रहा है, जिन पर एक क्यूआर कोड छपा होगा. इसे क्यूआर कोड आधारित वेंडर मैनेजमेंट सिस्टम (VMS) नाम दिया गया है. कोई भी यात्री अपने फोन से इस क्यूआर कोड को स्कैन करके उस वेंडर की सच्चाई जान सकता है. इस कोड को स्कैन करते ही वेंडर का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड नंबर, ठेकेदार का नाम और कंपनी का नाम जैसी जानकारी आपके फोन पर उपलब्ध हो जाएगी. यदि यह सब जानकारी मिलती है तो मतलब कि उससे आप खाने-पीने का सामान ले सकते हैं और क्वालिटी के बारे में भी श्योर हो सकते हैं.
भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल इस सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. शुरुआत सेंट्रल रेलवे के नागपुर मंडल से हुई है, जिसके तहत 118 ठेकेदारों के 832 वेंडर और हेल्परों को क्यूआर कोड वाले पहचान पत्र जारी किए गए हैं. अधिकारी द्वारा मुहैया जानकारी के मुताबिक, इसमें बेडरोल सप्लाई करने वाले कोच हेल्पर्स, ऑनबोर्ड हाउस कीपिंग ठेकेदारों के सफाई कर्मियों को भी शामिल किया गया है.
और क्या-क्या बताएगा क्यूआर कोड?क्यूआर कोड को स्कैन करके आप वेंडर का नाम, पता तो जान ही सकते हैं, इसके अलावा उनकी फोटो, पुलिस वेरिफिकेशन की तारीख, हेल्थ-फिटनेस सर्टीफिकेट, और कॉन्ट्रैक्ट की अवधि भी जान सकते हैं. इन सब जानकारियों के आधार पर आप पहचान सकते हैं कि वेंडर से कोई वस्तु लेना सुरक्षित रहेगा या असुरक्षित. साथ ही इसी क्यूआर कोड से वेंडर और ठेकेदार के बीच करार का डॉक्यूमेंट भी देखा जा सकता है.
Tags: Central Railway, Indian railway, Indian Railways, Railways newsFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 15:00 IST
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