लो…जी, रेलवे आपको ‘झटके’ खिलाकर बढ़ा रहा है कमाई, 99.99 फीसदी को नहीं पता

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नई दिल्‍ली. आमतौर पर यही माना जाता है कि वाहनों में अधिक ब्रेक लगाते हैं, उतना माइलेज कम हो जाता है. यानी वाहन चालक को पैसे का अधिक नुकसान होगा. इसलिए कहा जाता है कि वाहन ऐसा चलाओ जिसमें ब्रेक का इस्‍तेमाल कम करना पड़े. लेकिन ट्रेनों में इसका उल्‍टा सिस्‍टम है. यानी इसमें जितनी बार ब्रेक लगती है, रेलवे को राजस्‍व का उतना ही फायदा होता है. यानी ट्रेनों में ब्रेक से यात्री को भले ही झटके लगें लेकिन रेलवे मालामाल हो रहा है. केवल एक डिवीजन में करीब चार करोड़ से अधिक की कमाई की है.

उत्‍तर मध्‍य रेलवे के केवल झांसी डिवीजन ने नवंबर महीने में थ्री-फेज लोकोमोटिव (रेल इंजन) के उपयोग से 67,94,749 यूनिट बिजली की बचत की, जिससे 3.84 रुपये करोड़ का राजस्व बचाया गया. इस तरह केवल एक डिवीजन में करीब चार करोड़ की बचत हुई है. इस तरह अगर रेलवे 64 डिवीजनों में से केवल आधे 32 इस तकनीक वाले इंजन का इस्‍तेमाल करेंगे तो हर महीने 120 करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है.

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इस तरह बनती है बिजली

रेल मंत्रालय के निदेशक, इनफॉरमेशन एंड पब्लिसिटी शिवाजी मारुति सुतार बताते हैं कि कई ट्रेनों में रिजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम का इस्‍तेमाल किया जा रहा है. इससे ब्रेक लगने पर स्वत: बिजली तैयार होती रहती है. ट्रेन में ब्रेक लगने के दौरान जितनी बिजली खर्च होती है, इंजन के गति पकड़ने पर उससे दोगुनी फिर से तैयार हो जाती है. इस तरह इंजन को स्‍पीड बढ़ाने के लिए कम एनर्जी की जरूरत होती है और रेलवे के राजस्‍व की बचत होती है.

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तकनीक पर्यावरण के लिए बेहतर

यह तकनीक पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए बेहतर साबित हो रही है. कार्बन फुटप्रिंट रोकने के लिए ट्रेनों में रिजेनरेटिव ब्रेक प्रणाली लगाई गई है, जिससे 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ऊर्जा की बचत होती है. जो पर्यावरण के लिए बेहतर है.
Tags: Indian railway, Indian Railway newsFIRST PUBLISHED : December 18, 2024, 09:27 IST

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