नई दिल्ली. भारतीय रेल में सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक अच्छी खबर है. अब ट्रेन चलाने वाले लोको पायलट और उनके साथ रहने वाले सहायक लोको पायलट (ALP) पर बेवजह की कागज़ी जिम्मेदारियां नहीं होंगी. रेल मंत्रालय ने एक अहम बदलाव किया है, जिससे अब एएलपी को हर स्टेशन का समय अपनी डायरी में दर्ज नहीं करना पड़ेगा. इससे न केवल उनका ध्यान ट्रेन संचालन पर ज़्यादा रहेगा, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सफर का अनुभव भी बेहतर हो सकेगा.
रेल मंत्रालय ने हाल ही में सभी ज़ोन को एक नया परिपत्र भेजा है, जिसमें बताया गया है कि अब एएलपी को सिर्फ उन्हीं स्टेशनों का समय दर्ज करना होगा जहां ट्रेन को रुकना तय है. बीच के स्टेशन, जिन पर ट्रेन नहीं रुकती, उनके समय लिखने की ज़रूरत नहीं है. अभी तक एएलपी को हर उस स्टेशन का समय अपनी ‘क्रू डायरी’ या ‘लॉग बुक’ में लिखना होता था, जिससे उनका काफी ध्यान बंटता था.
एएलपी को मिलेगी कागजी काम से राहत
इस बदलाव के पीछे मंत्रालय की वो समिति है जिसे लोको पायलट और एएलपी की गैरज़रूरी कागजी जिम्मेदारियों को घटाने के लिए बनाया गया था. समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय ने फैसला लिया कि ट्रेन चलने के दौरान एएलपी को केवल ज़रूरी बातें ही लिखनी होंगी. नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब एएलपी ट्रेन शुरू होने से पहले सिर्फ कुछ जरूरी जानकारियां जैसे इंजन का नंबर, ट्रेन का नंबर, ड्राइवर का नाम और गति से जुड़े दिशा-निर्देश अपनी डायरी में लिखेगा. ट्रेन के चलने के बाद वह सिर्फ निर्धारित स्टॉप वाले स्टेशनों का समय, किसी तकनीकी समस्या या अनियोजित रुकावट की जानकारी दर्ज करेगा.
ऊर्जा खपत दर्ज करने का झंझट खत्म
रेल मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि लोको पायलट को अब ट्रेन की ऊर्जा खपत और रीजनरेशन रीडिंग भी नहीं भरनी होगी, जो पहले CMS (Crew Management System) में दर्ज करनी पड़ती थी. इससे लोको पायलट की ड्यूटी और भी फोकस्ड हो जाएगी. मंत्रालय ने चालक दल की डायरी और लॉग बुक का नया प्रारूप भी जारी किया है, ताकि ड्राइवरों को समझने में आसानी हो और सभी जोनों में इसका एक जैसा पालन हो सके.
यूनियन ने की तारीफ, उठाई और मांगें
इस फैसले का स्वागत करते हुए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के दक्षिणी रेलवे अध्यक्ष आर. कुमारेसन ने कहा कि रेलवे की गति तो बढ़ रही है, लेकिन ड्राइवरों को लगातार काम और दबाव के बीच सुरक्षा का भी ध्यान रखना होता है. उन्होंने मंत्रालय से मांग की कि साप्ताहिक छुट्टी और लगातार दो रात की ड्यूटी से जुड़े मुद्दों को भी जल्द सुलझाया जाए.
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यात्रियों को भी मिलेगा सीधा फायदा
इस बदलाव का सीधा फायदा यात्रियों को भी होगा. जब लोको पायलट और एएलपी का ध्यान सिर्फ ट्रेन चलाने और सुरक्षा पर रहेगा, तो सफर और भी सुरक्षित और सुचारु बनेगा. साथ ही, ड्राइवरों पर मानसिक दबाव भी कम होगा जिससे वे और बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे. रेलवे मंत्रालय के इस कदम को ‘स्मार्ट ऑपरेशन’ की दिशा में एक मजबूत कड़ी माना जा रहा है, जो तकनीक, मानव संसाधन और यात्रियों – तीनों को ध्यान में रखकर लिया गया है.
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