Last Updated:May 10, 2025, 07:34 ISTदिल्ली सरकार पाकिस्तान के ड्रोन हमलों के बीच सतर्क हो गई है. 11 जिलों में हवाई हमले के सायरन लगाए जाएंगे. वहीं, भूमिगत मेट्रो स्टेशनों को बंकर के रूप में इस्तेमाल करने पर भी प्रशासन विचार कर रहा है.राजधानी में कुल 71 भूमिगत मेट्रो स्टेशन हैं.हाइलाइट्सदिल्ली में 11 जिलों में हवाई हमले के सायरन लगाए जाएंगे.भूमिगत मेट्रो स्टेशनों को बंकर के रूप में इस्तेमाल करने पर विचार.दिल्ली मेट्रो का 106.1 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड है.नई दिल्ली. पाकिस्तान द्वारा सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन और मिसाइल हमलों की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली सरकार सतर्क हो गई है.राजधानी के 11 जिलों में जल्द ही कम से कम 10-10 हवाई हमले के सायरन लगाए जाएंगे. इसके साथ ही प्रशासन भूमिगत मेट्रो स्टेशनों को बंकर के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना पर भी विचार कर रहा है. विश्वभर में संकट के समय मेट्रो स्टेशनों को बम शेल्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लंदन की मेट्रो सुरंगों का और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान कीव में लोगों ने मेट्रो स्टेशनों में शरण ली. हालांकि दिल्ली मेट्रो के स्टेशन बम शेल्टर के तौर पर डिज़ाइन नहीं किए गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह हवाई हमले जैसी स्थिति में अपेक्षाकृत सुरक्षित और बड़ी संख्या में लोगों को आश्रय देने में सक्षम हैं.
राजधानी में कुल 71 भूमिगत स्टेशन हैं. इन स्टेशनों की औसत गहराई 15 मीटर है. इनमें हौज खास मेट्रो स्टेशन सबसे गहरा है, जिसकी गहराई 29 मीटर, जबकि चावड़ी बाजार स्टेशन की गहराई 25 मीटर है. दिल्ली मेट्रो का कुल नेटवर्क 394.4 किलोमीटर लंबा है, जिसमें से 106.1 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड है. विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए भूमिगत मेट्रो स्टेशन नागरिकों को सुरक्षित स्थान प्रदान करने में मददगार साबित हो सकते हैं.
बंकर की तरह इस्तेमाल हुए हैं मेट्रो स्टेशन रूस की राजधानी मास्को में स्थित मेट्रो स्टेशनों को शीत युद्ध के दौरान परमाणु बंकर के रूप में डिज़ाइन किया गया था. मास्को का पार्क पोबेडी स्टेशन 84 मीटर गहरा है, जबकि सेंट पीटर्सबर्ग का एडमिरल्टेस्काया स्टेशन 86 मीटर की गहराई के साथ दुनिया के सबसे गहरे स्टेशनों में शामिल है. यूक्रेन की राजधानी कीव में बने 52 भूमिगत मेट्रो स्टेशन, जो शीत युद्ध के दौरान निर्मित हुए थे, 2023 में रूसी हमलों के दौरान बम शेल्टर में तब्दील कर दिए गए.
इन स्टेशनों में लोग गद्दे, पालतू जानवरों और आवश्यक सामानों के साथ रातें बिताते रहे. साथ ही, इन स्टेशनों को भोजन, पानी, मोबाइल चार्जिंग और आराम के लिए भी इस्तेमाल किया गया. जर्मनी में भी कई भूमिगत रेलवे स्टेशनों को शीत युद्ध के दौरान आपात बंकरों में बदल दिया गया था. हाल ही में, वहां की सरकार ने सरकारी और निजी इमारतों की सूची बनाई है, जिन्हें जरूरत पड़ने पर बंकर में परिवर्तित किया जा सकता है.
येलो लाइन पर सबसे ज्यादा अंडरग्राउंड स्टेशनदिल्ली मेट्रो की बात करें तो येलो लाइन पर सबसे ज्यादा 20 भूमिगत स्टेशन हैं. मैजेंटा लाइन पर 15, पिंक लाइन पर 12 और वायलेट लाइन पर 11 भूमिगत स्टेशन हैं. सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियां अब इस दिशा में योजना बना रही हैं कि जरूरत पड़ने पर इन स्टेशनों का किस तरह से सुरक्षित बंकर के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessसफर सुहाना बनाने के साथ पाकिस्तान के हमले से भी बचाएगी दिल्ली मेट्रो
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