Last Updated:May 07, 2025, 13:29 ISTUnderground Train : मुंबई की भारी ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए रेलवे अंडरग्राउंड ट्रेन चलाने जा रही है. इसके लिए रेलवे 7 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा ट्रैक बिछाएगा. यह प्रोजेक्ट साल 2008 से ही अटका है और अब त…और पढ़ेंमुंबई में रेलवे 7 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक अंडरग्राउंड ट्रेन चलाएगा. हाइलाइट्समुंबई में पहली बार अंडरग्राउंड ट्रेन चलेगी.7.4 किलोमीटर लंबा ट्रैक बिछाया जाएगा.प्रोजेक्ट की लागत 3,000 करोड़ रुपये हो चुकी है.नई दिल्ली. मुंबई में 17 साल से अटके एक प्रोजेक्ट को फिर हरी झंडी मिल गई है. जल्द ही इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा. प्रोजेक्ट पूरा हुआ तो मुंबई में पहली बार जमीन के नीचे ट्रेन चलाई जाएगी. सेंट्रल रेलवे ने इसका पूरा खाका तैयार कर लिया है. मुंबई मेट्रो की पांचवीं और छठी लाइन को जमीन के नीचे बिछाया जाएगा. यह अंडरग्राउंड ट्रेन परेल रोड से दक्षिण मुंबई के छत्रपति शिवाजी महराज टर्मिनस तक जाएगी.
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, फेज 2 के तहत बनाए जाने वाले इस प्रोजेक्ट को पांचवें और छठे रेलवे कॉरिडोर के तहत बनाया जाएगा. इसका रूट कुर्ला से परेल और वहां से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस तक जाएगा. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद मुंबई वालों के लिए आवाजाही आसान हो जाएगी. अभी इस भीड़भाड़ वाले इलाके को पार करने के लिए काफी ट्रैफिक से गुजरना पड़ता है.
कितना लंबा होगा रूटअंडरग्राउंड रेल प्रोजेक्ट के इस पूरे रूट को दो फेज में बनाया जा रहा है. इसके फेज 1 का काम अभी चल रहा है, जो 10.1 किलोमीटर लंबा है. हालांकि, यह रूट जमीन के ऊपर बन रहा है और फेज 2 अंडरग्राउंड बनाया जाएगा. यह रूट 7.4 किलोमीटर लंबा होगा. रेलवे का मानना है कि जमीन के ऊपर प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए जमीन अधिग्रहण करना होगा और यह काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि लोगों को पुनर्वास भी कराना होगा. जमीन के नीचे प्रोजेक्ट शुरू करने से यह समस्या नहीं रहेगी और काम आसान हो जाएगा.
25 मीटर नीचे चलेगी ट्रेनरेलवे अधिकारियों के मुताबिक, परेल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के बीच बनाई जाने वाली 5वीं और 6वीं रेल लाइनों के प्रोजेक्ट को लेकर माथापच्ची चल रही है. 7.4 किलोमीटर लंबी इस रेलवे लाइन को 20 से 25 मीटर नीचे बनाया जाएगा. इस ट्रैक के ऊपर पहले से रेलवे लाइन बिछी है. यह प्रोजेक्ट इमारतों, सड़कों व अन्य भूमिगत सुविधाओं के पास से गुजरेगा और यही इस प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती है. लिहाजा अंतिम रूप दिए जाने से पहले पूरा अध्ययन किया जा रहा है. रेलवे अभी परेल और CSMT टनल बोरिंग मशीनों के एंट्री और एग्जिट के लिए जमीन की तलाश कर रहा है.
3 गुना बढ़ चुकी है कीमतरेलवे के इस प्रोजेक्ट की लागत अब तक तीन गुना बढ़ चुकी है. इस प्रोजेक्ट को साल 2008 में ही मंजूरी मिल गई थी और तब इसके लिए 891 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया था. बाद में साल 2012 में फिर इस पर काम शुरू हुआ और तब लागत 1,337 करोड़ रुपये बताई गई. अब इस प्रोजेक्ट की लागत 3,000 करोड़ रुपये बताई जाती है. रेलवे की मंशा अब इस प्रोजेक्ट को किसी भी हाल में पूरा करने की है, क्योंकि देरी से फिर इसकी लागत बढ़ने की आशंका है.
Location :New Delhi,Delhihomebusinessइस शहर में पहली बार जमीन के नीचे चलेगी ट्रेन, 7.4 किलोमीटर तक बिछाई जाएगी पटरी
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