Last Updated:January 10, 2025, 18:41 ISTदिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 33 और 81 कृषि भूमि के उपयोग और बिक्री से संबंधित हैं. किसान लंबे समय से इन दोनों को ही समाप्त करने की मांग कर रहे हैं. अब आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इन धाराओं की आड़ में…और पढ़ेंदिल्ली के ग्रामीण इन दोनों धाराओं को अपनी जमीन के इस्तेमाल में बाधा मान रहे हैं.नई दिल्ली. दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 33 और 81 एक बार फिर चर्चा में है. पिछले रविवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इन दो धाराओं को लेकर निशाना साधा. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने इन धाराओं को निरस्त करने का वादा पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि इन धाराओं को निरस्त कराने को दिल्ली विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था. लेकिन, केंद्र सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. इन दो धाराओं की वजह से दिल्ली के ग्रामीण इलाकों के छोटे किसान कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने को मजबूर हैं.
अरविंद केजरीवाल के धारा 33 और 81 का मुद्दा उठाने के बाद इन दोनों ही धाराओं को लेकर चर्चा एक बार फिर चल पड़ी है. दरअसल, ये दोनों ही धाराएं कृषि भूमि के उपयोग और बिक्री से संबंधित हैं. दिल्ली के किसानों का कहना है कि ये दोनों ही धाराएं उन्हें अपनी भूमि के स्वतंत्रतापूर्वक इस्तेमाल करने से रोकती है. ये उनके विकास और भूमि के उचित इस्तेमाल में बड़ी बाधा हैं. इसलिए इन्हें निरस्त कर देना चाहिए. आइये सबसे पहले जानते हैं कि दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 33 और 81 में क्या प्रावधान किए गए हैं.
दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 33 यह प्रावधान करती है कि कृषि भूमि की बिक्री, उपहार या हस्तांतरण इस प्रकार नहीं हो सकता कि मालिक के पास 8 एकड़ से कम भूमि बच जाए. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कृषि भूमि छोटे-छोटे हिस्सों में न बंटे. केवल धार्मिक या चैरिटेबल संस्थानों या भूदान आंदोलन के लिए भूमि हस्तांतरण की अनुमति है. उदाहरण के लिए जिस किसान के पास 12 एकड़ जमीन है, वह चार एकड़ बेच सकता है. लेकिन, आठ एकड़ वाला किसान एक एकड़ भी नहीं बेच सकता, क्योंकि इससे उसके पास बाकी जमीन 7 एकड़ रह जाएगी.
यदि किसी किसान के पास आठ एकड़ जमीन है और वह किसी कारणवश दो एकड़ जमीन की बिक्री करना चाहता है तो वह बिक्री नहीं कर सकता है. उसे पूरी आठ एकड़ जमीन की बिक्री दिखानी पड़ेगी. ऐसे में दो एकड़ के अलावा शेष जमीन वह अपने परिजनों अथवा रिश्तेदारों के नाम करने को मजबूर हो जाता है.
दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 81धारा 81 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई भूमि मालिक अपनी भूमि का उपयोग कृषि, बागवानी या पशुपालन के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए करता है, तो उसे भूमि से बेदखल कर दिया जाएगा। ऐसी भूमि ग्राम सभा को सौंप दी जाएगी. धारा 81 की वजह से दिल्ली के किसान अपनी जमीन को 3 साल तक लगातार खाली नहीं छोड़ सकता है. यदि वह जमीन को 3 साल तक खाली छोड़ता है तो उसे राजस्व विभाग ग्राम सभा की जमीन में शामिल कर लेगा. यह धारा किसानों को अपनी भूमि का उपयोग आवासीय या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए करने से रोकती है, जिससे उन्हें कई कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
क्यों उठ रहे हैं विरोध के स्वर?इन धाराओं के कारण दिल्ली के ग्रामीण इलाकों के भूमि मालिक अपनी जमीन का उपयोग आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियों के लिए नहीं कर सकते. इसके अलावा छोटे किसान जरूरत होने पर अपनी जमीन बेच भी नहीं सकते. इंडियन एक्सप्रेस की एक समाचार के अनुसार, पालम 360 खाप पंचायत के प्रमुख सुरेंद्र सोलंकी का कहना है कि अगर मुझे अपने बच्चों की शादी या शिक्षा के लिए एक एकड़ जमीन बेचनी हो, तो मैं ऐसा नहीं कर सकता. क्या मुझे अपनी सारी जमीन बेचनी पड़ेगी?” धारा 81 पर उन्होंने कहा, “अगर मैं अपनी जमीन पर एक कमरा या बाउंड्री वॉल बनाऊं, तो मेरे खिलाफ मामला दर्ज होगा. यह मेरी जमीन है, मैं उस पर कुछ बनाने के लिए कोर्ट क्यों जाऊं?”
357 गांव घोषित हो चुके शहरीसेंटर फॉर यूथ, कल्चर, लॉ एंड एनवायरनमेंट (CYCLE) के अध्यक्ष पारस त्यागी के अनुसार, दिल्ली के 357 गांवों में से 308 पहले ही शहरी घोषित किए जा चुके हैं. शहरी क्षेत्र घोषित होने के बाद ये गांव दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम के तहत नहीं आते, बल्कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 और दिल्ली विकास अधिनियम, 1954 के तहत आते हैं.
त्यागी ने सुझाव दिया कि धारा 81 को संशोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “ग्राम सभा को भूमि सौंपने के बजाय, सरकार उन लोगों पर भारी जुर्माना लगाए जो कृषि भूमि का दुरुपयोग कर रहे हैं. साथ ही, सरकार को छोटे किसानों के लिए विकल्प प्रदान करना चाहिए, जिनकी भूमि इतनी छोटी है कि उस पर खेती करना लाभदायक नहीं है.”
कृषि भूमि क्षेत्र में गिरावटदिल्ली के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, दिल्ली में कुल कृषि भूमि 2012-13 में 35,178 हेक्टेयर से घटकर 33,069 हेक्टेयर रह गई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर एक-दूसरे को घेरने की कोशिश कर रही हैं.
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि इन धाराओं को जल्द निरस्त किया जाए. वहीं, बीजेपी ने 2020 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि “धारा 33 और 81 को केंद्र सरकार की मदद से खत्म किया जाएगा.” दिल्ली में बीजेपी की सरकार न बनने के बाद बीजेपी ने यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया. अब केजरीवाल इसी को लेकर बीजेपी पर हमलावर है.
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