नई दिल्ली. अगर आपसे कोई किसी राह पर चलने को कहे तो आप सबसे पहले ये देखेंगे कि क्या वो शख्स खुद उस रास्ते पर चलता है या नहीं. अगर वह ऐसा नहीं करता तो आप उसकी बात को निश्चित ही नजरअंदाज करके आगे बढ़ जाएंगे. ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय मूल के रास्ती वैभव (Rasti Vaibhav) की सलाह भी पहली नजर में ऐसी ही लगती है. उनके पास ऑस्ट्रेलिया में 11.3 मिलियन डॉलर या 97 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी है. इसके बावजूद वह दुनिया को सलाह दे रहे हैं कि रहने के लिए घर मत खरीदो. पहली नजर में उनकी सलाह भी ऐसी लग सकती है जैसा उदाहरण ऊपर दिया गया. हालांकि, इस कहानी को आगे पढ़ने पर आप समझेंगे कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं.
वैभव अपनी पत्नी रूपाली रस्तोगी (Rupali Rastogi) के साथ साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया आए थे. तब उनके पास सिर्फ 10 प्रतिशत डाउनपेमेंट था और एक आम आईटी व बैंकिंग बैकग्राउंड. लेकिन 2011 में न्यू कैसल के एक उपनगर में पहला घर बनवाकर उन्होंने जो रियल एस्टेट जर्नी शुरू की, वो अब 11.3 मिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी वैल्यू तक पहुंच चुकी है.
ये भी पढ़ें- चीन से दोस्ती क्यों बढ़ा रहा है भारत? पूरी क्रोनोलॉजी जानेंगे तो समझ में आएगा खेल
मिडिल क्लास की सबसे बड़ी गलती
रास्ती का मानना है कि ऑस्ट्रेलियन मिडिल क्लास की सबसे बड़ी गलती होती है. सालों तक एक अच्छे इलाके में अपना घर खरीदने के लिए पैसे जोड़ते रहना. जब तक पैसे जोड़ते हैं, घर की कीमत और ऊपर जा चुकी होती है. ऐसे में उनका फॉर्मूला है, “किराए पर रहो जहां रहना है, और प्रॉपर्टी खरीदो वहां जहां पैसा बढ़े.” उनका कहना है कि उनका सालाना किराया 1 लाख डॉलर है, जबकि उसी इलाके में घर खरीदने पर उन्हें करीब 2.3 लाख डॉलर सालाना लोन चुकाना पड़ता. यही वजह है कि वे आज भी किराए पर रहकर उतनी ही रकम से कई प्रॉपर्टी खरीद चुके हैं.
18 प्रॉपर्टी, 5.8 मिलियन डॉलर की लागत
यह कपल अब सिडनी, मेलबर्न, ब्रिसबेन और पर्थ के बाहरी इलाकों में 18 प्रॉपर्टी के मालिक हैं. उन्होंने धीरे-धीरे कैम्पबेलटाउन, मेलबर्न नॉर्थ, ब्रिसबेन के फ्रिंज एरिया, और वेस्ट पर्थ जैसे अफोर्डेबल इलाकों में प्रॉपर्टी खरीदी. उनकी स्ट्रैटेजी है कि निवेश ऐसी जगह हो जहां किराये की अच्छी कमाई हो और धीरे-धीरे वैल्यू भी बढ़े. जब एक प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ती है, तो उस पर लोन लेकर अगली प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं. इसी चक्र से उन्होंने 13 साल में अपना रियल एस्टेट साम्राज्य खड़ा कर दिया.
रेंट-वेस्टिंग
रास्ती कहते हैं, “रेंट-वेस्टिंग का मतलब है अपने मनपसंद इलाके में रहना और अपने पैसे को वहां लगाना जहां वो बढ़े.” उनकी बेटी समंदर के पास रहना चाहती थी, इसलिए वे सिडनी के नॉर्दर्न बीचेस में किराए पर रहते हैं. अगर वे घर खरीदते, तो उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता और रोज 3 घंटे ट्रैवल करना पड़ता. उनका मानना है कि जिंदगी की असली लक्जरी समय है जिसे परिवार के साथ बिताया जा सके.
ये भी पढ़ें- 25000 रुपये लगाकर UP के दो भाईयों ने शुरू किया ये बिजनेस, आज 3000000000 रुपये की कंपनी के मालिक हैं, जानिये उनका बिजनेस आइडिया
रिस्क भी है, लेकिन फायदे ज्यादा
हालांकि वे मानते हैं कि किराए पर रहने में यह रिस्क होता है कि कभी भी मकान खाली करने को कहा जा सकता है, लेकिन वे लॉन्ग-लीज पर रहते हैं जैसे अभी दो साल की लीज है. उनके मुताबिक, यह रिस्क उस फाइनेंशियल ग्रोथ के सामने कुछ भी नहीं, जो इस मॉडल से मिल रही है. आज वे “Get RARE Properties (Get Rich And Retire Early)” नाम से एक बायर्स एजेंसी चलाते हैं और लोगों को सही लोकेशन पर सही निवेश करने में मदद करते हैं. आखिर में उनका कहना है “हमने अपने घर खरीदने का सपना सिर्फ टाला है, छोड़ा नहीं है. पहले हम निवेशक बने हैं, बाद में घर के मालिक बनेंगे.” अगर आप भी महंगे शहर में रहना चाहते हैं, और साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत बनना चाहते हैं तो यह कहानी शायद आपकी सोच बदल दे.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News