क्या होता है सर्किल रेट, क्यों होती है इसकी जरूरत, मार्केट रेट से कितना अलग?

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Last Updated:January 12, 2025, 20:05 ISTसर्किल रेट, प्रशासन द्वारा तय प्रॉपर्टी की न्यूनतम कीमत, टैक्स चोरी रोकने हेतु महत्वपूर्ण है. यह सुनिश्चित करता है कि खरीदार-विक्रेता कम कीमत दिखाकर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में हेरफेर न करें.हाइलाइट्ससर्किल रेट प्रॉपर्टी की न्यूनतम सरकारी कीमत है.यह टैक्स चोरी रोकने और पारदर्शिता लाने में मदद करता है.बाजार भाव, मांग-आपूर्ति से तय, अक्सर सर्किल रेट से ज्यादा होता है.नई दिल्ली. जब भी आप किसी इलाके में प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की बात करते हैं, तो एक शब्द अक्सर सुनने को मिलता है – सर्किल रेट. यह रेट प्रॉपर्टी की न्यूनतम कीमत को दर्शाता है, जिसे प्रशासन द्वारा तय किया जाता है. हालांकि, इसकी तुलना में मार्केट रेट कहीं अधिक होता है. तो आखिर सर्किल रेट का महत्व क्या है और यह कैसे काम करता है? सर्किल रेट का प्रमुख काम टैक्स चोरी को रोकना है.

जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची जाती है, तो स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है. अगर सर्किल रेट तय न हो, तो खरीदार और विक्रेता कीमत को कम दिखाकर टैक्स बचा सकते हैं. सर्किल रेट यह सुनिश्चित करता है कि किसी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त तय न्यूनतम कीमत से कम पर न हो.

उदाहरण से समझेंमान लीजिए, किसी ने 5,000 वर्ग फीट की जमीन 1,500 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से खरीदी, जो कुल 75 लाख रुपये की पड़ी. अगर इलाके में सर्किल रेट तय न हो, तो खरीदार और विक्रेता प्रॉपर्टी की कीमत कम दिखाकर टैक्स बचा सकते हैं. इससे सरकार को स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में मिलने वाले राजस्व का नुकसान होता है. सर्किल रेट इस तरह की टैक्स चोरी को रोकने का एक प्रभावी तरीका है.

मार्केट रेट बनाम सर्किल रेटसर्किल रेट प्रशासन द्वारा तय न्यूनतम कीमत है, जबकि मार्केट रेट वह होता है जिस पर प्रॉपर्टी का असली सौदा होता है. मार्केट रेट इलाके की मांग, सुविधाओं और प्रॉपर्टी की स्थिति पर निर्भर करता है. अमूमन मार्केट रेट, सर्किल रेट से काफी ज्यादा होता है. उदाहरण के तौर पर, मुंबई के तारदेव और वर्ली जैसे इलाकों में प्रॉपर्टी की औसत कीमतें 56,000 रुपये और 41,000 रुपये प्रति वर्ग फीट तक थीं, जो सर्किल रेट से कहीं अधिक हैं.

सर्किल रेट का प्रभावसर्किल रेट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह प्रॉपर्टी लेन-देन को पारदर्शी बनाता है और टैक्स चोरी रोकता है. वहीं, खरीदारों और विक्रेताओं को यह ध्यान रखना होता है कि वे सर्किल रेट से कम पर सौदा न करें. सर्किल रेट और मार्केट रेट के बीच का अंतर न केवल प्रशासन के राजस्व को प्रभावित करता है, बल्कि प्रॉपर्टी बाजार की स्थिति को भी दर्शाता है. इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय इन दोनों रेट्स को समझना जरूरी है.

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