Last Updated:May 12, 2025, 07:33 ISTयूपी रेरा ने बिल्डरों द्वारा अधूरे फ्लैट सौंपने पर कड़ा रुख अपनाया है. अब ऐसे बिल्डरों पर प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5% जुर्माना लगेगा. ऐसी शिकायतें आ रहीं थी कि बिल्डर ग्राहकों पर अधूरे फ्लैट लेने को राजी होने …और पढ़ेंडेवलपर इस तरीके का इस्तेमाल बिल्डर बची हुई अधूरी इन्वेंट्री को निकालने के लिए कर रहे हैं. हाइलाइट्सयूपी रेरा ने अधूरे फ्लैट देने पर 5% जुर्माना लगाया.अधूरे फ्लैट देना रियल एस्टेट अधिनियम का उल्लंघन है.यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर की विश्वसनीयता बढ़ाएगा.नई दिल्ली. बिल्डरों द्वारा खरीदारों को बिना निर्माण पूरा किए ही घर का कब्जा दिए जाने की शिकायतें अक्सर आती ही रहती हैं. बिल्डर ऐसे घर सौंप देते हैं जिसमें या तो फर्श पूरी तरह बना नहीं होता या फिर किचन में कोई कमी होती है. बिजली की अधूरी फिटिंग या फिर पानी निकासी का पूर्ण प्रबंध किए बिना भी बिल्डर फ्लैट का कब्जा दे देते हैं. इन शिकायतों पर अब यूपी रेरा ने कड़ा संज्ञान लिया है. यूपी रेरा ने साफ कर दिया है कि ग्राहकों को अधूरे या ‘कैनवास फ्लैट’ सौंपने वालों की अब खैर नहीं है. ऐसा करने वाले बिल्डर पर जिस प्रोजेक्ट में अधूरा घर सौंपा गया है, उसकी कुल लागत का 5% तक जुर्माना लगाया जा सकता है.
यूपी रेरा ने यह नोटिस 8 मई को जारी किया गया. बहुत से घर खरीदारों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर उनसे बिल्डर-बायर एग्रीमेंट (BBA) पर हस्ताक्षर करते समय उन्हें अधूरे फ्लैट लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं. रेरा के नोटिस में कहा कि अधूरे फ्लैट का कब्जा सौंपना रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 का गंभीर उल्लंघन है. अधिनियम के अनुसार, केवल वही फ्लैट खरीदारों को सौंपे जा सकते हैं जिनके पास वैध ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट (OC) या कंप्लीशन सर्टिफिकेट (CC) हो.
बची हुई इन्वेंट्री निकालने का प्रयास
रेरा के सचिव महेन्द्र वर्मा द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि नियामक प्राधिकरण के संज्ञान में आया है कि कुछ प्रमोटर बिक्री समझौते (BBA) करते समय खरीदारों से कैनवास फ्लैटों को स्वीकार करने करने की शर्त रख रहे हैं, जो कि गलत है. शिकायतों के अनुसार, डेवलपर इस तरीके का इस्तेमाल बिल्डर बची हुई अधूरी इन्वेंट्री को निकालने के लिए कर रहे हैं.
रियल एस्टेट सेक्टर के लिए फायदेमंद
VVIP ग्रुप के सेल्स और मार्केटिंग के वाइस प्रेसिडेंट उमेश राठौर ने कहा कि यूपी रेरा का यह नया निर्देश समय पर और स्वागत योग्य है. यह खरीदारों के भरोसे को बढ़ाएगा और रियल एस्टेट क्षेत्र की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा. प्राधिकरण एक मजबूत उदाहरण पेश कर रहा है. यह कदम उद्योग को जरूरी अनुशासन की ओर ले जाएगा और असली खरीदारों को बेहतर सुरक्षा देगा.
CREDAI वेस्ट यूपी इकाई के सचिव दिनेश गुप्ता ने यूपी रेरा के नोटिस पर कहा कि हम पूरी तरह से सहमत हैं कि कब्जा केवल अंतिम भुगतान की मांग उठाने के लिए नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि खरीदार को रहने योग्य घर सौंपने की वास्तविक मंशा होनी चाहिए. जहां डिम्ड OC लागू है और सभी आवश्यक सेवाएं व साझा सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां खरीदारों को कब्जा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए. यह तरीका खरीदारों को अनावश्यक उत्पीड़न और लंबे OC/CC के इंतजार से बचाएगा.
उन्होंने कहा कि अगर कोई बिल्डर अग्नि सुरक्षा, संरचनात्मक स्थिरता, लिफ्ट और बिजली की चार मुख्य NOC के लिए आवेदन करता है और एक महीने के भीतर संबंधित प्राधिकरण से कोई जवाब नहीं मिलता है, तो इसे मान्य ऑक्युपेंसी या कंप्लीशन सर्टिफिकेट (OC/CC) माना जाना चाहिए. ऐसे मामलों में बिल्डरों को कब्जा देने की अनुमति मिलनी चाहिए.
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