रेपों रेट में स्थिरता कैसे लाई दिल्‍ली-एनसीआर के रियल एस्‍टेट में बूम? जानिए

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नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 20 बार अपनी रेपो दर स्थिर रखी और फिर पिछली बार इस दर में कटौती की. रेपो रेट के लगातार कई महीनों तक स्थिर रहने का असर भारत के रियल एस्टेट पर सकारात्‍मक रहा. दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्‍टेट क्षेत्र को तो इससे खूब फायदा हुआ.

स्थिर रेपो रेट से होम लोन की ब्याज दरें स्थिर रही और इससे लोगों को बिना चिंता किए घर खरीदने का भरोसा मिला, क्योंकि उन्हें EMI में अचानक बढ़ोतरी का डर नहीं था. 2025 की शुरुआत में, RBI ने रेपो दर को 6% तक घटा दिया, जिससे उधारी की लागत और कम हो गई और लोगों के लिए होम लोन लेना आसान हो गया. खासकर पहली बार घर खरीदने वाले और मध्यम वर्ग के लिए.

बिक्री में इजाफा

स्थिर और घटती रेपो दरों ने दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में मजबूत वृद्धि को बढ़ावा दिया है. 2020 और Q1 2025 के बीच, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में औसत कीमतें क्रमशः 92% और 98% बढ़ी, जबकि दिल्ली और गुड़गांव में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई. बिक्री के आंकड़ों में इसका असर साफ नजर आता है, दिल्ली-एनसीआर में आवासीय यूनिट्स की बिक्री में साल दर साल 35% की बढ़ोतरी हुई है. नई परियोजनाओं की शुरुआत में करीब 40% का इजाफा हुआ है. द्वारका एक्सप्रेसवे, नोएडा एक्सप्रेसवे और ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसे इलाके अब आवासीय विकास के प्रमुख क्षेत्र बन गए हैं.

रेपो रेट में कटौती से हुआ फायदा

बीपीटीपी के सीएफओ मानिक मलिक ने कहा , “रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6% करना अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक कदम है, खासकर रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए. नीति दर में इस बदलाव से उधार लेने की लागत कम होने की उम्मीद है, जिससे डेवलपर्स और घर खरीदने वाले दोनों को लाभ होगा. घर खरीदने वालों के लिए, रेपो दर में यह कमी घर के लोन की ईएमआई में कमी लाएगी, जिससे घर खरीदना आसान हो जाएगा.“

व्हीटलण्ड कारपोरेशन के डायरेक्टर स्ट्रेटेजी सुदीप भट्ट का कहना है कि दिल्ली एनसीआर, खासकर गुरुग्राम में, खरीदार ऐसे घरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो मॉडर्न डिजाइन, बेहतर निर्माण गुणवत्ता और अपनी पसंद के अनुसार सजाने-संवारने की सुविधा देते हैं. व्हाइटलैंड कॉरपोरेशन द्वारा गुरुग्राम में आने वाली ‘वेस्टिन रेजिडेंसेज़’ भारत की सबसे बड़ी ब्रांडेड रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट होगा. इसमें एक्सक्लूसिविटी, वेलनेस और शानदार हॉस्पिटैलिटी, सब कुछ एक ही छत के नीचे मिलेगा.”

गृह ऋण को अधिक सुलभ बनाना, आवास की मांग बढ़ाना, बिना बिके घरों की संख्या कम करना और दिल्ली-एनसीआर में नई परियोजनाओं की शुरुआत को बढ़ावा देना, ये सभी आरबीआई की स्थिर मौद्रिक नीति के कारण हुआ है, जिसमें रेपो दर स्थिर रखी गई और जल्दी दरें घटाई गईं. दिल्ली-एनसीआर में क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और शहरी मेट्रो विस्तार जैसी परियोजनाओं के साथ बुनियादी ढांचे का विस्तार जारी है, जिससे रियल एस्टेट बाजार निरंतर विकास की दिशा में बढ़ रहा है. सरकार की मौद्रिक नीति की समझदारी ने क्षेत्र के रियल एस्टेट परिदृश्य को सफलतापूर्वक बदल दिया है, जिससे एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हुआ है जो डेवलपर्स, खरीदारों और समग्र अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाता है.

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