पिता का बस एक काम, सिर्फ बेटे की हो जाएगी सारी प्रॉपर्टी, बेटी को नहीं मिलेगा कुछ

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Last Updated:July 10, 2025, 03:01 ISTनई दिल्ली. भारत में संपत्ति का बंटवारा और उस पर बेटियों का हक एक संवेदनशील लेकिन जरूरी विषय है. कई बार परिवार में यह सवाल उठता है कि जब जमीन या मकान दादा की होती है लेकिन बाद में वह पिता और बेटे के नाम पर दर्ज हो जाती है, तो क्या बेटी को भी उसमें अधिकार मिलेगा? बेटियों को भी बेटों जितना हक: साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में बदलाव के बाद बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार मिला है. इससे पहले बेटियों को पैतृक संपत्ति में ये हक नहीं था, लेकिन अब वो चाहे शादीशुदा हों या अविवाहित, उन्हें बराबर हिस्सा मिलेगा. वसीयत ना होने पर बराबर बंटवारा होता है: अगर पिता की मौत बिना वसीयत (Will) के हो गई है, तो उनकी संपत्ति सभी कानूनी वारिसों में बराबर बंटेगी. इसमें बेटे और बेटियों दोनों को समान अधिकार मिलेगा, चाहे वो संपत्ति खुद की कमाई से ली गई हो या पीढ़ियों से चली आ रही हो. पैतृक संपत्ति में बेटी का भी हक: अगर दादा की जमीन पैतृक थी और उसे बिना वसीयत के सिर्फ पिता और बेटे के नाम कर दिया गया है, तो बेटी को उसका हिस्सा जरूर मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि पैतृक संपत्ति में सभी संतानों का हक बराबर होता है, चाहे वह लड़की हो या लड़का. खुद से बनाई संपत्ति पर वसीयत लागू होती है: अगर पिता ने अपनी खुद कमाई हुई संपत्ति पर वसीयत बनाकर लिखा है कि वो संपत्ति सिर्फ बेटे को जाएगी, तो बेटी उसमें दावा नहीं कर सकती. क्योंकि स्वयं अर्जित संपत्ति पर वसीयत मान्य होती है और उसे किसी को भी दिया जा सकता है. पैतृक संपत्ति पर वसीयत नहीं चलती: पैतृक यानी विरासत में मिली संपत्ति पर वसीयत का कोई अधिकार नहीं चलता. उसपर सभी बच्चों का समान हक होता है. पिता या दादा उस पूरी संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी एक को नहीं दे सकते. तलाकशुदा या दूसरी शादी की बेटी को भी अधिकार: अगर किसी महिला की शादी रद्द हो चुकी है या पिता ने दूसरी शादी की है, तो उनकी संतान को भी पिता की पैतृक संपत्ति में पूरा कानूनी अधिकार होता है. ऐसे बच्चों को भी क्लास 1 वारिस माना जाता है. झगड़ों से बचने के लिए बंटवारा साफ करें: पारिवारिक विवादों से बचने के लिए जरूरी है कि माता-पिता अपनी संपत्ति का बंटवारा जीते जी वसीयत या गिफ्ट डीड के जरिए कर दें. इससे बच्चों के बीच झगड़ा नहीं होगा और हर किसी को कानूनी रूप से उसका अधिकार मिल जाएगा. साथ ही, इस प्रक्रिया में किसी वकील की सलाह लेना बेहतर रहेगा.homebusinessपिता का एक काम, सिर्फ बेटे की हो जाएगी सारी प्रॉपर्टी, बेटी को नहीं मिलेगा कुछ

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