Last Updated:May 18, 2025, 16:28 ISTप्रॉपर्टी लैडरिंग एक निवेश रणनीति है जिसमें आप छोटी प्रॉपर्टी से शुरुआत कर धीरे-धीरे बड़ी संपत्तियों में निवेश करते हैं. इसमें इक्विटी और किराए से आय का उपयोग होता है. जोखिम और फायदे दोनों हैं.हाइलाइट्सप्रॉपर्टी लैडरिंग से छोटी प्रॉपर्टी से बड़ी संपत्तियों में निवेश करें.पहली प्रॉपर्टी की इक्विटी और किराए से आगे निवेश करें.कम पैसे से शुरुआत कर धीरे-धीरे बड़ा प्रॉपर्टी पोर्टफोलियो बनाएं.नई दिल्ली. आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदना किसी पहाड़ चढ़ने से कम नहीं है. भले ही घर और जमीनें खाली पड़ी हों लेकिन आप खरीदने जाएंगे तो उसका दाम आसमान ही छू रहा होगा. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहे तो करे कैसे. इसका एक तरीका है प्रॉपर्टी लैडरिंग. इसमें आप पहली प्रॉपर्टी का इस्तेमाल आगे की संपत्तियों में निवेश के लिए करते हैं.
प्रॉपर्टी लैडरिंग एक रियल एस्टेट निवेश रणनीति है, जिसमें निवेशक धीरे-धीरे संपत्तियों को खरीदता है और पहले खरीदी गई संपत्तियों से प्राप्त इक्विटी और आय का उपयोग करके नई संपत्तियों में निवेश करता है. इसका उद्देश्य समय के साथ संपत्तियों का एक पोर्टफोलियो बनाना है, जो आमतौर पर छोटी या कम कीमत वाली संपत्तियों से शुरू होता है और धीरे-धीरे बड़ी या अधिक मूल्यवान संपत्तियों की ओर बढ़ता है.
प्रॉपर्टी लैडरिंग क्या है और कैसे काम करती है?
अगर आप कम पैसे से रियल एस्टेट में शुरुआत करके धीरे-धीरे बड़ा प्रॉपर्टी पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो प्रॉपर्टी लैडरिंग आपके लिए एक बढ़िया तरीका हो सकता है. इसमें आप एक सस्ती प्रॉपर्टी से शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे उससे मिलने वाली कमाई या बढ़ती कीमत का इस्तेमाल कर आगे और प्रॉपर्टी खरीदते हैं.
कैसे होती है शुरुआत?
सबसे पहले आप एक ऐसी प्रॉपर्टी खरीदते हैं जो आपके बजट में हो – जैसे डुप्लेक्स या छोटा फ्लैट. इसके लिए आप डाउन पेमेंट करते हैं और बाकी रकम के लिए लोन लेते हैं. फिर उस घर को किराए पर दे देते हैं ताकि किराए से लोन की EMI और बाकी खर्च निकल जाएं.
इक्विटी कैसे बनती है?
जैसे-जैसे समय बीतता है, उस घर की कीमत बढ़ती है और आप लोन की कुछ किश्तें चुका देते हैं. इस तरह प्रॉपर्टी में आपकी हिस्सेदारी (इक्विटी) बढ़ती है. अब आप इस इक्विटी को निकालकर (रीफाइनेंस या बेचकर) किसी दूसरी बड़ी प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं.
उदाहरण से समझिए
साल 1: आपने ₹20 लाख की डुप्लेक्स खरीदी, ₹4 लाख डाउन पेमेंट देकर.
साल 5: घर की कीमत ₹25 लाख हो गई और आपने ₹3 लाख लोन चुका दिया. अब आपके पास करीब ₹8 लाख की इक्विटी हो गई.
साल 6: इस इक्विटी में से ₹5 लाख निकालकर आप ₹30 लाख की नई प्रॉपर्टी में डाउन पेमेंट करते हैं.
साल 10: अब आपके पास दो प्रॉपर्टी हैं, दोनों की कीमत और किराया दोनों बढ़े हैं. अब आप तीसरी और बड़ी प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं.
फायदे
थोड़े पैसों से शुरुआत करके धीरे-धीरे बड़ा निवेश पोर्टफोलियो बनाना.
किराए से लगातार आमदनी.
टैक्स में छूट (जैसे लोन ब्याज और डिप्रिशिएशन पर).
वक्त के साथ संपत्ति की कीमतों में बढ़ोतरी.
जोखिम
अगर मार्केट गिरा तो प्रॉपर्टी की कीमत घट सकती है.
ज्यादा लोन लेने से तनाव बढ़ सकता है अगर किराया न मिले.
प्रॉपर्टी की देखरेख में वक्त और पैसा दोनों लगते हैं.
ब्याज दर बढ़ी तो EMI बढ़ सकती है.
ध्यान देने वाली बातें
अच्छी लोकेशन और किराये की डिमांड देखें.
ये ज़रूरी है कि किराया आपके खर्च पूरे करे और थोड़ा मुनाफा भी दे.
फाइनेंसिंग के विकल्प और शर्तें समझें.
कब प्रॉपर्टी बेचना है और कब रखना है – इसकी पहले से प्लानिंग करें.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessपहली प्रॉपर्टी ही दिलाएगी दूसरी, तीसरी और पता नहीं कितनी, समझ लें ये रणनीति
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