Agency:भाषाLast Updated:January 28, 2025, 16:28 ISTप्रॉपइक्विटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत के प्रमुख नौ शहर आवास संकट का सामना कर रहे हैं. किफायती मकानों के बजाय बिल्डर लक्जरी घर बनाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.फाइल फोटोनई दिल्ली. पिछले साल देश के 9 प्रमुख शहरों में एक करोड़ रुपये तक की कीमत वाले किफायती और मध्यम आय वर्ग के लिए घरों की नई आपूर्ति 30 प्रतिशत घटकर लगभग 1.99 लाख इकाई रह गई. रियल एस्टेट क्षेत्र के आंकड़ों का विश्लेषक करने वाली कंपनी प्रॉपइक्विटी ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी. प्रॉपइक्विटी ने मंगलवार को बताया कि भारत के प्रमुख नौ शहर आवास संकट का सामना कर रहे हैं. अधिकांश भारतीय नौकरी के लिए इन शहरों का रुख करते हैं. प्रॉपइक्विटी ने किफायती और मध्यम आय वाले घरों की नई आपूर्ति में इस गिरावट का कारण यह है कि आज बिल्डर लक्जरी घर बनाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
प्रमुख नौ शहरों में किफायती और मध्यम आय वर्ग (एक करोड़ रुपये और उससे कम कीमत) में घरों की आपूर्ति 2024 में 1,98,926 इकाई रह गई है, जो 2023 में 2,83,323 इकाई थी. वहीं, साल 2022 में इस खंड में घरों की आपूर्ति 3,10,216 इकाई थी.
जनसंख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर जसूजा ने कहा, “आज भारत की आठ प्रतिशत आबादी पहली श्रेणी के शहरों में रहती है और अगले पांच वर्षों में यह संख्या तेजी से बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अधिक लोग रोजगार के अवसरों के लिए इन शहरों में जा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि यदि सरकार द्वारा समय रहते इस श्रेणी में आपूर्ति की कमी पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे आस्ट्रेलिया और कनाडा जैसा आवास संकट पैदा हो जाएगा. जसूजा ने कहा, “बढ़ते प्रवास और एकल परिवारों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अनुमान है कि अगले पांच साल में इन शहरों में 1.5 करोड़ घरों की आवश्यकता होगी.”
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 28, 2025, 16:28 ISThomebusinessआवास संकट: अब 60-70 लाख में नहीं मिलेगा घर, इन 9 शहरों में सप्लाई घटी
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