Last Updated:July 02, 2025, 07:55 ISTग्रैंड ओमैक्स और फॉरेस्ट स्पा में कुल 1,692 फ्लैट्स हैं. इनमें से 678 फ्लैट्स की रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई है. वर्ष 2018 में ग्रैंड ओमैक्स के 30 फ्लैट खरीदारों ने हाईकोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि बिल्डर ने …और पढ़ेंबिल्डर ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह बची हुई राशि भी चुकाने को तैयार है.हाइलाइट्सओमैक्स ग्रैंड व फॉरेस्ट स्पा में 678 फ्लैट्स की नहीं हुई है रजिस्ट्री.साल 2018 में खरीदारों ने किया था हाईकोर्ट का रुख.अब हाईकोर्ट ने 220 फ्लैट्स की रजिस्ट्री का खोला रास्ता.नई दिल्ली. ग्रैंड ओमैक्स और फॉरेस्ट स्पा प्रोजेक्ट्स के सैकड़ों फ्लैट खरीदारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने सेक्टर 93बी स्थित इन दोनों आवासीय परियोजनाओं में फ्लैट रजिस्ट्री की अनुमति दे दी है. इस आदेश के बाद करीब 220 परिवारों को फ्लैट्स के कानूनी दस्तावेज मिलने का रास्ता साफ हो गया है. बिल्डर ने हाईकोर्ट में यूपी की अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए पेश की गई रिहेबिटिलिएशन पॉलिसी के तहत अतिरिक्त 25 करोड़ रुपये दो हफ्तों के भीतर जमा करने की पेशकश की. 93 करोड़ रुपये पहले ही बिल्डर जमा करा चुका है. अब 25 करोड़ जमा कराने का वादा करने पर उसे 50 फ्लैट्स की रजिस्ट्री करवाने की अनुमति मिल गई जबकि 170 फ्लैट्स की रजिस्ट्री की मंजूरी पहले मिली थी;
ग्रैंड ओमैक्स और फॉरेस्ट स्पा में कुल 1,692 फ्लैट्स हैं. इनमें से 678 फ्लैट्स की रजिस्ट्री अब तक नहीं हुई है. वर्ष 2018 में ग्रैंड ओमैक्स के 30 फ्लैट खरीदारों ने हाईकोर्ट का रुख किया और आरोप लगाया कि बिल्डर ने लीज प्रीमियम का भुगतान नहीं किया, जिसके चलते उन्हें त्रिपक्षीय सब-लीज डीड नहीं मिल मिली, जबकि उन्होंने पूरी कीमत चुका दी थी. 23 मार्च 2018 को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में नोएडा प्राधिकरण को यह निर्देश दिया कि तब तक कोई नया ऑक्यूपेशन या कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी न किया जाए जब तक आगे आदेश न दिया जाए. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि बिल्डर बकाया रकम ब्याज सहित जमा करता है तो प्रमाणपत्र जारी किए जा सकते हैं.
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यूपी सरकार की नई योजना से खुला रजिस्ट्री का रास्ता
दिसंबर 2023 में यूपी सरकार ने रुकी परियोजनाओं को राहत देने के लिए एक नई नीति लागू की, जिसमें यह प्रावधान था कि डिवेलपर यदि पुनर्गणना के बाद बकाया का 25% जमा करता है, तो परियोजना को फिर से शुरू किया जा सकता है. बिल्डर की मूल बकाया राशि ₹545 करोड़ थी, जिसे कोविड काल के दो साल के ‘जीरो पीरियड’ को ध्यान में रखते हुए घटाकर ₹374 करोड़ कर दिया गया. इसके बाद 25% यानी ₹93 करोड़ की पहली किस्त जमा करने के बाद 170 फ्लैट्स के लिए रजिस्ट्री की अनुमति दी गई.
बिल्डर और पैसा देने को हुआ राजी
हाल ही की सुनवाई में बिल्डर ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह बची हुई राशि भी चुकाने को तैयार है ताकि बाकी फ्लैट्स की रजिस्ट्री भी हो सके. 29 मई को कोर्ट ने एक समझौते का सुझाव दिया, जिस पर बिल्डर ने एक महीने के भीतर ₹25 करोड़ जमा करने की सहमति दे दी. नोएडा अथॉरिटी ने कोर्ट को सूचित किया कि इस राशि से 50 और रजिस्ट्री की जा सकेंगी और दोनों परियोजनाओं के लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) और अन्य आवश्यक अनुमतियों में कोई रुकावट नहीं रहेगी.
एक सप्ताह में निपटाएं सब-लीज विवाद
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने प्राधिकरण की इस रिपोर्ट को स्वीकार किया और कहा कि चार हफ्तों के भीतर दोनों परियोजनाओं को OC जारी किए जा सकते हैं. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी खरीदार के सब-लीज़ अधिकार को लेकर उत्पन्न विवाद को प्राधिकरण के सीईओ द्वारा एक सप्ताह के भीतर निपटाया जाए. साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई पात्र खरीदार दो हफ्तों के भीतर औपचारिकताएं पूरी नहीं करता, तो अगले वरीयता प्राप्त व्यक्ति को मौका दिया जाएगा.
अगली सुनवाई में पेश करनी होगी प्रगति रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्री प्रक्रिया के लिए खरीदारों की सूची, जिसमें खरीद की तारीख या बुकिंग की तिथि हो, और फॉरेस्ट स्पा एओए द्वारा दी गई ट्रांसफरीज़ और जॉइंट ओनर्स की सूची मान्य होगी. कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से अगली सुनवाई तक एक स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा है, जिसमें रजिस्ट्री की प्रगति और बाकी बची समस्याओं की जानकारी होनी चाहिए, ताकि पात्र परिवारों को जल्द से जल्द उनके घरों का कानूनी अधिकार मिल सके.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessनोएडा के ‘फंसे’ फ्लैट्स की रजिस्ट्री का रास्ता खुला, 220 घरों को मिली खुशखबरी
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