36 साल बाद जीडीए फ्लैट मालिकों से वसूलेगा ₹200 करोड़

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Last Updated:January 28, 2025, 07:24 ISTसुप्रीम कोर्ट के इलाहाबाद हाईकोर्ट के भूमि अधिग्रहण का बढा मुआवजा किसानों को देने के आदेश को बरकरार रखने के बाद जीडीए से फ्लैट मालिकों से पैसे वसूलने की योजना बनाई है.1986-89 के बीच गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने वैशाली में 453 एकड़ जमीन 50 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से अधिग्रहित की थी. (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)हाइलाइट्सजीडीए ने वैशाली के फ्लैट मालिकों से ₹200 करोड़ वसूलने का प्रस्ताव मंजूर किया.सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.36 साल पुराने भूमि अधिग्रहण मामले में वसूली की जाएगी.नई दिल्‍ली. गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने सोमवार को वैशाली के फ्लैट और प्लॉट मालिकों से ₹200 करोड़ वसूलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. यह वसूली 36 साल पुराने भूमि अधिग्रहण मामले के तहत की जाएगी. यह फैसला मेरठ में मंडलायुक्त ऋषिकेश भास्कर यशोद की अध्‍यक्षता में हुई जीडीए बोर्ड की बैठक में लिया गया. बैठक में कुल 16 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और 14 को मंजूरी दी गई.

1986-89 के बीच गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने वैशाली में 453 एकड़ जमीन 50 रुपये प्रति वर्ग गज की दर से अधिग्रहित की थी. लेकिन 1991 में किसानों ने मुआवजे में बढ़ोतरी की मांग करते हुए अदालत का रुख किया. 2001 में जिला अदालत ने मुआवजा बढ़ाकर 160 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया. जीडीए  ने इस फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी,  जहां 2017 में मुआवजा बढ़ाकर 297 रुपये प्रति वर्ग गज कर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट में भी GDA को राहत नहीं मिलीइलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन, यहां भी जीडीए को राहत नहीं दी और सुप्रीम कोर्ट ने GDA को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया.

कैसे होगी वसूली?गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के  सचिव राजेश कुमार सिंह ने बताया कि “यह वसूली अदालत के आदेश के तहत की जा रही है. वैशाली के फ्लैट और प्लॉट मालिकों से यह राशि ली जाएगी.” उन्होंने कहा, “हम वसूली प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं. यह GDA का एकतरफा निर्णय नहीं है, बल्कि अदालत द्वारा अनिवार्य है.”

अन्य फैसलेबैठक में बहुमंजिला इमारतों के संरचनात्मक ऑडिट को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. यह निर्णय क्रेडाई (डेवलपर्स की संस्था) के साथ चर्चा होने तक टाला गया है. मूल नियम के तहत, बहुमंजिला इमारतों का संरचनात्मक ऑडिट हर तीन साल में आईआईटी (IIT), एनआईटी (NIT) या समकक्ष संस्थानों द्वारा किया जाना था. इसकी जिम्मेदारी डेवलपर्स या अपार्टमेंट मालिक संघों (AOA) पर थी.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 28, 2025, 07:24 ISThomebusiness36 साल बाद जीडीए फ्लैट मालिकों से वसूलेगा ₹200 करोड़

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