नई दिल्ली. अक्सर सुनने में आता है कि जमीन-जायदाद का झगड़ा चल रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जमीन और जायदाद दो अलग-अलग चीजें है, न कि एक? बहुत कम लोगों ने इसका बारे में सोचा होगा. भारतीय कानून के हिसाब से ये दो अलग-अलग अवधारणाएं है, लेकिन एक-दूसरे से इनका संबंध जरूर होता है. चलिए जानते हैं कि भारतीय कानून में इन दोनों का क्या अर्थ और कब-कब किस शब्द का इस्तेमाल किया जाना उपयुक्त होता है.
पहले बात करते हैं जमीन की. जैसा कि नाम से ही साफ है यह भूमि का एक या अधिक टुकड़े हो सकते हैं. जमीन एक भौतिक प्रॉपर्टी होती है, जिसे किसी खास स्थान पर स्थित होता है. यह एक अचल संपत्ति है, जिसका भूगोल, आकार और सीमा स्पष्ट तौर से निर्धारित होती है. जमीन में खेत, बाग, रिहायशी भूमि, व्यापारिक भूमि आदि शामिल हो सकती है. जमीन का किसी व्यक्ति या संस्था का मालिकाना हक हो सकता है. इसे खरीदा बेचा जा सकता है और लीज पर भी दिया जा सकता है.
अब बात आती है जायदाद की. इसे अंग्रेजी में प्रॉपर्टी या एसेट (Property/Assets) कहते हैं. जमीन के मुकाबले जायदाद व्यापक है. जायदाद में भूमि (जमीन) शामिल हो सकती है. इसमें चल संपत्तियां (जैसे वाहन, आभूषण, बैंक बैलेंस, शेयर, आदि) तो होती ही हैं, साथ ही में अचल संपत्तियां (जैसे भूमि, भवन, मकान, अपार्टमेंट, आदि) भी शामिल किए जाते हैं. जायदाद में कोई भी भौतिक संपत्ति जो किसी व्यक्ति के पास हो, शामिल हो सकती है.
भारतीय कानून के हिसाब से?भारतीय कानून में जायदाद (Property) के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की संपत्तियां आती हैं. इन संपत्तियों को मुख्य रूप से दो कैटेगरीज़ में बांटा गया है.
1. अचल संपत्ति (Immovable Property): भूमि और उस पर बनी इमारतें (जैसे मकान, अपार्टमेंट, दुकानें, कमर्शियल परिसर आदि). जमीन का स्वामित्व होता है, उसे खरीदा-बेचा जा सकता है और किराए पर भी दिया जा सकता है. अचल संपत्ति में अन्य संपत्तियां भी शामिल हो सकती हैं जैसे कि जलाशय, पार्क, और वन भूमि आदि.
2. चल संपत्ति (Movable Property): इसमें वाहन, बैंक बैलेंस, आभूषण, नगदी, शेयर, बॉन्ड्स, सामान आदि शामिल हैं. चल संपत्ति वह संपत्ति होती है, जो स्थान बदल सकती है, जैसे कि वाहन, मशीनरी, या अन्य व्यक्तिगत चीजें.
जायदाद का मैनेजमेंट और ऑनरशिपभारत में जायदाद के मैनेजमेंट और ऑनरशिप को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कानूनी व्यवस्थाएं हैं. भारतीय संपत्ति कानून इनमें से एक है. दूसरा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, तीसरा मुस्लिम पर्सनल लॉ है. इसके अलावा राजस्व कानून और भूमि अधिग्रहण कानून, और संपत्ति अधिनियम 1993 भी हैं. चलिए इन पांचों के बारे में भी जान लेते हैं.
1. भारतीय संपत्ति कानून (Indian Property Law): भारतीय संपत्ति कानून, भारतीय संपत्ति अधिनियम 1882 के तहत आता है, जो अचल संपत्ति के हस्तांतरण और संपत्ति संबंधित अन्य मामलों को नियंत्रित करता है. इसके अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय अनुबंध अधिनियम (Indian Contract Act, 1872) भी संपत्ति के लेन-देन और अन्य कानूनी पहलुओं को नियंत्रित करते हैं.
2. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act, 1956): यह कानून हिंदू परिवारों में संपत्ति के वितरण के लिए लागू होता है. इसमें संपत्ति के स्वामित्व और उत्तराधिकार से संबंधित नियम निर्धारित किए गए हैं.
3. मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law): मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्ति के स्वामित्व और बंटवारे के संबंध में शरीयत कानून लागू होता है, जो संपत्ति के अधिकारों को निर्धारित करता है.
4. राजस्व कानून और भूमि अधिग्रहण कानून: भूमि के स्वामित्व और उसे सरकारी उद्देश्यों के लिए अधिग्रहण करने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून (Land Acquisition Act) और अन्य संबंधित कानून लागू होते हैं.
5. संपत्ति का हस्तांतरण अधिनियम, 1993 (The Transfer of Property Act, 1882): यह कानून संपत्ति के हस्तांतरण, बिक्री, किराए पर देने, लीज पर देने, और अन्य संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है.
Tags: Property, Property dispute, Property valueFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 08:42 IST
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