जो घर खरीद रहे हैं वो लीगल है या भी या नहीं, इन तरीकों से कर लें चेक

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नई दिल्ली. घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन अगर आपने बिना जांच-पड़ताल के जल्दबाजी में पैसा लगा दिया और बाद में पता चला कि प्रॉपर्टी में कोई कानूनी पेंच है, तो सालों की मेहनत और सपने चकनाचूर हो सकते हैं. भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े धोखाधड़ी के मामले आम हैं—फर्जी दस्तावेज, गलत मालिकाना हक, बिना मंजूरी के बनी बिल्डिंग या बकाया कर्ज जैसी समस्याएं आपको आर्थिक और मानसिक परेशानी में डाल सकती हैं. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं! कुछ आसान कदमों से आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका सपनों का घर पूरी तरह कानूनी है और आपका पैसा सुरक्षित रहे. आइए जानते हैं कि घर खरीदने से पहले किन दस्तावेजों और बातों की जांच करनी चाहिए.

सबसे पहले टाइटल डीड की जांच करें. यह दस्तावेज बताता है कि प्रॉपर्टी का मालिक कौन है. सुनिश्चित करें कि यह मौजूदा मालिक के नाम पर है और इसमें प्रॉपर्टी का पूरा इतिहास, जैसे पिछले मालिकों का विवरण, दर्ज है. टाइटल डीड में प्रॉपर्टी का सही पता, खसरा नंबर और क्षेत्रफल होना चाहिए. इसे किसी प्रॉपर्टी वकील से सत्यापित करवाएं, ताकि कोई फर्जीवाड़ा न हो. अगर टाइटल डीड में कोई गड़बड़ है, तो प्रॉपर्टी खरीदने से पहले दो बार सोचें.

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इसके बाद सेल डीड देखें. यह वह दस्तावेज है, जो प्रॉपर्टी के हस्तांतरण को दर्शाता है. सेल डीड रजिस्टर्ड होनी चाहिए और उसमें खरीद-बिक्री की तारीख, राशि, दोनों पक्षों के हस्ताक्षर और प्रॉपर्टी का विवरण होना चाहिए. अगर सेल डीड पुरानी है, तो स्थानीय रजिस्ट्रार कार्यालय में जाकर जांच लें कि वह वैध है या नहीं. कई बार फर्जी सेल डीड से धोखा हो सकता है, इसलिए इसे हल्के में न लें.

एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (EC) भी बहुत जरूरी है. यह सर्टिफिकेट बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई कर्ज, बंधक (मॉरगेज) या कानूनी विवाद तो नहीं है. EC में पिछले 12-15 साल का रिकॉर्ड होना चाहिए, ताकि पुराने विवादों का पता चल सके. अगर EC में कोई “भार” (encumbrance) दिखता है, तो मालिक से उसे साफ करवाएं. यह सर्टिफिकेट आप सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से ले सकते हैं. बिना EC के प्रॉपर्टी खरीदना जोखिम भरा हो सकता है.

प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें भी चेक करें. यह सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया टैक्स नहीं है. पिछले 3-5 साल की टैक्स रसीदें देखें और स्थानीय नगर निगम या पंचायत कार्यालय से बकाया टैक्स की स्थिति जांच लें. अगर टैक्स बकाया है, तो उसे खरीद से पहले साफ करवाएं, नहीं तो बाद में आपको परेशानी हो सकती है.

अगर आप फ्लैट या अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) जरूर देखें. यह दस्तावेज बताता है कि बिल्डिंग को स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी मिली है और यह रहने के लिए सुरक्षित है. बिना OC वाली बिल्डिंग में लोन लेना मुश्किल हो सकता है, और ऐसी प्रॉपर्टी अवैध भी हो सकती है. अगर बिल्डर OC नहीं दिखाता, तो यह खतरे की घंटी है.

स्थानीय रजिस्ट्रार कार्यालय में जाकर प्रॉपर्टी के दस्तावेजों का सत्यापन करें. टाइटल डीड, सेल डीड और EC को रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड से मिलाएं. यह सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन वैध है. कार्यालय में कर्मचारियों से बात करें और जरूरी शुल्क देकर रिकॉर्ड चेक करें. यह कदम आपको फर्जी दस्तावेजों से बचा सकता है.

हर राज्य का अपना भूमि रिकॉर्ड पोर्टल होता है, जैसे उत्तर प्रदेश का भूलेख, महाराष्ट्र का 7/12 या कर्नाटक का भोजपत्र. इन पोर्टल्स पर प्रॉपर्टी का मालिकाना हक, खसरा नंबर, क्षेत्रफल और जमीन का प्रकार (कृषि या गैर-कृषि) चेक करें. अगर पोर्टल पर जानकारी दस्तावेजों से मेल नहीं खाती, तो तहसील कार्यालय से संपर्क करें. यह ऑनलाइन चेक करने का आसान और भरोसेमंद तरीका है.

अगर आप बिल्डर से फ्लैट या प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, तो RERA (Real Estate Regulatory Authority) पोर्टल पर जरूर जाएं. वहां प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर, बिल्डर की विश्वसनीयता, प्रोजेक्ट की मंजूरी और डिलीवरी टाइमलाइन चेक करें. अगर प्रोजेक्ट RERA में रजिस्टर्ड नहीं है, तो उसे खरीदने से बचें. साथ ही, बिल्डर के खिलाफ पुरानी शिकायतों का रिकॉर्ड भी देखें, ताकि आपको उनकी साख का पता चले.

सबसे जरूरी, अगर आपको दस्तावेजों या प्रॉपर्टी की कानूनी स्थिति पर जरा भी शक हो, तो कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें. एक प्र Monitors property वकील टाइटल डीड, EC, सेल डीड और अन्य दस्तावेजों की गहराई से जांच कर सकता है. अगर कोई कोर्ट केस या विवाद है, तो वकील उसका समाधान सुझाएगा. वकील की फीस में कंजूसी न करें, क्योंकि यह छोटा खर्च आपको लाखों रुपये के नुकसान से बचा सकता है.

उदाहरण के लिए, दिल्ली के राकेश वर्मा ने एक बिल्डर से फ्लैट खरीदा, लेकिन जल्दबाजी में उन्होंने OC और EC की जांच नहीं की. बाद में पता चला कि बिल्डिंग बिना मंजूरी के बनी थी और उस पर बैंक का कर्ज बकाया था. राकेश का 60 लाख रुपये का निवेश अटक गया, और उन्हें कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. अगर उन्होंने पहले दस्तावेज चेक किए होते, तो यह नौबत न आती.

कुछ आसान टिप्स: जल्दबाजी न करें, हर दस्तावेज को समय देकर चेक करें. RERA, भूमि रिकॉर्ड पोर्टल और नगर निगम की वेबसाइट्स का इस्तेमाल करें. आसपास के लोगों या प्रॉपर्टी डीलरों से प्रॉपर्टी की हिस्ट्री पूछें. अगर बैंक लोन देने से मना करे, तो समझ जाएं कि प्रॉपर्टी में कुछ गड़बड़ हो सकती है.

घर खरीदना सिर्फ पैसों का निवेश नहीं, बल्कि आपके परिवार और सपनों की सुरक्षा का सवाल है. टाइटल डीड, सेल डीड, एनकम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें, ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट, RERA और वकील की सलाह. ये कदम आपकी मेहनत की कमाई को बर्बाद होने से बचाएंगे. तो, थोड़ा समय निकालें, इन जांचों को पूरा करें, और अपने सपनों के घर को पूरी तरह कानूनी बनाएं. जब आप अपने घर की चाबी हाथ में लेंगे, तो मन में सुकून होगा कि आपका पैसा और सपना दोनों सुरक्षित हैं!

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