Last Updated:April 30, 2025, 11:54 ISTगाजियाबाद में अवैध निर्माण रोकने के लिए जीडीए ने AI आधारित टूल का उपयोग करने का फैसला किया है. यह टूल ड्रोन, सैटेलाइट इमेज और स्मार्ट एल्गोरिदम से अवैध निर्माण की पहचान करेगा.यह टूल ड्रोन, सैटेलाइट इमेज और स्मार्ट एल्गोरिदम के जरिए यह पता लगाएगा कि किसने कहां अवैध निर्माण हुआ है. (प्रतीकात्मक तस्वीर )हाइलाइट्सगाजियाबाद में अवैध निर्माण रोकने के लिए AI टूल का उपयोग होगा.ड्रोन, सैटेलाइट इमेज और एल्गोरिदम से अवैध निर्माण की पहचान होगी.हर तीन महीने में सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण किया जाएगा.नई दिल्ली. अवैध निर्माण अब एक बड़ी समस्या बन चुका है. सरकार इसे रोकने में अब तक तो असफल रही है. इसका कारण सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार है. लेकिन, अब गाजियाबाद में अवैध निर्माण करने वालों और बिना मंजूरी कालोनी काटने की खैर नहीं है. शहर में कहीं भी अवैध निर्माण होते ही तुरंत प्रशासन को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को पता चलेगा. दरअसल, अब जीडीए ने अवैध निर्माण पर डिजिटल निगरानी रखने का फैसला लिया है. जल्द ही शहर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से अवैध निर्माणों की पहचान की जाएगी.
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने शहर में अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित टूल का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है. यह टूल ड्रोन, सैटेलाइट इमेज और स्मार्ट एल्गोरिदम के जरिए यह पता लगाएगा कि किसने कहां अवैध निर्माण और अतिक्रमण किया है. यह तकनीक पहले से वाराणसी विकास प्राधिकरण इस्तेमाल कर रहा है और यह काफी कारगर साबित हुई है. इस पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च होंगे.
हर तीन महीने में मिलेगा अपडेटइस एआई इनेब्लड सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि यह हर तीन महीने में सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण करेगा और मौजूदा मास्टर प्लान से तुलना करेगा. अगर कहीं कोई निर्माण मास्टर प्लान के खिलाफ किया गया है, तो यह सिस्टम तुरंत उसे पकड़ लेगा. यह सारी जानकारी इंफोर्समेंट टीम को उस जगह के लोकेशन कोऑर्डिनेट्स के साथ भेज देगा. GDA उपाध्यक्ष अतुल वत्स का कहना है कि सिस्टम द्वारा अवैध निर्माण की पहचान करने के बाद टाउन प्लानिंग विभाग मौके पर जाकर हर मामले की जांच करेगा, फिर इंफोर्समेंट टीम द्वारा कार्रवाई की जाएगी.
ऐसे पकड़ में आएगा अवैध निर्माणसॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के विशेषज्ञ रितेश कुमार ने इस सप्ताह जीडीए के समक्ष इस सिस्टम का प्रेजेंटेशन दिया था. रितेश ने बताया कि किसी क्षेत्र को मैप करने के दो तरीके हैं — 2D और 3D. 2D तकनीक क्षैतिज (horizontal) सतह पर काम करती है, जबकि 3D तकनीक क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर (vertical) निर्माणों को पकड़ती है.
2D तकनीक के तहत एक निश्चित समय अंतराल पर ली गई सैटेलाइट इमेज को कुछ महीनों बाद की दूसरी इमेज से तुलना की जाती है और यह देखा जाता है कि कॉलोनी के निर्माण पैटर्न में क्या बदलाव आया है. फिर इसे मंजूरशुदा नक्शे से मिलाया जाता है ताकि अवैध निर्माण की स्थिति स्पष्ट हो सके. यानी अब ऊपर से नीचे तक सबकुछ सिस्टम की नजर में रहेगा.
पहले भी हुआ प्रयास2018 में GDA ने लखनऊ के रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (RSAC) की मदद से इसी तरह का प्रयोग किया था, लेकिन यह योजना कागजों से बाहर नहीं आ सकी. हालांकि उस समय भी करीब 250 अवैध कॉलोनियों की पहचान कर ली गई थी.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :April 30, 2025, 11:54 ISThomebusinessअवैध निर्माण पर लगेगा AI का पहरा, बिना मंजूरी एक ईंट भी लगाई तो खैर नहीं
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