नई दिल्ली. इसमें कोई कोई दो राय नहीं कि खुद के घर में रहने का आनंद अलग ही होता है. सुख, स्वायत्ता, स्वच्छंदता की जो अनुभूति अपने घर में होती है वह किराये के मकान में मिल पाना संभव नहीं रहता. किराये के मकान में रहने पर अक्सर पार्किंग, आवाजाही, कॉमन एरिया के इस्तेमाल के अलावा बिजली-पानी के बिलों को लेकर समस्याएं रहती हैं. साथ ही एक नियत समय के बाद किराये के घर को खाली करना पड़ ही जाता है फिर चाहे किरायेदार और उस संपत्ति के मालिक के आपसी संबंध कितने ही सौहार्दपूर्ण क्यों न हों. ऐसे में जरूरत पड़ती हैं अपने सपनों के घर की. तो, जब आपको भी घर अपने और परिवार के लिए खरीदना हो, तो क्या करना चाहिए.
बीते डेढ़ दशकों के आंकड़े इशारा करते हैं कि 35 से 45 साल की आयु वर्ग के लाखों लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपने घर के सपने को साकार किया है. अगर आप भी अपना घर खरीदने का विचार कर रहे हैं तो तो किसी भी क्षेत्र में कोई संपत्ति को लेकर अंतिम निर्णय तक पहुंचने से पहले इन बातों पर जरूर गौर कर लें. इन 6 बातों को ध्यान में रखते हुए आपने घर बनाया तो निश्चित मानिए कि आपका परिवार इसमें सुकून और स्वर्ग जैसी अनुभूति करेगा.
सबसे पहले बजट देखें
कोई भी संपत्ति खरीदने से पहले जरूरी है कि आप यह निश्चित करें कि आप उसके लिए कितना पैसा खर्च कर सकते हैं. यह सुनिश्चित करें कि उसे खरीदने के लिए आप खुद अपनी जमा पूंजी का इस्तेमाल करेंगे या अपने शुभचिंतकों व बैंक और वित्तीय संस्थानों से कुछ कर्ज लेंगे. अगर आप अपनी जेब से पैसे लगा रहे हैं तो ज्यादा चिंता की बात नहीं, लेकिन लोन लेने की स्थिति में आपको अपने महीने के खर्चों के साथ ही आने वाले समय में बढ़ने वाले खर्चों पर भी विचार करना होगा. मसलन, बच्चों की पढ़ाई या फिर शादी पर होने वाले खर्च को जेहन में रखते हुए ही कोई निर्णय लें.
भविष्य की जरूरतों का ध्यान
अगर मौजूदा समय में आपका काम एक बेडरूम के फ्लैट यानी दो कमरों के घर में चलने की संभावना है तो आप कतई यह न समझें की भविष्य में आपकी इस जरूरत में कोई बदलाव नहीं होगा. लिहाजा अपना घर खरीदते समय अपनी भविष्य की जरूरतों पर ध्यान दें, जैसे आपके घर में आप के माता—पिता और जीवनसाथी सहित कुल चार सदस्य हों और आप दो बेडरूम अर्थात तीन कमरों का घर लेने पर विचार कर रहे हों तो उसे चार कमरों में परिवर्तित करें. ऐसा करने से जब आपकी संतान बड़ी होगी या फिर घर में विशिष्ट मेहमानों के आने पर आपको घर में जगह या कमरों की तंगी का अहसास नहीं होगा.
आसपास का इलाका और लिविंग कॉस्ट
आप जहां घर खरीद रहे हैं, वहां की लिविंग कॉस्ट और आसपास की जगहों को देखना भी जरूरी है. यह समझें कि नए बसते हुए इलाकों में संपत्तियां जरूर सस्ती मिल जाती है, लेकिन वहां की लिविंग कॉस्ट महंगी होती है. लिविंग कॉस्ट का मतलब वहां तक पहुंचने के लिए साधनों पर होने वाले खर्च के अलावा रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने पर होने वाले व्यय से है. यह ध्यान रखें कि एक ही क्षेत्र में बसी अलग—अलग कॉलोनियों में सुख—सुविधाओं से लेकर रहन—सहन पर होने वाला खर्च बदल जाता है. ऐसा वहां की साफ—सफाई, सुरक्षा, मकानों की बनावट, खुलेपन, पार्किंग के अलावा हरियाली जैसी विभिन्न सुविधाओं की वजह से होता है.
सुरक्षा के लिए अपराध दर
आप जिस किसी भी शहर में घर खरीदें लेकिन किसी क्षेत्र विशेष को चुनते समय वहां के अपराध दर के बारे में जरूर ध्यान दें. दिल्ली—एनसीआर के ही अलग—अलग शहरों की बात करें तो हर शहर में अलग—अलग अपराधों की संख्या में विभेद और असमानता दिखती है. इसी तरह इन शहरों के विभिन्न इलाकों को चरणबद्ध तरीके से देखें तो चुनिंदा क्षेत्र ही ऐसे दिखेंगे ज्यादा अपराध की बहुलता होगी. प्रॉपर्टी डीलरों और आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों से सुरक्षा और अपराध पर जरूर बात करें. इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस कॉलानी या सोसायटी में आपने घर लेने का निर्णय किया हो वह सुरक्षा के द्ष्टिकोण से चाक—चौबंद हो लेकिन यह देखना भी जरूरी है कि जो सड़कें आपको आपके घर और सोसायटी तक पहुंचाएंगी वह कितनी सुरक्षित हैं.
रोजगार और भविष्य की सुविधा
ऐसे रिहाइशी इलाके जिसके निकट आफिस स्पेस हों, फैक्टरियां या फिर रिटेल की व्यवस्थाएं हों उसकी मांग निरंतर रहती है. साथ ही दामों में समय के साथ उछाल आता रहता है. यही नहीं घर के नजदीक ही यदि रोजगार के साधन भी उपलब्ध हो जाएं तो आवाजाही में लगने वाले वक्त की बचत भी होती है. यही वजह है कि बीते दो से तीन दशकों के दौरान नोएडा और गुड़गांव के अलावा पुणे, बैंगलुरु की मांग काफी बढ़ी है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर भी परखें
इन्फ्रास्ट्रक्चर भी घर की खरीद का एक अहम तत्व है. आप जहां घर खरीद रहे हैं, वहां की सड़कें और उनकी चौड़ाई कैसी है, ट्रैफिक जाम की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था कैसी है, सीवेज के साथ ड्रेनेज, खरीदारी—स्कूल की सुविधाएं वगैरह छोटी—छोटी चीजों को देखना भी आवश्यक है. ऐसा होने से घर खरीदने के बाद आगामी कई वर्षों तक के लिए इन सब बातों की आपको चिंता की जरूरत नहीं होगी. ऐसे में इन उपरोक्त बिंदुओं को जेहन में रखते हुए यदि आप कोई घर खरीदते हैं आपको एक लंबे समय तक उसे बदलने या फिर उस क्षेत्र विशेष को छोड़कर किसी दूसरी जगह जाने की जरूरत महसूस नहीं होगी.
Tags: Business news, Property, Property investment, Taking a home loan
FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 19:30 IST
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