नई दिल्ली. जब शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ती है, तो निवेशक ऐसे विकल्पों की तलाश में रहते हैं जहां रिटर्न तो मिले ही, साथ में पूंजी की सुरक्षा भी बनी रहे. ऐसे माहौल में बॉन्ड एक बार फिर से ‘स्थिर और सुरक्षित निवेश’ के रूप में उभरा है. अमेरिकी टैरिफ, महंगाई और वैश्विक तनावों ने जहां इक्विटी मार्केट को प्रभावित किया है, वहीं बॉन्ड ने लगातार एक तयशुदा रिटर्न देने की अपनी पहचान को और मजबूत किया है.
आनंद राठी ग्लोबल फाइनेंस के उपाध्यक्ष श्रीशा आचार्य कहते हैं, “पिछले तीन महीनों में निफ्टी 50 में 5.4% की गिरावट आई है, जबकि सरकारी बॉन्ड्स 6.2%–6.8% और AAA रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स 6.8%–7.5% सालाना रिटर्न दे रहे हैं.” उनका कहना है कि बॉन्ड न सिर्फ स्थिर रिटर्न देते हैं, बल्कि पोर्टफोलियो के जोखिम को 30% तक कम करने में मदद करते हैं, खासकर दीर्घकालिक निवेशकों के लिए.
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और जागरूकता बढ़ने से बदली सोच
इंडिया बॉन्ड्स के सह-संस्थापक विशाल गोयनका का मानना है कि आज के अनिश्चित वित्तीय माहौल में बॉन्ड्स ने एक ऐसी स्थिरता दी है जिसकी आम निवेशकों को जरूरत है. उन्होंने कहा, “जहां शेयर बाजार वैश्विक घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया करता है, वहीं उच्च रेटिंग वाले बॉन्ड निवेशकों को कैश फ्लो और पूंजी की सुरक्षा देते हैं.”
बीते 5 साल का गणित: कहां कितना रिटर्न मिला?
निफ्टी 50 ने 2020–2025 के बीच कुल 19.8% का रिटर्न दिया, लेकिन साथ में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव भी रहा. गोल्ड ने सालाना 16.32% का रिटर्न दिया 10 साल के सरकारी बॉन्ड्स ने औसतन 6.19% रिटर्न दिया. AAA रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड्स ने लगभग 6.9% सालाना रिटर्न दिया.
वित्त वर्ष 2024–25 में
सोना: 41.5% रिटर्न
निफ्टी-50: 7.44% रिटर्न
सरकारी बॉन्ड्स: 6.89% औसत रिटर्न
AAA कॉरपोरेट बॉन्ड्स: 8.03% रिटर्न
फिर भी युवा निवेशक क्यों नहीं चुनते बॉन्ड?
आचार्य का कहना है, “बॉन्ड अभी भी युवाओं में लोकप्रिय नहीं हैं, क्योंकि इन्हें कम रिटर्न वाला, जटिल और परंपरागत निवेश माना जाता है. म्यूचुअल फंड्स और इक्विटी में ‘जल्दी पैसे कमाने’ की उम्मीद होती है, जबकि बॉन्ड स्थिर लेकिन धीमी आमदनी देते हैं.” हालांकि, RBI रिटेल डायरेक्ट, बॉन्ड मार्केट ऐप्स और शेयर बाजार आधारित डिजिटल बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स के आने से यह सोच अब धीरे-धीरे बदल रही है.
भारत का बॉन्ड बाजार: कहां तक पहुंचा?
भारत का कुल बॉन्ड बाजार अब 2,690 अरब डॉलर का हो चुका है.
कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट लगातार विस्तार पर है.
अब SEBI, RBI और सरकार के प्रयासों से रिटेल भागीदारी, पारदर्शिता और सुलभता में तेजी आई है.
कितना निवेश करें बॉन्ड में?
आचार्य कहते हैं कि यह आपकी उम्र और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है. एक लोकप्रिय नियम के अनुसार, 100 में से अपनी उम्र घटाएं—जो आंकड़ा आए, वह प्रतिशत इक्विटी में, और बाकी बॉन्ड और फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स में लगाया जा सकता है.
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