इस म्यूचुअल फंड के बारे में जान लिया तो इसी में डाल देंगे अपना सारा पैसा, हर तरफ से फायदे का सौदा

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हमारे देश में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. निवेशकों के लिए नए-नए विकल्प पेश किए जा रहे हैं. ये विकल्प उन लोगों के लिए हैं जो अपने निवेश पर अच्छा रिटर्न चाहते हैं, और साथ ही टैक्स बचाने का आसान तरीका ढूंढ रहे हैं. ऐसा ही एक नया विकल्प है इनकम प्लस आर्बिट्राज फंड्स (Income Plus Arbitrage Funds). ये फंड्स सामान्य डेट फंड्स (Debt Funds) का एक बेहतर और टैक्स के लिहाज से फायदेमंद विकल्प हो सकते हैं.

पिछले कुछ समय में कई म्यूचुअल फंड कंपनियों जैसे आदित्य बिड़ला सन लाइफ, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा, एचएसबीसी, बंधन, बारोडा बीएनपी परिबा, टाटा, यूनियन, यूटीआई और एसबीआई ने अपने पुराने फंड्स को नए सिरे से तैयार किया है या फिर नए फंड्स शुरू किए हैं. ये फंड्स डेट (बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स जैसे स्थिर आय देने वाले साधन) और आर्बिट्राज (शेयर बाजार में कम जोखिम वाला मुनाफा) को मिलाकर बनाए गए हैं. एक रिसर्च प्लेटफॉर्म, ACE MF के अनुसार, अप्रैल 2023 में इन फंड्स में 743 करोड़ रुपये थे, जो अप्रैल 2025 तक बढ़कर 3,161 करोड़ रुपये हो गए. यानी, लोग इन फंड्स में तेजी से पैसा लगा रहे हैं.

इनकम प्लस आर्बिट्राज फंड्स

आखिर ये फंड्स हैं क्या? तो बता दें कि ये हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स हैं, जो दो तरह के निवेश को मिलाते हैं. पहला है आर्बिट्राज, जिसमें फंड मैनेजर शेयर बाजार में कम जोखिम के साथ मुनाफा कमाते हैं. उदाहरण के लिए, वे एक शेयर को नकद बाजार में खरीदते हैं और उसी समय उसे फ्यूचर्स बाजार में बेच देते हैं. दोनों की कीमतों में अंतर से मुनाफा होता है. इसका दूसरा हिस्सा है डेट, जो स्थिर और सुरक्षित रिटर्न देते हैं. इन फंड्स में आमतौर पर 65 फीसदी पैसा आर्बिट्राज में और 35 फीसदी डेट में लगाया जाता है. इससे ये फंड्स टैक्स के हिसाब से इक्विटी फंड्स की तरह माने जाते हैं, जिससे निवेशकों को टैक्स में छूट मिलती है.

क्यों खास हैं आर्बिट्राज फंड

ये इसलिए खास हैं, क्योंकि ये पारंपरिक डेट फंड्स या लिक्विड फंड्स से बेहतर रिटर्न देने की कोशिश करते हैं और टैक्स में भी बचत होती है. 2023 के बजट में डेट फंड्स के रिटर्न पर टैक्स को निवेशक की आयकर स्लैब के हिसाब से लगाने का नियम बना, यानी अगर आप ऊंची टैक्स स्लैब में हैं, तो आपको 30 फीसदी तक टैक्स देना पड़ सकता है. लेकिन इनकम प्लस आर्बिट्राज फंड्स यदि दो साल से ज्यादा रखे जाएं तो सिर्फ 12.5% लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है, खासकर फंड ऑफ फंड्स (FoFs). इसके लिए फंड का डेट हिस्सा 65 फीसदी से कम होना चाहिए. यही वजह है कि कई कंपनियां अपने पुराने डेट फंड्स को इस नए रूप में पेश कर रही हैं.

क्या लद गए डेट फंड्स के दिन

मनी मंत्रा के संस्थापक वायरल भट्ट ने मनीकंट्रोल से कहा कि ये फंड्स हर निवेशक के लिए डेट फंड्स की जगह नहीं ले सकते. ये फंड्स टैक्स के हिसाब से फायदेमंद हैं, लेकिन इनकी बनावट थोड़ी जटिल है. इनका रिटर्न आर्बिट्राज के मौकों और डेट बाजार की स्थिरता पर निर्भर करता है. ये उन निवेशकों के लिए अच्छे हैं जो कम जोखिम चाहते हैं, टैक्स बचाना चाहते हैं और 6 महीने से 3 साल तक का निवेश करना चाहते हैं. इन फंड्स में फंड मैनेजर को यह आजादी होती है कि वे बाजार की स्थिति के हिसाब से आर्बिट्राज और डेट के बीच तालमेल बिठा सकते हैं, जिससे रिटर्न बेहतर हो और जोखिम कम रहे.

कुल मिलाकर, इनकम प्लस आर्बिट्राज फंड्स एक नया और स्मार्ट विकल्प हैं. ये उन लोगों के लिए हैं जो अपने पैसे को सुरक्षित रखते हुए अच्छा रिटर्न चाहते हैं और टैक्स बचाने का आसान रास्ता ढूंढ रहे हैं. ये फंड्स पूरी तरह से डेट फंड्स की जगह नहीं ले सकते, लेकिन 2023 के टैक्स नियमों के बाद ये एक लोकप्रिय और भरोसेमंद विकल्प बन रहे हैं. अगर आप निवेश करना चाहते हैं, तो अपने वित्तीय सलाहकार से बात करें तो बेहतर होगा.

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