कार पुरानी लें या नई, नहीं आ रहा समझ? खुद से पूछें ये सवाल, फिर करें फैसला

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नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई और कारों की ऊंची कीमतों के दौर में पुरानी (यूज़्ड) कार खरीदना अब एक आम और प्रैक्टिकल विकल्प बन गया है. नई कारें आज ₹6-10 लाख की शुरुआती रेंज से शुरू होती हैं, जो पहली बार कार खरीदने वालों, कम बजट वालों या सीमित उपयोग करने वालों के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. ऐसे में पुरानी कार सस्ता और सुविधाजनक विकल्प बनकर सामने आती है. लेकिन हर चीज के दो पहलू होते हैं, फायदे और जोखिम. अगर आप सोच रहे हैं कि क्या पुरानी कार आपके लिए सही है, तो ये फैसला जल्दबाजी में नहीं, सही समझदारी के साथ करना चाहिए.

अगर आपका बजट ₹3 से ₹6 लाख के बीच है और आप पहली बार कार ले रहे हैं, तो पुरानी कार एक बेहतर शुरुआत हो सकती है. मारुति स्विफ्ट या होंडा सिटी जैसी कारें जो नई हालत में ₹7-10 लाख की पड़ती हैं, वही 3-5 साल पुरानी होने पर ₹3.5 से ₹5 लाख में मिल सकती हैं. नई कार के मुकाबले इनकी डेप्रिसिएशन वैल्यू पहले ही गिर चुकी होती है, यानी भविष्य में रीसेल पर बहुत बड़ा घाटा नहीं होगा. साथ ही, पुरानी कार का इंश्योरेंस और रजिस्ट्रेशन कॉस्ट भी कम होता है. स्टूडेंट्स, नई नौकरी में लगे प्रोफेशनल्स या वो लोग जो साल में 5,000-10,000 किमी तक गाड़ी चलाते हैं, उनके लिए ये सौदा फायदे का हो सकता है. कुछ कार लवर्स के लिए तो पुरानी लक्ज़री कारें भी ड्रीम फुलफिलमेंट होती हैं. जैसे, 2016 की BMW 3 सीरीज़ ₹15-18 लाख में मिल सकती है, जो एक नई मिड-साइज SUV से भी सस्ती है.

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लेकिन हर किसी के लिए नहीं है पुरानी कार

अगर आपकी ड्राइविंग साल में 20,000 किमी या उससे ज्यादा की है — जैसे फील्ड जॉब में लगे सेल्स एक्सीक्यूटिव या हाईवे ट्रैवलर्स, तो पुरानी कार मेंटेनेंस के लिहाज से महंगी पड़ सकती है. 7-8 साल पुरानी कारों में टायर, बैटरी या इंजन की मरम्मत पर ₹50,000 से ₹1 लाख तक खर्च आ सकता है. इसके अलावा, नई कारों में जो एडवांस फीचर्स आते हैं, जैसे ADAS, 360 डिग्री कैमरा या हाइब्रिड इंजन. ये पुरानी गाड़ियों में मिलना मुश्किल है.

बाजार में धोखाधड़ी भी एक बड़ा जोखिम है. ओडोमीटर टेम्परिंग (किलोमीटर रीडिंग कम दिखाना), एक्सीडेंट की हिस्ट्री छुपाना या डुप्लीकेट डॉक्युमेंट्स जैसी चीजें आम हैं. बिना जांचे परखे कोई भी डील हाथ में लेना भारी नुकसान में बदल सकता है. बेंगलुरु के संजय नाम के एक खरीदार ने 2014 की हुंडई क्रेटा ₹5 लाख में ली, लेकिन छिपी हुई इंजन खराबी ने एक साल में ₹70,000 का बिल थमा दिया.

कब लें नई कार?

अगर आप लंबे समय (8-10 साल) के लिए कार खरीद रहे हैं, तो नई कार ज्यादा टिकाऊ और भरोसेमंद साबित होगी. खासकर तब जब आप परिवार के लिए गाड़ी ले रहे हों और सेफ्टी आपकी प्राथमिकता हो. नई गाड़ियों की क्रैश टेस्ट रेटिंग, वारंटी और टेक्नोलॉजी अपग्रेड्स बेहतर होते हैं. पुरानी गाड़ियों की रीसेल वैल्यू कम होती है, खासकर अगर मेन्टेनेन्स ठीक से न हुआ हो.

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फैसला आपका

पुरानी कार सही रिसर्च, भरोसेमंद डीलर और थर्ड पार्टी चेकिंग के बाद एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है. लेकिन जल्दबाज़ी, लालच या अनुभव की कमी भारी नुकसान भी करवा सकती है. True Value, Mahindra First Choice जैसे ब्रांडेड प्लेयर्स से खरीदना सुरक्षित माना जाता है. कार की सर्विस हिस्ट्री, इंश्योरेंस, और एक्सिडेंट रिपोर्ट जरूर जांचें, और मैकेनिक से एक बार फिजिकल चेक ज़रूर करवाएं. भारत का यूज्ड कार मार्केट 2024 में ₹2.5 लाख करोड़ का था, और 2028 तक इसके ₹4 लाख करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. यानी संभावनाएं बहुत हैं, बस सही नजर और समझ के साथ कदम उठाइए.

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