Last Updated:July 15, 2025, 16:20 ISTअभिषेक कुमार ने लिंक्डइन पर बताया कि 12 करोड़ की नेटवर्थ के बावजूद उनके जानने वाले को खुशी नहीं मिली. पैसा, सेहत और रिश्तों में संतुलन जरूरी है, वरना दौलत भी बोझ बन सकती है.हाइलाइट्सपैसा, सेहत और रिश्तों में संतुलन जरूरी है.सिर्फ पैसा ही खुशी की गारंटी नहीं देता.महंगी चीजें अब उसे कुछ खास महसूस नहीं कराती थीं.हमारे मन में अक्सर ये सवाल आता है कि काश हमारे पास ज्यादा पैसे होते तो हम खुश होते लेकिन असल में हकीकत इससे कई गुना अलग होती है. ज्यादा पैसे कमाने के लिए लोग दिन-रात एक कर देते हैं. प्राइवेट से लेकर सरकारी कर्मचारी तक भर-भरकर पैसे कमाना चाहता है. हालांकि, लाखों पैसे कमाने के बाद भी लोगों को खुशी नहीं मिलती है. सेबी रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर अभिषेक कुमार ने लिंक्डइन पर एक किस्से के जरिए यही बात समझाने की कोशिश की है.
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के अनुसार, अभिषेक कुमार ने लिंक्डइन पर पोस्ट कर लिखा, “सोचा था कि 12 करोड़ की नेटवर्थ हासिल करने के बाद बहुत अच्छा महसूस होगा. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है. कम से कम मेरे एक जानने वाले के लिए तो नहीं, जिसने ये दौलत बिना किसी जैकपॉट, विरासत या बड़ी विदेशी नौकरी के सिर्फ 15 साल की मेहनत से कमाई.” इस कहानी से एक बात साफ है सिर्फ पैसा ही खुशी की गारंटी नहीं देता। मेहनत, संतोष और संतुलन भी उतने ही जरूरी हैं. फिर भी इतनी बड़ी उपलब्धि के बावजूद उस व्यक्ति को ना कोई गर्व महसूस हुआ और ना कोई खुशी. बल्कि अंदर से एक अजीब-सी खालीपन ने उसे घेर लिया.
एक अजीब-सी खालीपन ..
अभिषेक कुमार ने लिखा, “उसे न तो कोई गर्व हुआ, न कोई उत्साह। बस एक अजीब-सी खालीपन थी.” करीब 45 की उम्र तक आते-आते उसका शरीर थक चुका था और कॉर्पोरेट स्ट्रेस ने शरीर और मन दोनों पर गहरे निशान छोड़ दिए थे. जिस दौलत को उसने सालों तक कमाने के लिए मेहनत की, वो अब फीकी लग रही थी. अभिषेक ने ये भी लिखा कि सेहत के बिना दौलत भी खोखली लगती है।” इस कहानी के जरिए साफ होता है कि अगर हम सिर्फ पैसे के पीछे भागते रहेंगे और अपनी सेहत, रिश्तों और खुशी की अनदेखी करेंगे तो वो दौलत भी एक दिन बोझ बन सकती है.
दिलचस्प बात यह है कि इस व्यक्ति ने धीरे-धीरे महंगी चीजों को खरीदने में दिलचस्पी खो दी और उसे महसूस हुआ कि ऐसी चीजों से मिलने वाला एक्साइटमेंट बहुत जल्दी खत्म हो जाता है. अभिषेक कुमार ने लिखा, “नेटवर्थ के लक्ष्य वीडियो गेम के लेवल जैसे होते हैं. हर नया लेवल थोड़ी देर की खुशी देता है, फिर वही खालीपन लौट आती है.”
‘महंगी चीजें अब खास नहीं लगती’
वह व्यक्ति कंजूस नहीं था. उसने छुट्टियां मनाईं, परिवार के साथ वक्त बिताया, यादें बनाईं. लेकिन महंगी चीजें अब उसे कुछ खास महसूस नहीं कराती थीं. लगातार लंबे घंटे काम करना और तनाव झेलना उसे अंदर से थका चुका था. सबसे बड़ी बात यह थी कि अब उसे उस पैसे से भी कोई जुड़ाव महसूस नहीं होता था, जिसे बनाने में उसने अपनी जिंदगी लगा दी.
जब उसने पीछे मुड़कर देखा, तो उसे एहसास हुआ कि पैसा कमाने की इस दौड़ में उसने अपना सुकून खो दिया. उसे यह भी समझ आया कि SIP का रिटर्न कितना बढ़ रहा है, उस पर ध्यान देने से ज्यादा जरूरी था अपने तनाव को संभालना. हैरानी की बात तो यह है कि अब उसे इनवेस्टिंग में भी मजा नहीं आता। अभिषेक ने लिखा, “पैसा कभी भी आपके पैसों से रिश्ते को नहीं सुधार सकता।”
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