Income Tax: डोनेशन के नाम पर सरकार को कैसे चूना लगा रहे थे टैक्सपेयर? कितना बचा रहे थे टैक्स? समझिए

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सरकार ने आम बजट 2025 में इनकम टैक्स में अच्छी-खासी छूट दी थी. पुराने टैक्स रिजीम में हालांकि ज्यादा बदलाव नहीं हुआ, मगर नए रिजीम के हिसाब से इनकम टैक्स देने वालों को काफी राहत मिली. इसके बावजूद आयकर विभाग को चूना लगाने के लिए आयकरदाता फर्जी तरीकों से अधिक टैक्स बचाने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन आयकर विभाग भी डाल-डाल, पात-पात की तर्ज पर फर्जीवाड़ा करने वालों के पीछे पड़ गया है.

हाल ही में एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है. लोग इनकम टैक्स में ज्यादा छूट पाने के लिए फर्जी दस्तावेज और जाली ट्रांजेक्शन का सहारा ले रहे हैं. खासकर, आयकर की धारा 80GGC के तहत राजनीतिक दलों को चंदा दिखाकर टैक्स से बचने का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा था.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के निर्देश पर देशभर में 150 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई है. राजस्थान में जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा और कोटा सहित 10 से अधिक जगहों पर छानबीन चल रही है. जयपुर के प्रतापनगर में भी इन्वेस्टिगेशन विंग ने दबिश दी.

मिली जानकारी के मुताबिक, इस अवैध नेटवर्क में देशभर के कई इनकम टैक्सपेयर, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CA), टैक्स कंसल्टेंट और दो फर्जी राजनीतिक दल शामिल थे. आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग ने भारतीय सामाजिक पार्टी और युवा भारत आत्मनिर्भर दल पर कार्रवाई की है. इन पार्टियों का न तो कोई राजनीतिक वजूद है, न कोई जनाधार, फिर भी इन पार्टियों को बड़े स्तर पर चंदा दिखाकर टैक्स छूट ली जा रही थी.

कैसे मिलती है टैक्स छूट

आयकर अधिनियम की धारा 80GGC के तहत, कोई भी व्यक्ति राजनीतिक दल को दिया गया चंदा टैक्स फ्री करवा सकता है. यानी अगर आपने किसी रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी को चंदा दिया है, तो वह पूरी राशि आपकी कुल आय से घटा दी जाएगी और उतने पर आपको टैक्स नहीं देना होगा.

मान लीजिए,– एक व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम है: 20 लाख रुपये– 80GGC के तहत राजनीतिक दल को चंदा दिया: 2 लाख रुपये– नई टैक्सेबल इनकम: 20 लाख – 2 लाख = 18 लाख रुपये– अब व्यक्ति को केवल 18 लाख रुपये की आय पर आयकर देना होगा. बाकी की छूट अलग से लागू होगी.– यदि वह व्यक्ति 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आता है, तो 2 लाख रुपये की कटौती से 60,000 रुपये का टैक्स बचा सकता है.

कैसे होता है फर्जीवाड़ा

टैक्सपेयर राजनीतिक पार्टी को चंदा देता है. यह चेक के जरिए दिया जाता है, कैश में नहीं. उसके द्वारा दी गई राशि फर्जी राजनीतिक पार्टी को ट्रांसफर होती है. फिर उस राशि में से कुछ कमीशन (4 से 6 फीसदी) काटकर बाकी पैसा उसी व्यक्ति को कैश में लौटा दिया जाता. इससे ब्लैकमनी भी सर्किल में आता है और सरकार के टैक्स कलेक्शन में कमी आती है.

मतलब, 2 लाख के चंदे का 4 परसेंट हुआ 8,000 रुपये. 2 लाख में से 8,000 रुपये काटकर बाकी राशि पैसा देने वाले को वापस मिल जाती है. उसने 60,000 रुपये का टैक्स बचाया था. 8,000 रुपये का कमीशन यहां कट गया तो उसकी कुल बचत 52,000 रुपये की हो जाती है. यही पूरा फर्जीवाड़ा है, क्योंकि उसने असल में किसी दल को चंदा दिया ही नहीं.

टैक्स बचाने के लिए अपनाए जा रहे ये अवैध तरीके

आयकर विभाग ने पिछले कुछ वर्षों से टैक्स बचाने के फर्जीवाड़े को पकड़ना शुरू कर दिया है. निम्नलिखित कुछ तरीके काफी प्रचलन में हैं-

फर्जी राजनीतिक दलों के माध्यम से पैसा बचाना.

80G के तहत संस्थाओं को पैसा देकर टैक्स बचाना.

फर्जी मेडिकल खर्च दिखाकर टैक्स छूट लेना.

बच्चों की ट्यूशन फीस के फर्जी बिल लगाना.

नकली रसीदों से टैक्स छूट के क्लेम करना.

क्या-क्या तरीके अपना रहा डिपार्टमेंट

इनकम टैक्स रिटर्न भरने का समय चल रहा है. लोग 15 सितंबर तक अपना ITR भर सकते हैं. इसी बीच, इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए AI का उपयोग करके डेटा एनालिसिस कर रहा है. अधिकारी धारा 10(13A) के तहत हाउस रेंट अलाउंस (HRA), धारा 80G के तहत डोनेशन और 80 की विभिन्न धाराओं के तहत कई कटौतियों के संबंध में पड़ताल शुरू की हुई है.

यदि कोई व्यक्ति इस जांच में पकड़ा जाता है तो उसे टैक्स देनदारी का 200 फीसदी तक जुर्माना लग सकता है. इसके अलावा 24 फीसदी सालाना ब्याज भी लागू हो सकती है. इस फर्जीवाड़े में लिप्त पाए जाने पर मुकद्दमे का सामना भी करना पड़ सकता है.

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