Last Updated:May 28, 2025, 13:43 ISTकोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की समीक्षा जरूरी है. विशेषज्ञों के अनुसार, बीमा कवर 10-15 लाख रुपये का होना चाहिए और रीस्टोर बेनिफिट, डॉमिसिलियरी ट्रीटमेंट, टेली-कंसल्टेशन की सुविधा होनी…और पढ़ेंकोविड की पिछली लहरों में कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की कमियां सामने आई थीं.हाइलाइट्सस्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की समीक्षा जरूरी है.बीमा कवर 10-15 लाख रुपये का होना चाहिए.डॉमिसिलियरी ट्रीटमेंट और टेली-कंसल्टेशन सुविधा होनी चाहिए.नई दिल्ली. देश में कोविड-19 के मामलों की संख्या 1,000 के पार पहुंच चुकी है. ऐसे में जिन लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा है, उनके लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से परख लें. कहीं ऐसा न हो कि जरूरत के समय आपकी पॉलिसी इलाज का पूरा खर्च ही न उठा पाए. कोविड के बढ़ते मामलों के बीच अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की जांच और अपडेट करना बेहद जरूरी हो गया है. इसलिए समय रहते अपनी पॉलिसी की समीक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि वह कोविड जैसी आपात स्थिति में पूरी तरह मददगार हो.
कोविड की पिछली लहरों में कई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों की कमियां सामने आई थीं. अस्पताल में कमरे के किराए की सीमा और पीपीई किट जैसे जरूरी खर्च बीमा में शामिल नहीं थे, जो एक बड़ी खामी थी. इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती होने की सख्त परिभाषा और घर पर इलाज को कवर न करना भी बड़ी समस्या बनी.
खर्च सीमा
विशेषज्ञों के अनुसार, आज के समय में शहरों में रहने वाले लोगों को कम से कम 10-15 लाख रुपये का बीमा कवर जरूर लेना चाहिए. वहीं, यदि परिवार में तीन से अधिक सदस्य हैं तो 20-25 लाख रुपये का फ्लोटर कवर उपयुक्त रहेगा. बीमा पॉलिसी में डॉमिसिलियरी ट्रीटमेंट यानी घर पर इलाज की सुविधा होनी चाहिए. इससे हल्के लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती हुए बिना ही इलाज की सुविधा मिलती है और उसका खर्च बीमा से कवर होता है. टेली-कंसल्टेशन की सुविधा भी महत्वपूर्ण है ताकि मरीज डॉक्टर से वर्चुअल सलाह ले सकें.
रीस्टोर बेनिफिट जरूरी
बीमा में रीस्टोर बेनिफिट भी होना चाहिए, जिससे एक बार बीमा राशि खत्म हो जाने के बाद भी इलाज दोबारा शुरू किया जा सके. साथ ही, अस्पताल में भर्ती होने पर कमरे के किराए की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए क्योंकि कोविड के मरीजों को अक्सर आईसीयू या अलग कमरों की जरूरत होती है, जिनका खर्च अधिक होता है. पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स, सैनिटाइजर जैसी वस्तुएं भी बीमा में कवर होनी चाहिए, क्योंकि पिछली बार इनके कारण खर्च बहुत बढ़ गया था.
सुपर टॉप-अप का विकल्प
अगर आपकी मूल पॉलिसी में बीमा राशि सीमित है तो आप सुपर टॉप-अप पॉलिसी ले सकते हैं. यह पॉलिसी लंबी बीमारी, अधिक खर्च या बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में बेहद कारगर साबित होती है. पुरानी बीमा पॉलिसियों में अक्सर कई सीमाएं और शर्तें होती हैं. ओपीडी खर्च, घर पर इलाज और कुछ अस्पतालों में उपचार इन पॉलिसियों के तहत कवर नहीं होते.
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