नई दिल्ली. विदेशी भारतीय (NRIs), भारतीय आयकर कानूनों के अधीन होते हैं, लेकिन उनकी विशेष स्थिति के अनुसार कुछ प्रावधान और छूट दी जाती हैं. हालांकि ये बात सही है कि NRI की आय, जैसे कि किराया, डेविडेंड और इंटरेस्ट पर भारत में टैक्स लगाया जाता है. लेकिन कुछ कैपिटल गेन पूरी तरह से टैक्स फ्री भी हो सकते हैं. इसके लिए उन्हें स्ट्रैटजिक रीइंवेस्टमेंट यानी रणनीतिक पुनर्निवेश के बारे में पता होना चाहिए. भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 115F और धारा 115C की मदद लेकर NRIs ऐसा कर सकते हैं. दरअसल, इन दोनों धाराओं के तहत विदेशी मुद्रा संपत्तियों से होने वाली लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स में छूट लेने का मौका मिलता है.
इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए आइए समझते हैं कि NRI टैक्सेशन कैसे काम करता है और धारा 115F और 115C का उपयोग करके टैक्स की बचत कैसे कर सकते हैं? लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि ये इतना जरूरी क्यों है?
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इतना क्यों जरूरी?: विदेश मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो विदेशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी है, जिसमें 1.58 करोड़ से अधिक NRI शामिल हैं. वहीं आरबीआई और वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2025 तक NRI के पास NRO/NRE/FCNR जमा में 160 बिलियन डॉलर थे. वहीं साल 2024 में गैर-निवासी भारतीयों ने 129 बिलियन डॉलर से अधिक राशि भेजी.
बढ़ते क्रॉस-बॉर्डर संपत्ति होल्डिंग्स के साथ, ये समझना महत्वपूर्ण हो गया है कि भारत एनआरआई पर कैसे टैक्स लगाता है, न केवल अनुपालन के लिए बल्कि बुद्धिमान संपत्ति योजना के लिए भी.
टैक्स के लिहाज से एनआरआई कौन है?:अब आपके मन में ये बात आ रही होगी कि NRI कौन होते हैं. सामान्य भाषा में ये कह सकते हैं कि जो भारतीय विदेशों में जाकर रह रहे हैं और कमाई कर रहे हैं, उन्हें NRI कहा जा सकता है. लेकिन हमारे देश का आयकर विभाग इसे अलग तरह से परिभाषित करता है. आयकर अधिनियम की धारा 6 के तहत, एक एनआरआई वह व्यक्ति है जो:
– संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान 182 दिनों से कम समय के लिए भारत में रहा हो, या
– वर्ष के दौरान 60 दिनों से कम और पिछले 4 वर्षों में 365 दिनों से कम समय के लिए भारत में रहा हो.
अगर व्यक्ति एक भारतीय नागरिक या पीआईओ है और भारत में कुल आय (विदेशी आय को छोड़कर) ₹15 लाख तक है, तो 60 दिनों का नियम 120 दिनों तक बढ़ जाता है. अगर वो एक भारतीय नागरिक है और रोजगार के लिए भारत छोड़ रहा है, तो 60 दिनों का नियम 182 दिनों तक बढ़ जाता है.
भारत में NRI की अलग-अलग आय पर कैसे टैक्स लगता है?:
दरअसल, NRI को कितना टैक्स देना होगा, ये उसकी आय पर निर्भर करने के साथ इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह आय कैसे अर्जित की जा रही है. यानी उके तरीके पर भी टैक्स निर्भर करता है. जैसे :
1. भारतीय संपत्ति से अगर किराया आता है तो “हाउस प्रॉपर्टी से आय” के तहत टैक्स योग्य माना जाएगा. इसमें कटौती 30% मानक + ब्याज के हिसाब से होगी.
2. NRO अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज, भारत में पूरी तरह टैक्स योग्य है.
3. NRE/FCNR जमा पर ब्याज जब तक एनआरआई का दर्जा बना रहता है और खाता विदेशी आय से वित्त पोषित होता है, तब तक छूट.
4. भारतीय कंपनियों से डिविडेंड “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में टैक्स योग्य मानी जाती है. कोई थ्रेशहोल्ड छूट नहीं.
5. शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) सूचीबद्ध शेयरों पर: धारा 111A के तहत 20% टैक्स. अन्य पर स्लैब दर पर टैक्स लगेगा.
6. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) ₹1.25 लाख से ऊपर होने पर धारा 115F के तहत 12.5%.
7. भारत से व्यापार आय केवल तभी टैक्स योग्य होगा जब व्यापार भारत में नियंत्रित/स्थापित हो.
8. भारत में अगर कोई रिश्तेदारों गिफ्ट देता है तो उस पर छूट मिलेगी. अगर उपहार की कीमत ₹50,000 से अधिक है और गैर-रिश्तेदार से मिली है, तो टैक्स योग्य होगी.
NRIs कैपिटल गेन पर जीरो टैक्स कैसे दे सकते हैं? :
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115F के तहत NRIs को LTCG टैक्स से पूरी या आंशिक छूट मिल सकती है, अगर वे विदेशी मुद्रा संपत्ति बेचते हैं, और नेट सेल (शुद्ध बिक्री) आय को 6 महीने के भीतर किसी संपत्तियों में दोबारा निवेश करते हैं.
विदेशी मुद्रा संपत्ति क्या है?:
एक “विदेशी मुद्रा संपत्ति” ऐसी संपत्ति है जो परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा का उपयोग करके खरीदी गई हो.
धारा 115F के तहत कहां दोबारा निवेश कर सकते हैं ?:अगर आपको कैपिटल गेन हुआ और अब आप उसे पुनर्निवेश करना चाह रहे हैं तो नीचे कुछ ऑप्शन हैं:1. भारतीय कंपनियों के इक्विटी शेयर2. भारतीय सार्वजनिक कंपनियों के डिबेंचर3. भारतीय कंपनियों के साथ सार्वजनिक जमा4. सरकारी प्रतिभूतियां यानी सेक्योरिटीज
ध्यान खें कि इसका लॉक-इन अवधि भी होता है. संपत्तियों को कम से कम 3 साल तक रखा जाना चाहिए. अगर पहले बेचा जाता है, तो छूट प्राप्त लाभ कर योग्य हो जाता है.
टैक्स छूट को कैसे कैलकुलेट किया जाता है?छूट प्राप्त कैपिटल गेन = (नई संपत्ति की लागत / शुद्ध विचार) * कुल कैपिटल गेन
इसको एक उदाहरण के साथ समझें :
भारत-सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों की शुद्ध बिक्री मूल्य: ₹4 करोड़
बेची गई पुरानी संपत्ति की लागत: ₹2 करोड़
कैपिटल गेन: ₹2 करोड़
पुनर्निवेश: ₹3 करोड़
छूट प्राप्त लाभ = (₹3 करोड़ / ₹4 करोड़) × ₹2 करोड़ = ₹1.5 करोड़
कर योग्य लाभ = ₹50 लाख
बचाया गया टैक्स = ₹18.75 लाख @ 12.5% LTCG दर (₹1.5 करोड़ * 12.5%)
धारा 115F अनुपालन: 4 मुख्य बातें जो NRIs को याद रखनी चाहिए1. 6 महीने की पुनर्निवेश समय सीमा: छूट का दावा करने के लिए पूरी शुद्ध बिक्री आय (सिर्फ कैपिटल गेन नहीं) को 6 महीने के भीतर योग्य संपत्तियों में पुनर्निवेश करें.2. ऑप्शन में बताई गई संपत्तियों में ही निवेश करें: वैध पुनर्निवेश में शेयर, डिबेंचर, जमा और सरकारी प्रतिभूतियां शामिल हैं—म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट या सोना नहीं है.3. नई संपत्तियों को 3 साल तक रखें: पुनर्निवेश की गई संपत्ति को 3 साल के भीतर बेचना या बदलना पहले से छूट प्राप्त कैपिटल गेन को बिक्री के वर्ष में पूरी तरह कर योग्य बना देता है.4. NRI स्टेटस और फंड ट्रेसबिलिटी बनाए रखें: सुनिश्चित करें कि पुनर्निवेश विदेशी मुद्रा फंड का उपयोग करके किया गया है और आप NRI स्टेटस बनाए रखें. फंड के स्रोत को साबित करने के लिए बैंक और FIRC रिकॉर्ड रखें.
अंत में, NRI टैक्सेशन जटिल लग सकता है, लेकिन स्मार्ट योजना से आप कमाल के अवसरों का फायदा उठा सकते हैं. धारा 115F जैसी धाराओं के साथ, NRIs ऐसा कर सकते हैं. कानूनी रूप से लाखों (या करोड़ों) टैक्स बचा सकते हैं. इसके लिए भारत में पुनर्निवेश करें. ये टैक्स चोरी नहीं है. बल्कि ये रणनीतिक, कानूनी टैक्स योजना है जिसे इनकम टैक्स एक्ट भी सपोर्ट करता है.
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