NPS vs Mutual Fund SIP: जब हम रिटायरमेंट जैसे लंबे समय के लिए फाइनेंस की प्लानिंग करते हैं तो काफी दुविधा होने लगती है. निवेश के कई विकल्प हैं, लेकिन इस समय दो सबसे अच्छे विकल्पों में से किसे चुनें, इसे लेकर भी फैसला करना आसान नहीं होता. ये दो विकल्प हैं- पहला नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और दूसरा म्यूचुअल फंड की SIP (सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान). आप ही बताएं, यदि आपको इन दोनों में से किसी एक को चुनने को कहा जाए तो आप करेंगे?
कोई भी व्यक्ति लंबे समय की प्लानिंग के लिए ऐसा विकल्प चुनना चाहेगा, जहां पैसा सुरक्षित रहे और बढ़ता भी रहे. ये दोनों विकल्प एनपीएस और म्यूचुअल फंडस में निवेश से संभव है… तो दोनों में से एक कैसे चुना जाए? दोनों में से किसी एक को चुनना है तो आपको पहले दोनों की अच्छे से जानना होगा. दोनों कितना रिटर्न देंगे, किसमें कितना जोखिम है, टैक्स का लाभ किसमें मिलेगा और कितना, और लिक्विडिटी कैसी है, ये आम बातें हैं, जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है.
NPS vs Mutual Fund SIPNPS (नेशनल पेंशन सिस्टम)SIP (म्यूचुअल फंड)उद्देश्यरिटायरमेंट के लिए सुरक्षित फंडधन निर्माण और गोल बेस्ड प्लानिंगसरकार का हाथहां (सरकार समर्थित योजना)नहीं (प्राइवेट म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा संचालित)रिटर्न (औसतन)8–10%10–15% (फंड के अनुसार)जोखिमकम (इक्विटी कैप के कारण)अधिक (मार्केट लिंक्ड)टैक्स लाभ80CCD(1) + 80CCD(1B) के तहत छूटसिर्फ ELSS फंड में छूट (80C के तहत)पैसे निकालने की सुविधासीमित – रिटायरमेंट तक लॉक-इनपूरी फ्लेक्सिबिलिटी, कभी भी निकाल सकते हैंकिसके लिए उपयुक्तवे लोग जो रिटायरमेंट की पक्की योजना चाहते हैंवे लोग जो फ्लेक्सिबल और हाई रिटर्न चाहते हैं
1. निवेश का उद्देश्य और प्रकृतिNPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) एक सरकार द्वारा समर्थित रिटायरमेंट स्कीम है. इसका मुख्य उद्देश्य है कि व्यक्ति के रिटायरमेंट के समय एक सुरक्षित फंड तैयार हो सके. इसमें इक्विटी और फिक्स्ड इनकम दोनों का बैलेंस्ड होता है. इसमें लंबी अवधि तक निवेश करना होता है और पैसे निकालने की सीमाएं होती हैं.
SIP (Systematic Investment Plan) म्यूचुअल फंड में नियमित निवेश करने का तरीका है. इसमें आप हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम निवेश करते हैं. SIP की सबसे बड़ी खासियत इसकी फ्लेक्सिबिलिटी है- आप जब चाहें निवेश बंद कर सकते हैं या पैसे निकाल सकते हैं.
2. रिटर्न और जोखिमSIP में इक्विटी फंड चुनने की आजादी होती है, जिससे ज्यादा रिटर्न मिल सकता है (10–15% तक), लेकिन इसके साथ बाजार का जोखिम भी होता है. यदि शेयर बाजार नें 5 साल तक ज्यादा रिटर्न नहीं दिया, तो म्यूचुअल फंड की ग्रोथ भी काफी सुस्त होगी. दूसरी तरफ, NPS में इक्विटी का हिस्सा सीमित (75 फीसदी तक) होता है, इसलिए रिटर्न भी थोड़ा स्थिर (8–10 फीसदी तक) रहता है और जोखिम कम होता है.
3. टैक्स बेनिफिटNPS में निवेश करने पर आपको टैक्स में बड़ी राहत मिलती है. 1.5 लाख रुपये तक की छूट सेक्शन 80C के तहत (80CCD(1)) पा सकते हैं. 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट सेक्शन 80CCD(1B) के तहत मिलती है.
SIP में टैक्स छूट केवल ELSS फंड्स (Equity Linked Savings Scheme) में मिलती है, जिनका लॉक-इन 3 साल का होता है. बाकी SIP फंड्स पर छूट नहीं मिलती.
4. लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटीSIP में निवेश पूरी तरह फ्लेक्सिबल होता है. आप जब चाहें निवेश बढ़ा सकते हैं, रोक सकते हैं या पैसे निकाल सकते हैं. यही वजह है कि लोग इसे गोल-बेस्ड प्लानिंग के लिए पसंद करते हैं.
NPS में पैसे निकालने की सीमाएं हैं. आंशिक निकासी 3 साल बाद कुछ खास स्थितियों में ही होती है. पूरी रकम रिटायरमेंट के समय ही मिलती है, जिसमें से 60% लंपसम और 40% एन्युइटी में जाता है.
अगर आपका लक्ष्य केवल रिटायरमेंट है, तो NPS आपके लिए बेहतर है. यह आपको डिसिप्लिन में रखता है और टैक्स में भी राहत देता है. अगर आप अलग-अलग लाइफ गोल्स के लिए फ्लेक्सिबल और ज्यादा रिटर्न वाला विकल्प चाहते हैं, तो SIP एक अच्छा विकल्प है.
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