नई दिल्ली. भारत में म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसी वजह से अक्टूबर 2024 में म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के तहत शुद्ध परिसंपत्तियां (AUM) सितंबर के 67 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अक्टूबर में 67.25 लाख करोड़ रुपये हो गईं. इक्विटी म्यूचुअल फंड में अक्टूबर में 41,887 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश आया है. वेतनभोगी लोग भी अब अच्छे रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में अच्छा-खासा पैसा लगा रहे हैं. म्यूचुअल फंड से हुए प्रॉफिट पर कर (Tax) लगता है. अगर आप भी नौकरी करते हैं और आपने म्यूचुअल फंड में भी पैसा लगाया है तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपके वेतन और म्यूचुअल फंड यूनिट्स के रिडंम्पशन से हुई कमाई पर कितना टैक्स लगेगा और उसकी दर क्या होगी.
वेतन पर टैक्स तो आमतौर पर नियोक्ता द्वारा मासिक वेतन भुगतान के समय ही काट लेता है. जहां तक बात म्यूचुअल फंड से हुई कमाई पर टैक्स की है, तो यह कर देयता इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी कमाई इक्विटी म्यूचुअल फंड से हुई या डेट फंड से. साथ ही टैक्स लायबिलिटी निवेश की अवधि के आधार पर भी तय होती है.
इक्विटी-उन्मुख योजनाएं (Equity-Oriented Schemes)बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति ने इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 12 महीने या उससे कम समय के लिए किया था, तो यूनिट्स बेचने पर हुए मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (Short Term Capital Gains) माना जाएगा. धारा 111A के तहत 20 फीसदी की दर से आपको टैक्स का भुगतान करना होगा. यदि निवेश 12 महीने से अधिक समय तक किया गया था, तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा.
ऐसे निवेश पर हुए मुनाफे पर धारा 112A के तहत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long Term Capital Gains) कर लगेगा जो ₹1.25 लाख की प्रारंभिक छूट के बाद 12.50% की दर से भरना होगा. यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि ₹1.25 लाख की छूट केवल स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर लागू होती है, जिन पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) का भुगतान किया गया हो.
डेट फंड में निवेश पर टैक्स डेट म्यूचुअल फंड की इकाईयों के बेचने से हुए मुनाफे पर आपकी आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगता है. यदि आपकी कुल आय पर TDS के बाद शेष कर देयता ₹10,000 से अधिक है, तो आपको निर्धारित तिथियों पर एडवांस टैक्स का भुगतान करना आवश्यक है. यदि यह देयता ₹10,000 से कम है, तो इसे स्व-मूल्यांकन कर (Self-Assessment Tax) के रूप में ITR फाइलिंग के समय भुगतान किया जा सकता है.
इसके अलावा आप अपनी अतिरिक्त आय की जानकारी फॉर्म 12B में अपने नियोक्ता को भी दे सकते हैं. इससे नियोक्ता आपके वेतन से अतिरिक्त कर काट सकता है, जिससे एडवांस टैक्स भुगतान में देरी या चूक के कारण ब्याज का जोखिम नहीं रहेगा. इस प्रक्रिया से कर भुगतान सरल हो जाएगा और आपको एडवांस टैक्स से संबंधित झंझटों से बचने में मदद मिलेगी.
Tags: Business news, Income tax, Mutual fund, Personal financeFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 11:45 IST
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