Last Updated:February 09, 2025, 21:49 ISTकेंद्र सरकार ने बजट में नौकरीपेशा नागरिकों को राहत दी है, 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री की गई है. 12.75 लाख रुपये तक की आय पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा. 12 लाख से ऊपर की आय पर टैक्स लगेगा. टैक्स रिबेट और एग्जे…और पढ़ेंहाइलाइट्सकेंद्र सरकार ने 12 लाख तक की आय टैक्स फ्री की है.12.75 लाख तक की आय पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा.रिबेट में पहले टैक्स कैलकुलेट होता है, फिर छूट मिलती है.नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने इस बार के बजट में नौकरीपेशा नागरिकों को बड़ी राहत दी है. 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया है. यही नहीं अगर आप नौकरीपेशा हैं तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ आपको 12.75 हजार रुपये तक की आय पर भी कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन उससे ऊपर की आय पर टैक्स लगना शुरू हो जाएगा. टैक्स की जो गणना होगी वह शुरूआत के स्लैब से होगी.
अब इसमें एक सवाल उठता है कि अगर 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा तो टैक्स का कैलकुलेशन 12 लाख के बाद से शुरू होना चाहिए. मसलन, अगर किसी की सैलरी 13 लाख रुपये है तो उसे 1 लाख रुपये पर टैक्स देना चाहिए. जैसे कि शुरुआती 4 लाख रुपये की इनकम के साथ होता है. 4 लाख रुपये तक की इनकम भी टैक्स फ्री है और टैक्स कैलकुलेशन के समय उसे काउंट ही नहीं किया जाता है.
क्या है 4 और 12 लाख में अंतर4 लाख की टैक्स छूट और 12 लाख वाली टैक्स छूट में बड़ा अंतर है. यहां आपको टैक्स से संबंधित 3 शब्दों को समझना होगा. यह शब्द हैं- एग्जेम्प्शन, रिबेट और डिडक्शन. आइए इन पर एक-एक करके बात करते हैं और आप खुद ही समझ जाएंगे कि 12 लाख वाली छूट 4 लाख वाली से कैसे अलग है.
एग्जेम्प्शन- इस रकम पर टैक्स जीरो होता है. इसे टैक्स स्लैब में सिर्फ नाम मात्र के लिए रखा जाता है लेकिन इसके नहीं होने से भी कोई अंतर नहीं होगा क्योंकि इस स्लैब में टैक्स की देनदारी 0 ही रहती है. इसलिए टैक्स की गणना करते वक्त कभी एग्जेम्प्टेड स्लैब को नहीं लाया जाता है. एग्जेम्प्शन को टैक्स कैलकुलेशन से पहले ही हटा लिया जाता है.
डिडक्शन- इसके बाद आता है डिडक्शन. टैक्स के कैलकुलेशन से पहले डिडक्शन को काम में लाया जाता है. टैक्स डिडक्शन की मदद से आप अलग-अलग तरीके से अपनी टैक्सेबल इनकम को घटाने का प्रयास करते हैं. जैसे आयकर अधिनियम के सेक्शन 87ए के अंदर टैक्स डिडक्शन की सुविधा मिलती है.
रिबेट- अब बात रिबेट की. 12 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स रिबेट दिया गया है. रिबेट में पहले टैक्स कैलकुलेट किया जाता है. इसके बाद आपको डिस्काउंट की तरह छूट दी जाती है. इसका मतलब होता है कि आपकी आय अब भी टैक्सेबल है लेकिन क्योंकि यह एक तय सीमा के अंदर तो सरकार ने आपको डिस्काउंट दे दिया है. लेकिन आपने अगर उस सीमा को पार किया तो फिर आपके टैक्स कैलकुलेशन की शुरुआत बिलकुल पहले स्लैब से होगी. रिबेट का प्रावधान इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87A के अंदर है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 09, 2025, 21:49 ISThomebusiness₹12 लाख की आय पर टैक्स छूट रिबेट है एग्जंप्शन नहीं, क्या है इन दोनों में अंतर
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