Last Updated:May 18, 2025, 17:40 ISTप्राकृतिक हीरे दुर्लभ और महंगे होते हैं, जबकि लैब-ग्रो हीरे सस्ते और टिकाऊ हैं. लैब-ग्रो हीरे पर्यावरण और नैतिक दृष्टिकोण से बेहतर विकल्प माने जा रहे हैं. भारत में इनकी मांग बढ़ रही है.हाइलाइट्सलैब-ग्रो हीरे सस्ते और टिकाऊ हैं.प्राकृतिक हीरे दुर्लभ और महंगे होते हैं.भारत में लैब-ग्रो हीरों की मांग बढ़ रही है.नई दिल्ली. हीरा हमेशा से शान, प्यार और लगाव का प्रतीक रहा है. लेकिन अब यह सवाल उठने लगे हैं कि जब हीरे को प्रयोगशाला में बनाया जा सकता है, तो फिर उसकी ‘कीमत’ और ‘खासियत’ क्या बचती है? क्या यह अब भी उतना ही खास है, जितना कभी था? दरअसल, आज बाजार में दो तरह के हीरे मौजूद हैं — प्राकृतिक हीरे और लैब में तैयार किए गए हीरे. दिखने में दोनों लगभग एक जैसे हैं. रासायनिक, भौतिक और ऑप्टिकल गुण भी मिलते-जुलते हैं. यहां तक कि दोनों को एक ही तरह की गुणवत्ता जांच से परखा जाता है. तो फिर फर्क कहां है?
प्राकृतिक हीरे धरती की गहराई में करोड़ों सालों में बनते हैं. ये दुर्लभ हैं और इन्हें खनन (mining) करके निकाला जाता है. इन्हीं कारणों से इनकी कीमत ज्यादा होती है. हीरे की यही ‘दुर्लभता’ इसे मूल्यवान बनाती है. लेकिन इस दुर्लभता के साथ कुछ सवाल भी जुड़े हैं — जैसे हीरा खनन से जुड़ा पर्यावरणीय नुकसान, मजदूरों का शोषण और अफ्रीका जैसे देशों में ‘ब्लड डायमंड’ की समस्या.
लैब-ग्रो हीरे: सस्ता और टिकाऊ विकल्प
लैब-ग्रो हीरे अब तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. ये हीरे हाई प्रेशर-हाई टेम्परेचर (HPHT) या केमिकल वेपर डिपॉज़िशन (CVD) तकनीकों से तैयार किए जाते हैं. ये न सिर्फ सस्ते होते हैं (40-70% तक कम कीमत), बल्कि इनके पीछे कोई खनन या शोषण नहीं होता. भारत में भी इनकी मांग तेजी से बढ़ी है. खासकर युवा वर्ग लैब-ग्रो हीरों को पसंद कर रहा है क्योंकि ये दिखने में सुंदर हैं, टिकाऊ हैं और नैतिक रूप से भी बेहतर विकल्प माने जा रहे हैं.
क्या लैब हीरा ‘कम कीमती’ है?
यह सवाल अक्सर उठता है कि अगर कुछ लैब में बनाया जा सकता है, तो वह खास कैसे रह सकता है? लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो लैब-ग्रो हीरे में कोई कमी नहीं होती. अंतर सिर्फ “भावना और परंपरा” से जुड़ा है. हीरे की असली कीमत अब सिर्फ उसकी भौतिक बनावट से नहीं, बल्कि उसके पीछे की सोच, जिम्मेदारी और पारदर्शिता से आंकी जा रही है.
नए दौर की पसंद
भारत सरकार ने भी लैब-ग्रो हीरा उद्योग को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है. साल 2023-24 के बजट में इसके लिए सपोर्ट की बात की गई थी. यह न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगा, बल्कि भारत को एक जिम्मेदार रत्न उत्पादक देश के रूप में उभारेगा.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessप्राकृतिक हीरे बनाम लैब-ग्रो हीरे, क्या है बेहतर विकल्प?
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