अभी खरीदो और बाद में पछताओ! EMI का जादू या जाल? जानिए क्रेडिट कल्चर का कड़वा सच

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Last Updated:June 16, 2025, 19:00 ISTEMI या क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए खरीदारी अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है. मोबाइल से लेकर मोटर तक सबकुछ किस्तों पर मिल रहा है. लेकिन ये आसान लगने वाला विकल्प कई बार लोगों को कर्ज के ऐसे जाल…और पढ़ेंहाइलाइट्सEMI का जादू कई बार कर्ज के जाल में फंसा देता है.ईएमआई कल्चर युवाओं को बिना सोचे खर्च करने को प्रेरित करता है.बार-बार EMI लेने से क्रेडिट वर्दीनेस पर असर पड़ सकता है.नई दिल्ली. भारत एक ऐसे क्रेडिट बूम के दौर में है, जहां ‘बाय नाउ, पे लेटर’ (BNPL), ‘जीरो कॉस्ट EMI’ और ‘5 मिनट में लोन’ जैसे ऑफर आम हो गए हैं. स्मार्टफोन और फिनटेक ऐप्स की पहुंच ने क्रेडिट को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है. इतना आसान कि अब क्रेडिट एक जरूरत नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल बन चुका है. मगर इसी सुविधा के पीछे छुपा है एक बड़ा खतरा: ईएमआई की लत और उसकी कीमत.EMI की मीठी शुरुआत, कड़वा अंत
छोटी-छोटी किस्तों में खरीदारी की सुविधा ने युवाओं को बिना सोचे समझे खर्च करने के लिए प्रेरित किया है. आधार और पैन कार्ड से मिनटों में BNPL या माइक्रो-लोन मिल जाना अब आम बात है। लेकिन आसान उधारी का ये दरवाजा कई बार छिपे हुए ब्याज, लेट फीस, और क्रेडिट स्कोर की बर्बादी में बदल जाता है. एक 10,000 रुपये की खरीदारी बिना ब्याज जैसी लगती है, लेकिन कुछ महीनों में वह 14,000 रुपये की टेंशन बन सकती है.

मानसिक जाल और दबाव की राजनीतिईएमआई कल्चर अब मनोवैज्ञानिक रूप से लोगों को तुरंत संतुष्टि का एहसास देता है. खासकर युवा वर्ग इसके जाल में जल्दी फंसता है. लेकिन जब समय पर भुगतान न हो पाए, तो ऐप्स द्वारा किए जाने वाले कॉलर धमकियां, सोशल मीडिया पर शर्मिंदा करना और कॉन्टैक्ट लिस्ट का दुरुपयोग जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं.

क्रेडिट रिपोर्ट पर भारी असर
TransUnion CIBIL के मुताबिक, बार-बार ईएमआई या बीएनपीएल का इस्तेमाल करने से आपकी क्रेडिट वर्दीनेस पर असर पड़ सकता है. इससे भविष्य में होम लोन, कार लोन, यहां तक कि नौकरी मिलने में भी अड़चन आ सकती है.

जानकारी की कमी और गलत फैसलेबहुत से यूजर्स EMI के नियम, ब्याज दर, लेट फीस और पेमेंट टर्म्स को पढ़े बिना ही सहमति दे देते हैं. इसके पीछे क्रेडिट लिटरेसी की कमी और गैमिफाइड लोन सिस्टम है, जो बिना जिम्मेदारी के कर्ज लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है. आरबीआई ने डिजिटल लेंडिंग पर नियम बनाए हैं, जिसमें लोन के एपीआर, डेटा इस्तेमाल की सहमति और पारदर्शिता को जरूरी किया गया है. कुछ प्लेटफॉर्म अब ईमानदारी से लोन देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन नए ऐप्स की बाढ़ से खतरा बना हुआ है.

क्या करें आप?

कोई भी क्रेडिट ऑफर लेने से पहले ब्याज दर, पेमेंट टर्म्स और लेट फीस जरूर पढ़ें.

कई EMI एक साथ लेने से बचें. छोटी रकम भी मिलकर बड़ा बोझ बन सकती है.

अपनी क्रेडिट रिपोर्ट रेगुलर रूप से चेक करें और समय पर भुगतान करें.

vinoy jhaप्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत करने के बाद पिछले 5 वर्षों से News18Hindi में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर कार्यरत हैं. लगभग 2 वर्षों से बिजनेस न्यूज टीम का हिस्सा हैं. पत्रकारिता में करीब एक दशक का अनुभव रखते हैं. …और पढ़ेंप्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत करने के बाद पिछले 5 वर्षों से News18Hindi में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर कार्यरत हैं. लगभग 2 वर्षों से बिजनेस न्यूज टीम का हिस्सा हैं. पत्रकारिता में करीब एक दशक का अनुभव रखते हैं. … और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessअभी खरीदो और बाद में पछताओ! EMI का जादू या जाल? जानिए क्रेडिट कल्चर का सच

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