नई दिल्ली. हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) प्लान लेने का सबसे बड़ा कारण क्या होता है? कैशलेस अस्पताल में भर्ती या अस्पताल में भर्ती होने के दौरान किए गए खर्च की भरपाई करना है. लेकिन प्रीमियम का भुगतान करने के बावजूद कुछ लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो जाता है. प्रीमियम का भुगतान करने के बावजूद ऐसा होने पर आपको 100% ठगा हुआ महसूस होगा. ऐसा लगना स्वभाविक है. लेकिन इसके पीछे की वजहों को जानना और समझना बहुत जरूरी है.
कुछ मामलों में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी आखिरी समय में क्लेम देने से मना कर देती हैं. एक पॉलिसीहोल्डर होने के नाते आप कभी नहीं चाहेंगे कि आपके साथ कभी ऐसा हो. खुद या परिवार के किसी सदस्य के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति पहले से ही तनावपूर्ण होती है और ऐसे में जब मेडिकल क्लेम रिजेक्ट हो जाए तो ये इससे तनाव और बढ़ जाता है. इस लेख में हम समझेंगे कि हेल्थ इंश्योरेंस का क्लेम क्यों रिजेक्ट होता है और इसे कैसे टाल सकते हैं.
क्यों रिजेक्ट होते हैं हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम?1. गलत जानकारी:
मेडिकल इंश्योरेंस फॉर्म में गलत जानकारी दर्ज करने के कारण क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. उम्र, आय, प्रोफेशन और यहां तक कि हॉबी भी गलत न लिखें.
2. बीमारियों के बारे में छिपाना:
पहले से मौजूद बीमारियों या कुछ खास आदतों जैसे कि शराब या सिगरेट पीने की आदत आदि के बारे में जानकारी ने देने से भी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
3. वेटिंग पीरियड:
हर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कुछ वेटिंग पीरियड होता है. अगर इस वेटिंग पीरियड के दौरान कोई क्लेम किया जाता है, तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाएगा. आमतौर पर वेटिंग पीरियड 30 दिनों का होता है. लेकिन मैटरनिटी के मामले में वेटिंग पीरियड 24 से 36 महीने का हो सकता है. पहले से मौजूद बीमारियों के लिए 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड हो सकता है.
4. कैशलेस क्लेम:
अगर आप ऐसे अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, जो इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में नहीं है तो कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है. हालांकि आप बाद में उसे कंपनी से रेम्बर्स करा सकते हैं.
5. गलत क्लेम :
हर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में कुछ सेवाएं शामिल नहीं होती हैं. जैसे कि डेंटल, आयुष, OPD, मैटरनिटी आदि. ऐसे में ये संभव है कि कंपनी ऐसे क्लेम को अस्वीकार कर दे.
6. लैप्स पॉलिसी:
हर हेल्थ पॉलिसी की वैलिडिटी होती है. जैसे कि 1 साल या 2 या 5 साल. एक बार जब ये वैलिडिटी खत्म हो जाती है, तो पॉलिसी को रीन्यू कराना होता है. अगर आप समय रहते पॉलिसी को रीन्यू नहीं कराते हैं और इसी बीच आप क्लेम करते हैं तो इंश्योरेंस कंपनी उसे रिजेक्ट कर देगी.
7. सम एश्योर्ड से ज्यादा क्लेम:
हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में एक निश्चित बीमा राशि होती है. अगर क्लेम की राशि उससे ज्यादा है तो कंपनी उसे रिजेक्ट कर सकती है.
8. समय से जानकारी न देना :
अगर आप अस्पताल में भर्ती होने के बारे में बीमा कंपनी को समय से सूचित नहीं करते हैं, तो बीमा कंपनी आपके कैशलेस इलाज के क्लेम को अस्वीकार कर सकती है.
कैसे बचें– इंश्योरेंस फॉर्म हमेशा खुद भरें. एजेंट के भरोसे फॉर्म न छोड़ें. आप खुद को एजेंट से ज्यादा जानते हैं और इसलिए इसमें गलतियां होने की संभावना कम होती है.– पहले से मौजूद किसी बीमारी के बारे में छिपाएं नहीं. उसकी जानकारी जरूर दें.– वेटिंग पीरियड में क्लेम न करें.– पॉलिसी अगर लैप्स हो गई है तो उसे समय रहते रीन्यू करा लें.– अस्पताल में भर्ती होने 24 से 48 घंटे के भीतर कंपनी को सूचना जरूर दें.
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