एक ईमानदार टैक्सपेयर के मन की बात… ऐसा कर दे सरकार तो मैं खुद नए टैक्स रिजीम में शिफ्ट हो जाऊंगा

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नई दिल्ली. सरकार को देश चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. इसी वजह से सरकार हर साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करती है. इस बजट में सरकार ब्यौरा देती है कि वह कहां से पैसा जुटाएगी और कहां-कहां पर खर्च करेगी. तो इस बार भी 1 फरवरी को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी. इस बजट से मध्यम वर्ग, युवा प्रोफेशनल, और वरिष्ठ नागरिक बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. उम्मीदें हैं कि सरकार उनकी जेब में कुछ अतिरिक्त पैसा छोड़ने की घोषणाएं करे.

मुख्य मांगों की अगर बात करें तो इसमें टैक्स छूट, आयकर स्लैब में सुधार, और सेविंग स्कीम में लाभ बढ़ाने से जुड़ी हैं. विशेषज्ञों का भी मानना है कि सरकार को नए टैक्स रिजीम को अधिक आकर्षक बनाने के लिए इन पर ध्यान देना चाहिए.

न्यूज़18 के सहयोगी प्लेटफॉर्म मनीकंट्रोल ने लोगों से बात करके इस विषय पर विस्तार में एक रिपोर्ट की है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे के डिजिटल लेंडिंग सलाहकार, परिजात गर्ग (45), चाहते हैं कि इनकम टैक्स का उच्चतम 30% टैक्स केवल 20 लाख रुपये से अधिक आय वालों पर ही लगाया जाए. वर्तमान में 15 लाख रुपये की आय पर यह दर लागू होती है. वह कहते हैं, “अगर स्लैब में यह बदलाव होता है, तो मैं नए टैक्स नियमों में शिफ्ट करूंगा.”

धारा 80C के तहत कटौतीमुंबई की कानूनी सलाहकार, ख्याति अमलानी (40), मानती हैं कि 80सी में 1.5 लाख की लिमिट काफी कम होती है. यह लिमिट 2014-15 से नहीं बढ़ी है. उनका सुझाव है कि इसे 3 लाख रुपये किया जाए, ताकि बचत को प्रोत्साहन मिले. वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने नियम के तहत इसे 2 लाख और अलग-अलग खर्चों जैसे ट्यूशन फीस और हाउसिंग लोन के लिए अलग सब-लिमिट (50,000 प्रत्येक पर) किया जाना चाहिए.

फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स राहतगर्ग का सुझाव है कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज से होने वाली इनकम को टैक्स फ्री किया जाए, बशर्ते FD की अवधि 36 महीने से अधिक हो. इससे लोग बचत के लिए FD को प्राथमिकता देंगे और पोर्टफोलियो में भी विविधता आएगी.

पुरानी व्यवस्था के लिए छूट सीमा बढ़ाने की मांगमुंबई के प्राइवेट फर्म मैनेजर तेजस गांधी (45) चाहते हैं कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये की छूट सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाया जाए. उनका कहना है कि इससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी और उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी.

कैपिटल गेन टैक्स का सरलीकरण2024 के वित्त अधिनियम ने डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन बेनेफिट खत्म कर दिया, जिससे टैक्स का बोझ बढ़ गया. अमलानी और कई अन्य निवेशक चाहते हैं कि इन फायदों को बहाल किया जाए. वहीं, विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्टॉक और डेट दोनों में शॉर्ट और लॉन्ग-टर्म गेन पर टैक्स दरों को घटाया जाए.

गर्ग का सुझाव है कि नए टैक्स नियमों में स्किल अपग्रेडेशन के लिए 50,000 रुपये की अलग छूट दी जाए. इससे लोग अपने कौशल को निखारने में निवेश करेंगे, जो रोजगार के नए अवसर खोल सकता है.

हाउसिंग लोन पर अधिक लाभशहरी क्षेत्रों में घर खरीदना महंगा हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि धारा 24B के तहत ब्याज पर छूट की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना चाहिए. इससे खासकर पहली बार घर खरीदने वालों को फायदा होगा.

इन मांगों को यदि पूरी तरह मान लिया जाता है तो 2025 का बजट मध्यम वर्ग और निवेशकों के लिए कई बदलाव ला सकता है. यदि इनमें से कुछ मांगें ही मान ली जाएं तो भी बजट आम लोगों के जीवन पर अच्छा असर डालेगा. इससे लोगों की बचत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को भी फायदा हो सकता है.
Tags: Budget session, Personal financeFIRST PUBLISHED : January 8, 2025, 11:35 IST

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