हर महीने 5000 तक की पेंशन, पैसों की सेफ्टी के लिए सरकारी भरोसा, दमदार है ये स्कीम

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नई दिल्ली. देश के करोड़ों असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों और छोटे कामगारों के लिए बुढ़ापे की जिंदगी को सुरक्षित बनाने के लिए साल 2015 में सरकार ने अटल पेंशन योजना (Atal Pension Yojana – APY) की शुरुआत की थी. इसका मकसद है कि ऐसे लोग जो EPFO या किसी सरकारी पेंशन योजना में नहीं आते, उन्हें 60 साल की उम्र के बाद एक निश्चित पेंशन मिल सके. 2024 तक इस योजना से 6.6 करोड़ से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दिखाता है.

अटल पेंशन योजना खास तौर पर माली, कामवाली, रिक्शा चालक, डिलीवरी बॉय, रेहड़ी-पटरी वाले जैसे उन लोगों के लिए है, जो हर दिन मेहनत तो करते हैं लेकिन बुढ़ापे की आय की कोई गारंटी नहीं होती. इस योजना में 60 साल की उम्र के बाद हर महीने ₹1,000 से ₹5,000 तक की पेंशन मिलती है. यह राशि इस बात पर निर्भर करती है कि आपने योजना में कब और कितनी रकम से निवेश किया है.

कैसे काम करती है योजना?

18 से 40 साल की उम्र का कोई भी भारतीय नागरिक इसमें शामिल हो सकता है. इसके लिए एक बचत खाता (bank या post office में) होना जरूरी है. हालांकि, 1 अक्टूबर 2022 से इनकम टैक्स भरने वाले लोग इस योजना में शामिल नहीं हो सकते. साथ ही जो लोग EPF या दूसरी सरकारी पेंशन योजनाओं के सदस्य हैं, वो भी इससे बाहर हैं.

मासिक योगदान की रकम उम्र और चुनी गई पेंशन राशि के अनुसार तय होती है. जैसे, अगर कोई 18 साल की उम्र में ₹42/माह जमा करता है तो उसे 60 साल की उम्र के बाद ₹1,000/माह की पेंशन मिलेगी. अगर वो ₹210/माह जमा करता है तो उसे ₹5,000/माह की पेंशन मिलेगी. जितनी ज्यादा उम्र में कोई जुड़ता है, मासिक जमा उतना ही ज्यादा होता है.

सरकार ने भी की थी मदद

2015 से 2020 के बीच जो लोग योजना में शामिल हुए और इनकम टैक्स नहीं देते थे, उनके लिए सरकार ने 5 साल तक सालाना ₹1,000 या कुल योगदान का 50% (जो भी कम हो) खुद जमा किया.

फायदे और सुरक्षा

अगर सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पत्नी/पति को पेंशन मिलती है. दोनों के निधन के बाद नामांकित व्यक्ति को जमा राशि मिलती है. किसी गंभीर बीमारी या मृत्यु के मामले में योजना से समय से पहले भी निकासी की अनुमति है. पेंशन राशि को हर साल अप्रैल में बदला जा सकता है. साथ ही बैंक खाते से ऑटोमैटिक पैसा कटता है, जिससे पेमेंट में परेशानी नहीं होती.

नतीजा क्या है?

इस योजना ने खासकर युवाओं (18-30 साल) को आकर्षित किया है क्योंकि लंबे समय तक छोटी रकम जमा करने से अच्छी पेंशन बन जाती है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार करीब एक-तिहाई खाताधारक एक्टिव नहीं हैं, जो एक चुनौती है. फिर भी, सरकार की इस पहल ने करोड़ों गरीब और असंगठित श्रमिकों को बुढ़ापे की आर्थिक चिंता से काफी हद तक राहत दी है.

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