नई दिल्ली. पेट्रोल पंप का बिजनेस आज भी मुनाफे का सौदा है? नए एंट्रेप्रीन्योर्स के लिए क्या है मौके और चुनौतियां भारत में पेट्रोल पंप चलाना लंबे समय से एक ‘रिस्पेक्टेबल’ और स्थिर बिजनेस मॉडल माना गया है. लेकिन EV क्रांति, डिजिटल पेमेंट्स, और बदलती पॉलिसी के दौर में सवाल उठने लगे हैं — क्या यह बिजनेस अब भी उतना ही फायदे का सौदा है जितना एक दशक पहले था?
बहुत लोगों को लगता है कि पेट्रोल के रेट 100 रुपये से ऊपर हैं, तो पंप मालिक को सीधा बड़ा मुनाफा हो रहा है — जबकि सच यह है कि पंप मालिकों को हर लीटर पर फिक्स मार्जिन मिलता है, जो आम तौर पर इस रेंज में होता है
पेट्रोल पर मार्जिन: ₹3 से ₹4.50 प्रति लीटरडीजल पर मार्जिन: ₹2.50 से ₹3.50 प्रति लीटर
मतलब अगर एक पंप रोजाना 8,000 लीटर फ्यूल बेचता है, तो उसकी डेली कमाई करीब ₹25,000 – ₹35,000 हो सकती है, जिसमें से खर्च अलग होते हैं.
कितना निवेश लगता है पेट्रोल पंप खोलने में?सरकारी तेल कंपनियां जैसे IOCL, BPCL, HPCL समय-समय पर नई डीलरशिप खोलने के लिए आवेदन मांगती हैं. लेकिन यह कोई सस्ता सौदा नहीं है:
जमीन: खुद की हो तो बेहतर, किराये की जमीन पर कुछ शर्तें लगती हैं
इंफ्रास्ट्रक्चर: ₹70 लाख से ₹1.2 करोड़ तक का खर्च (टैंक, मशीन, बिल्डिंग, CCTV, ऑफिस आदि)
वर्किंग कैपिटल: ₹10-20 लाख (स्टाफ, मेंटेनेंस, लोडिंग, इंश्योरेंस, पंप स्टॉक आदि के लिए)
अगर लोन लिया जाए तो 5–7 साल का रिपेमेंट टर्म होता है, लेकिन ब्याज और लोड भी ध्यान में रखना पड़ता है.
मार्जिन बढ़ाने के रास्तेआज के पंप ऑपरेटर सिर्फ फ्यूल बेचकर नहीं टिक रहे — उन्होंने अपनी इनकम बढ़ाने के कई स्मार्ट तरीके निकाल लिए हैं:
CNG स्टेशन की सुविधा (जहां संभव हो).
EV चार्जिंग पॉइंट्स जोड़ना.
ATM, फास्टैग, मिनरल वॉटर, इंजन ऑयल और वॉशिंग सर्विस देना.
ट्रक वालों के लिए रेस्ट ज़ोन, ढाबा या दुकानें किराये पर देना.
बड़ी चुनौतियां
EV ट्रांज़िशन का डर: आने वाले 10–15 सालों में पेट्रोल की डिमांड पर असर पड़ सकता है.
हाई कंप्लायंस: फायर सेफ्टी, वेट एंड मेज़रमेंट, PDS ऑडिट्स आदि में सख्ती.
स्टाफ और सिक्योरिटी: धोखाधड़ी से लेकर रात की शिफ्ट तक का प्रेशर.
कैश फ्लो दबाव: अगर सरकारी तेल कंपनियों से सप्लाई में देरी हो जाए तो लिक्विडिटी क्रंच हो सकता है.
क्या अब भी यह बिजनेस सही है नए लोगों के लिए?अगर आपके पास अच्छी लोकेशन है (हाइवे या बड़े कस्बे के पास), और आप ओनर की तरह ग्राउंड पर रहकर इस बिजनेस को ऑपरेट कर सकते हैं — तो आज भी यह एक सॉलिड मिड-टर्म इन्वेस्टमेंट है. लेकिन इसे ‘पैसिव इनकम’ समझना गलत होगा.
नया ट्रेंडअब पेट्रोल पंप भी स्मार्ट हो रहे हैं — डिजिटल पेमेंट, ऑटोमेटेड नोज़ल ट्रैकिंग, स्टॉक मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, और EV चार्जिंग से जुड़ना अब अनिवार्य हो गया है. सरकार भी ग्रीन एनर्जी की दिशा में इस सेक्टर को धीरे-धीरे ट्रांजिशन के लिए तैयार कर रही है.
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