ब्लैक डायमंड है ‘मखाना’, महंगी और मुनाफे वाली व्यापारिक फसल

Must Read

Last Updated:February 25, 2025, 11:10 ISTMakhana Cultivation and Price: मखाना, एक अहम व्यापारिक फसल है, जिसका खेती मुख्य रूप से बिहार में होती है. प्रोटीन और मिनरल से भरपूर होने के कारण मखाना की दुनियाभर में बहुत मांग है.हाइलाइट्समखाना की खेती मुख्य रूप से बिहार में होती है.मखाना की कीमत भारत में 1600 रु/किलो, विदेश में 8000 रु/किलो है.मखाना, प्रोटीन और मिनरल से भरपूर होता है.Makhana Cultivation and Price: मखाने के उत्पादन और खेती को लेकर लेकर मोदी सरकार बेहद संजीदा नजर आ रही है. बजट में केंद्र सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड के गठन का ऐलान किया है, और अब इस दिशा में तैयारी जारी है. 24 फरवरी को बिहार के भागलपुर में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मखाना सुपरफूड है और इसे पूरी दुनिया के बाजारों में पहुंचाना है. ऐसे में किसानों के लिए मखाने की खेती बहुत कारगर और फायदेमंद साबित हो सकती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं मखाने की खेती कैसे की जाती है, यह कितनी फायदेमंद है, और किस भाव पर मखाना बिकता है. आइये आपको विस्तार से बताते हैं कि मखाने की खेती के बारे में…

मखाने को क्यों कहा जाता ‘ब्लैक डायमंड’

मखाना, जिसे अंग्रेजी में फॉक्स नट के नाम से जाना जाता है. यह एक कांटेदार गोरगन पौधे का सूखा हुआ खाद्य बीज है. यह पौधा पूरे दक्षिण और पूर्वी एशिया में मीठे पानी के तालाबों में पाया जाता है. मखाना के पौधे का खाने योग्य भाग छोटे, गोल बीजों से बना होता है, जिसकी बाहरी परत काले से भूरे रंग की होती है, इसी वजह से इसे ‘ब्लैक डायमंड’ कहा जाता है. यह एक महंगी व्यापारिक फसल है.

प्रोटीन और मिनरल से भरपूर मखाना

मखाना, मखाना अत्यधिक पौष्टिक ड्रायफ्रूट है, जो शरीर को कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और अन्य मिनरल प्रदान करता है. मेडिकल, हेल्थकेयर और न्यूट्रिशन वैल्यू को लेकर मखाने का सेवन व इस्तेमाल विभिन्न रूपों में किया जा सकता है.

खेती के लिए कैसी जलवायु की जरूरत ?

मखाना (फॉक्सनट) एक जलीय फसल है और मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है. पारंपरिक रूप से इसकी खेती तालाबों, भूमि अवसादों, झीलों, खाइयों या 4-6 फीट तक की उथली पानी की गहराई वाले आर्द्रभूमि जैसे स्थिर जल निकायों में की जाती है. आमतौर पर मखाने की फसल 120 दिन में तैयार हो जाती है.

मखाने की खेती मुख्य रूप से बिहार में होती है. इसके अलावा, असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा में भी की जाती है. हालांकि, बिहार मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यह घरेलू और वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रहा है. उधर, पंजाब और असम भारत में मखाना के सबसे बड़े निर्यातक हैं.

कितनी फायदेमंद मखाने की खेती

मखाने का इस्तेमाल मुख्य तौर पर स्नैक्स के रूप में किया जाता है. मखाने की खेती कितने बड़े फायदे का सौदा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां भारत में प्रति एक किलोग्राम मखाने का भाव 1600 रुपये है, वहीं इंटरनेशल मार्केट में इसकी कीमत 8000 रुपये प्रति किलोग्राम है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, होलसेल इंटरनेशनल मार्केट में मखाना करीब 8,000 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है, जिसका भाव 10 साल पहले 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम था. दुनिया में शाकाहारी प्रोटीन के स्रोत के रूप में इसकी काफी मांग है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 25, 2025, 11:10 ISThomebusinessब्लैक डायमंड है ‘मखाना’, महंगी और मुनाफे वाली व्यापारिक फसल

stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -