नई दिल्ली. भारत के फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी और जोमैटो में तगड़ा संग्राम चल रहा है. इस संग्राम में जीत के लिए बहुत भारी धनबल की जरूरत है. धनबल मतलब कैश. स्विगी ने हाल ही में अपना आईपीओ लाकर 11,327 करोड़ रुपये जुटाए हैं. स्विगी के आईपीओ की खबरों के बीच ही जोमैटो ने तीन सप्ताह पहले बताया कि कंपनी 5,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है. हालांकि दोनों कंपनियों के पास ठीक-ठाक कैश पहले से ही पड़ा है. ऐसे में और ज्यादा कैश जुटाने की जद्दोजहद क्यों की जा रही है?
दरअसल, फूड डिलीवरी में भारत में इन दोनों प्लेटफॉर्मों की तूती बोलती है. दोनों को फर्स्ट मूवर्स का लाभ मिला है. स्विगी के मुकाबले जोमैटो के पास ज्यादा स्टेशन हैं और ज्यादा पावर भी है. फिर भी जहां दोनों की उपस्थिति है, वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा भी है. दोनों की टक्कर के बीच क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म जेप्टो (Zepto) और बिगबास्केट (BigBasket) भी अपनी जगह बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इस स्थिति में जोमैटो और स्विगी के लिए पैसा जुटाना अनिवार्य हो जाता है. दोनों का मकसद प्रतिस्पर्धा में बना रहना तो है ही, साथ ही वे अपने बिजनेस को विस्तार देने की तरफ भी देख रहे हैं.
स्विगी और जोमैटो की फंडिंग रणनीतिस्विगी द्वारा आईपीओ से 11,327 करोड़ रुपये जुटाए जाने के बीच, जोमैटो ने भी लगभग 5,000 करोड़ रुपये जुटाने का मन बनाया है. जोमैटो कंपनी की बैलेंस शीट को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है. जोमैटो के को-फाउंडर और सीईओ दीपिंदर गोयल ने शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में बताया कि इस फंडिंग से कंपनी की वित्तीय स्थिति को स्थायित्व मिलेगा. जोमैटो का कैश बैलेंस पिछले तीन वर्षों में 14,400 करोड़ रुपये से घटकर 10,800 करोड़ रुपये रह गया है, जिसका कारण क्विक कॉमर्स में नुकसान और विभिन्न इक्विटी निवेशों में लगाई गई पूंजी है.
क्विक कॉमर्स सर्विस एक अत्यधिक पूंजी-आधारित व्यवसाय है, जिसमें केवल ग्रॉसरी ही नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक एक्सेसरीज़, खिलौने, सौंदर्य उत्पाद, परिधान, और कभी-कभी आईफोन जैसे महंगे आइटम भी शामिल होते हैं. ऐसे में बड़े स्तर पर बिजनेस को चलाने के लिए पर्याप्त पूंजी का होना अनिवार्य है. दीपिंदर गोयल का मानना है कि केवल पूंजी ही जीत की गारंटी नहीं देती, लेकिन वह यह सुनिश्चित करती है कि कंपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ मजबूती से खड़ी रहे.
स्विगी का IPO से 11,327.43 करोड़ जुटाने के पीछे भी अपने बिजनेस में विस्तार और कुछ लोन कम करने का उद्देश्य था. एक्सचेंज में जमा कराए अपने ड्राफ्ट में कंपनी ने कहा था कि इस पैसे से वह अपनी सहायक कंपनी, स्कूट्सी के लिए ऋण चुकाने के लिए करेगी. इसके अलावा, स्विगी स्कूट्सी के डार्क स्टोर नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 982.40 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जिसमें डार्क स्टोर्स की स्थापना और उनके लिए लीज/लाइसेंस भुगतान शामिल हैं.
अन्य आवंटनों में तकनीक और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए ₹586.20 करोड़, विभिन्न सेगमेंट में ब्रांड अवेयरनेट और विजिबिलिटी बढ़ाने हेतु ब्रांड मार्केटिंग और प्रचार पर ₹929.50 करोड़ खर्च करना शामिल है. शेष राशि सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों और संभावित अधिग्रहणों के लिए उपयोग की जाएगी.
क्या कहते हैं दोनों कंपनियों के तिमाही नतीजे?हाल के Q2 परिणामों में जोमैटो और स्विगी के प्रदर्शन में बड़ा अंतर देखा गया है. जोमैटो ने वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 176 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जबकि स्विगी को वित्त वर्ष 24 में लगभग 23,502 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ. जोमैटो का कुल राजस्व 4,799 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 69% अधिक है. जोमैटो के फूड डिलीवरी सेगमेंट में 21% और क्विक कॉमर्स सेगमेंट में 122% की वृद्धि हुई है. वहीं स्विगी की कुल आय लगभग 11,634 करोड़ रुपये थी, लेकिन उसे अभी प्रॉफिट में आने में कुछ समय और लग सकता है.
स्विगी अभी जोमैटो से पीछे है और अपने ऑपरेशन में सुधार और प्रॉफिटेबिलिटी की दिशा में कार्यरत है. हालांकि, दोनों कंपनियां भारत के तेजी से बढ़ते फूड डिलीवरी बाजार में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं. विश्लेषकों का मानना है कि निकट भविष्य में स्विगी भी जोमैटो की तरह प्रॉफिटेबिलिटी की स्थिति में आ सकता है, लेकिन इसके लिए उसे बाजार में और अधिक निवेश और इनोवेशन की जरूरत होगी.
Tags: Online businessFIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 15:47 IST
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News