ढहने की कगार पर दुनिया में 50 साल से चली आ रही ये रीति, जोहो के फाउंडर ने किया आगाह

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ढहने की कगार पर दुनिया में 50 साल से चली आ रही ये रीति, जोहो के फाउंडर ने किया आगाह

Last Updated:April 06, 2025, 12:47 ISTजोहो कॉर्पोरेशन के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने कहा कि दुनिया की वित्तीय व्यवस्था टूटने की कगार पर है. उन्होंने सोना-चांदी आधारित व्यापार प्रणाली का सुझाव दिया. वेम्बु के अनुसार, अमेरिका का बढ़ता कर्ज और कमजोर औद्…और पढ़ेंश्रीधर वेम्बु ने क्यों कहा ऐसा?हाइलाइट्सश्रीधर वेम्बु ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के टूटने की चेतावनी दी.सोना-चांदी आधारित व्यापार प्रणाली का सुझाव दिया.अमेरिका की मौजूदा रणनीति अब टिक नहीं पाएगी.नई दिल्ली. जोहो कॉर्पोरेशन के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने कहा है कि दुनिया की वित्तीय व्यवस्था (इकोनॉमिक ऑर्डर) अब टूटने की कगार पर पहुंच गई है. वेम्बु के अनुसार, अमेरिका पर बढ़ते कर्ज के दबाव ने इसे ताश के पत्तों से बना महल बना दिया है. सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले वेम्बु ने यह बात माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर कही. वेम्बु का कहना है कि जिस धागे ने 50 साल से विश्व की आर्थिक व्यवस्था को बांध कर रखा था अब वह टूटने की कगार पर है.

बकौल वेम्बु, “अभी जो संकट पैदा हुआ है इसे समझने के लिए यह समझना भी जरूरी है कि पिछले 50 साल में वैश्विक व्यवस्था ने कैसे काम किया है. यूएस ने निर्यात से ज्यादा आयात किया, डॉलर्स जारी किए, ये डॉलर ग्लोबल बैंकिंग सिस्टम में कई गुना बढ़ गए. इन डॉलर्स ने (जारी किए गए और बढ़े हुए) मिलकर दुनिया भर में हो ट्रेड और लगभग सभी निवेश को संचालित किया.”

ढहेगा ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टमवैश्विक व्यापार व्यवस्था एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है जहां बड़े बदलाव की जरूरत है. Zoho के को-फाउंडर श्रीधर वेंबू ने कहा है कि अमेरिका की मौजूदा रणनीति – जहां वह लगातार आयात बढ़ाकर अपने घरेलू उद्योगों को कमजोर करता रहा – अब टिक नहीं पाएगी. उन्होंने कहा कि यह मॉडल अब अपनी अंतिम सीमा पर है और “ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम” का मौजूदा ढांचा ढह सकता है. वेंबू के मुताबिक, अमेरिका को वैश्विक व्यापार और निवेश को बनाए रखने के लिए वर्षों से कर्ज लेना पड़ता रहा है. यही कारण है कि उसकी औद्योगिक नींव कमजोर हो गई है. उन्होंने 1985 के ‘प्लाजा अकॉर्ड’ की याद दिलाई, जब अमेरिका ने जापान और जर्मनी से अपने व्यापार घाटे को संतुलित करने के लिए निर्यात पर रोक लगवाई थी. आज चीन उसी भूमिका में है.

क्या अब सोना-चांदी होंगे ग्लोबल ट्रेड के नए साधन?वेंबू ने कहा कि मौजूदा प्रणाली “कागज़ी दावों” (यानी डिजिटल करंसी और कर्ज आधारित सिस्टम) पर टिकी है और यह अब टूटने की कगार पर है. उन्होंने सुझाव दिया कि एक स्थायी वैश्विक व्यापार प्रणाली के लिए सोना और चांदी जैसे ठोस संसाधनों पर आधारित व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे देश आयात का भुगतान सोने से करें. उनके मुताबिक, अगर किसी देश को अपनी आयात सीमा को समझदारी से तय करनी होगी, तो उसे यह देखना होगा कि उसके पास सोने का भंडार कितना है. इससे वैश्विक असंतुलन में भी कमी आएगी.

बिटकॉइन या कमॉडिटी-बैक्ड क्रिप्टो सिस्टम?जब एक टेक फाउंडर ने सवाल उठाया कि क्या सोना-चांदी अब व्यावहारिक विकल्प हैं, तो वेंबू ने पलटकर पूछा, “फिर और क्या विकल्प है? बिटकॉइन? कमॉडिटी आधारित क्रिप्टो करेंसी?” उनका मानना है कि सोना आज भी ऐसा साधन है जिसे “शांतिपूर्ण लेकिन गैर-विश्वासी” देश भी आपसी व्यापार में उपयोग कर सकते हैं.

ट्रंप के टैरिफ और मंदी का डरवेंबू की यह टिप्पणी उस वक्त आई है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगा दिए हैं. इसका असर अमेरिकी बाजारों पर साफ दिखा – डाओ जोंस 7.5%, S&P 500 करीब 9% और नैस्डैक 10% तक लुढ़क गया. जेसै-जेसै व्यापार युद्ध गहराता जा रहा है, वैश्विक मंदी की आशंका भी बढ़ रही है. चीन ने भी जवाब में अमेरिका से आने वाले हर उत्पाद पर 34% का टैरिफ लगा दिया है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 06, 2025, 12:47 ISThomebusinessढहने की कगार पर दुनिया में 50 साल से चली आ रही ये रीति, वेम्बु ने किया आगाह

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