नई दिल्ली. फ्रेशवर्क्स के 660 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा के बाद जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है. वेम्बू का कहना है कि ‘अमेरिकी कॉर्पोरेट लालच’ का प्रभाव भारत में भी देखा जा रहा है. चेन्नई स्थित एक प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी फ्रेशवर्क्स ने हाल ही में अपने राजस्व में 22% की वृद्धि के बावजूद अपने 13% कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया.
वेम्बू ने इस कदम को अनावश्यक बताया, विशेषकर तब जब कंपनी के पास एक अरब डॉलर की नकदी और 20% की बढ़त दर है. उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि जो कंपनियां लाभ कमा रही हैं और नकदी भंडार भी अच्छा है, उन्हें कर्मचारियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए.
वेम्बु का बयानउन्होंने कहा, “अगर एक कंपनी के पास 1 बिलियन डॉलर नकद हो, जो कि उसकी वार्षिक आय का लगभग 1.5 गुना है, और वह अभी भी 20% की अच्छी दर से बढ़ रही हो और नकद लाभ कमा रही हो, फिर भी 12-13% कर्मचारियों की छंटनी करना, तो वह कभी भी अपने कर्मचारियों से वफादारी की उम्मीद नहीं कर सकती. इस पर और भी ताज्जुब की बात यह है कि कंपनी $400 मिलियन का स्टॉक बायबैक कर रही है.”
A company that has $1 billion cash, which is about 1.5 times its annual revenue, and is actually still growing at a decent 20% rate and making a cash profit, laying off 12-13% of its workforce should not expect any loyalty from its employees ever. And to add insult to injury,…
— Sridhar Vembu (@svembu) November 7, 2024
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