महंगाई निवेश को कैसे प्रभावित कर सकती है? Nivesh ka Sahi Kadam उठाकर महंगाई को दें मात

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नई दिल्ली. महंगाई बिना शोर-शराबे के आने वाली ऐसी मुसीबत होती है, जिससे आपके पैसों की वैल्यू वक्त के साथ कम हो सकती है. बचत करना ज़रूरी है, लेकिन अपने पैसे बैंक लॉकर में रखने से या पुराने तरीके के मुताबिक खाते में रखने से अपना आर्थिक भविष्य सुरक्षित नहीं कर सकेंगे. महंगाई कैसे आपकी बचत को प्रभावित कर सकती है, यह समझना बहुत ज़रूरी है. “Nivesh ka Sahi Kadam” उठाकर आप यह पक्का कर सकते हैं कि पैसे समय के साथ बढ़ते रहेंगे.

ध्यान रहे कि बचत करना काफ़ी नहीं है, सोच-समझकर पैसों का निवेश करना भी ज़रूरी है – क्योंकि जब आपके पैसे बढ़ती महंगाई की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहे हों, तो “Mutual Funds Sahi Hai” आप भी मान जाएंगे.

महंगाई क्या है और यह आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

महंगाई को आसान भाषा में समझाएं, तो यह समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में होने वाली वृद्धि है. इसका मतलब है कि जिस कीमत पर आज आप कोई सामान खरीद रहे हैं, भविष्य में उतनी ही राशि में वह सामान या सेवा न खरीद पाएं या कम मात्रा में ले सकें. जैसे कि अगर महंगाई सालाना 5% है और किसी चीज़ की कीमत आज ₹100 है. उसी चीज़ की कीमत अगले साल ₹105 हो जाएगी. अगर आपकी बचत और निवेश महंगाई की तुलना में उसी अनुपात में नहीं बढ़ती है, तो भविष्य में आपकी चीज़ों और सेवाओं को खरीदने की क्षमता घटती जाएगी.

निवेश पर महंगाई का दोहरा असर होता है

1. आपकी क्रय क्षमता कम होती जाती है

महंगाई का सीधा असर पैसों के अवमूल्यन (रुपये का कमज़ोर होना) के तौर पर होता है. अगर आपकी बचत पहले से बढ़ भी रही हो, लेकिन महंगाई के अनुपात में बचत न बढ़े, तो भविष्य में आपकी क्रय क्षमता कम हो जाती है. आसान शब्दों में कहें, तो आपकी चीज़ें और सेवाएं खरीदने की क्षमता कम हो जाएगी.

2. शुद्ध रिटर्न में कमी आना

आपके निवेश पर मिलने वाला ‘शुद्ध रिटर्न’ वह राशि होती है जो आप मुद्रास्फ़ीति को घटाने के बाद कमाते हैं. इसे उदाहरण से समझते हैं. अगर आपकी पारंपरिक जमा राशि पर 5% ब्याज़ दर मिलती है, लेकिन महंगाई दर 6% है, तो आपका शुद्ध रिटर्न घटकर (-1%) हो जाएगा. यही वज़ह है कि महंगाई की दर जब ज़्यादा हो, तो बचत के पुराने तरीकों और निश्चित आय वाले विकल्पों पर निर्भर रहना जोखिम भरा फ़ैसला हो सकता है.

निवेश की अलग-अलग इकाइयों पर महंगाई का कैसे असर होता है

● निश्चित आय वाले निवेश (पारंपरिक जमा योजनाएं, बॉन्ड): इस तरह के निवेश विकल्प महंगाई की मार झेलने के लिहाज़ से सबसे असुरक्षित विकल्प हैं. इनमें रिटर्न निश्चित होता है, लेकिन वक्त के साथ बढ़ती महंगाई की वज़ह से ब्याज़ और मूलधन दोनों की राशि का अवमूल्यन होता है.

● इक्विटी (स्टॉक, इक्विटी म्यूचुअल फंड): स्टॉक कभी-कभी महंगाई की दर से भी ज़्यादा तेज़ रिटर्न देते हैं. खास तौर पर अगर कंपनियां लागत का बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं पर डाल दें. हालांकि, अगर महंगाई दर के बहुत ज़्यादा होने पर थोड़े समय के लिए आपके लाभ और स्टॉक की कीमतों पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं.

● रियल स्टेट और कमोडिटी (सोना, तेल): इन्हें महंगाई से बचने का हथियार समझ सकते हैं. संपत्ति के मूल्य और कमोडिटी की कीमतें आम तौर पर महंगाई के बावज़ूद भी बढ़ती हैं, जिससे शुद्ध रिटर्न का हिस्सा बरकरार रहता है.

● महंगाई-सूचकांक वाले बॉन्ड (इनफ्लेशन-इंडेक्स फंड): महंगाई के साथ ताल मिलाकर चलने के उद्देश्य से ही ये बॉन्ड तैयार किए गए हैं, क्योंकि इसमें मूलधन और ब्याज़ भुगतान दोनों को ही महंगाई दरों के मुताबिक समायोजित किया जाता है.

बचत की तुलना में निवेश क्यों बेहतर है

बचत करना किसी बीज को बचाने की तरह है, लेकिन निवेश करना उस बीज को एक बगीचे में लगाने की तरह है. जब आप निवेश करते हैं, तो आपके पैसे को एक पेड़ बनने का मौका मिलता है. इस पेड़ से आने वाले सालों में फल और छाया भी मिलेगा. यानी कि आपके पैसे पेड़ की तरह बढ़ने के साथ आपके बहुत से काम भी बनाएंगे. पैसे को किसी लॉकर में रख देने या कम ब्याज़ वाले खाते में ‘सुरक्षित’ रखने पर, महंगाई की तुलना में पैसे का मूल्य बहुत धीमी गति से बढ़ेगा.

महंगाई की तुलना में अपने निवेश को कैसे सुरक्षित रखें

● पोर्टफ़ोलियो में विविधता रखें:अपने पोर्टफ़ोलियो में इक्विटी, महंगाई-की तरह मूल्य बढ़ने वाली संपत्ति (जैसे कि रियल स्टेट और कमोडिटी में सोना, तेल वगैरह) के साथ अंतर्राष्ट्रीय निवेश विकल्पों को शामिल करें. इससे निवेश से जुड़े जोखिम को काफ़ी हद तक सीमित कर सकते हैं.

● महंगाई-सूचकांक वाले निवेश विकल्प चुनें:इनके साथ मिलने वाला रिटर्न महंगाई के अनुपात में चलता है. यह आपकी क्रय क्षमता को बरकरार रखता है.

● निगरानी और ज़रूरत के मुताबिक बदलाव करें:अपने पोर्टफ़ोलियो की समय-समय पर निगरानी करें और महंगाई दर को देखते हुए ज़रूरत के मुताबिक निवेश रणनीति और प्रक्रिया में बदलाव करें.

● विकास के लिए करें निवेश:ऐसी संपत्तियों और फंड में निवेश करने की कोशिश करें, जो लंबे समय में ज़्यादा से ज़्यादा शुद्ध रिटर्न दे सकें और महंगाई दर की तुलना में जिन पर बेहतर रिटर्न देने की क्षमता हो.

सही कदम उठाएं: सिर्फ़ बचत करना काफ़ी नहीं, निवेश भी करें

महंगाई को हम टाल नहीं सकते हैं, लेकिन आपके निवेश पर इसके असर को रोका जा सकता है. इसके लिए आपको महंगाई के प्रभावों को समझना होगा और अपने लिए सही निवेश विकल्प चुनने होंगे. आप न सिर्फ़ बढ़ती कीमतों की तुलना में अपने पैसे बढ़ा सकते हैं, बल्कि उससे एक कदम आगे भी रह सकते हैं. जब आप बहुत सोच-समझकर, महंगाई के असर को समझते हुए सही निवेश रणनीति अपनाते हैं, तो “Mutual Funds Sahi Hai” असली में साकार हो जाता है.

महंगाई कैसे आपकी बचत को भी धीरे-धीरे खा जाती है और इसे हराने के लिए सबसे सही तरीका निवेश करना है, यह समझना चाहते हैं?. सुब्बू (Subbu) के इस वीडियो में इसे बहुत आसान तरीके से, हमारे आसपास के उदाहरणों और व्यावहारिक तरीकों के ज़रिए इसे बताया गया है.

ज़्यादा जानकारी के लिए यहां देखें:

डिसक्लेमर: म्युचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन है. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले स्कीम से जुड़े सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें. किसी फंड का अतीत में किया प्रदर्शन भविष्य में वैसे ही प्रदर्शन की गारंटी नहीं है.

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