हाइलाइट्सयूबीएस सिक्योरिटीज ने भारत का विकास दर अनुमान घटा दिया है. यूबीएस ने कहा है कि ट्रंप की नीतियों से अर्थव्यवस्था पर असर होगा. ग्लोबल इकनॉमी सुस्त पड़ने से भारत पर भी असर जरूर पड़ सकता है. नई दिल्ली. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव खत्म हुआ और डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने का रास्ता भी खुल गया. लेकिन, ट्रंप की जीत के बाद से ही दुनियाभर में हलचल मची हुई है. अपनी सख्त नीतियों के लिए मशहूर ट्रंप को वैसे तो भारत के लिए अच्छा बताया जा रहा है, लेकिन रेटिंग एजेंसियों को लगता है कि उनके आने से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर असर जरूर पड़ेगा. आखिर यह आशंका क्यों जताई जा रही है और इसके पीछे का गणित क्या है, इसकी पूरी पड़ताल हम इस स्टोरी में करेंगे.
अभी तक चीन को लेकर निगेटिव बातें कह रहीं एजेंसियों ने अब भारत को लेकर भी ऐसा ही दावा करना शुरू कर दिया है. यूबीएस सिक्योरिटीज ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि वैसे तो ट्रंप भारत के लिए अच्छे हैं, लेकिन उनकी वापसी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव भी पड़ेगा. इसकी वजह ग्लोबल इकनॉमी को बताया जा रहा है. यूबीस सिक्योरिटीज का कहना है कि ट्रंप के आने से टैरिफ वॉर छिड़ेगा और ग्लोबल इकनॉमी सुस्त पड़ जाएगी. इसका असर भारत की विकास दर पर भी दिखेगा.
कितनी घट जाएगी विकास दरयूबीएस सिक्योरिटीज का कहना है कि ट्रंप की नीतियों से अगर ग्लोबल इकनॉमी सुस्त पड़ती है तो भारत की विकास दर भी 30 से 50 आधार अंक नीचे आ जाएगी. इस तरह, वित्तवर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. जाहिर है कि ग्लोबल इकनॉमी पर पड़ने वाले किसी भी असर से भारतीय अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रहेगी.
क्यों पड़ेगा भारत पर असरयूबीस ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि अमेरिका के नए प्रशासन की वजह से एनर्जी की कीमतों पर असर पड़ेगा और चूंकि भारत एनर्जी का बड़ा आयातक है तो इसका आयात बिल भी बढ़ जाएगा. इसके अलावा चीन के उत्पादों पर टैरिफ लगाने से भी ग्लोबल निर्यात पर असर पड़ेगा और भारत के निर्यात पर भी इसका असर दिखाई दे सकता है. इसका मतलब हुआ कि एक तरफ तो निर्यात सुस्त पड़ेगा और दूसरी ओर आयात बिल में इजाफा होगा, यह भारत के लिए दोहरी मार साबित हो सकती है और विकास दर नीचे आ सकती है.
फिर भी फायदे में रहेगा भारतयूबीस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही कुछ समय के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा, लेकिन लांग टर्म के लिए ट्रंप की वापसी से भारत फायदे में रहेगा. चीन पर टैरिफ बढ़ने से भारत की चीन प्लस वन वाली रणनीति को बल मिलेगा. भारत ने दुनिया को चीन का विकल्प देने के लिए कई नीतियों पर काम शुरू किया है. इसमें कारोबारी सुगमता, कॉरपोरेट टैक्स में कटौती, इन्फ्रा पर खर्च बढ़ाने से विदेशी निवेश खींचने में सफल रहा है. पीएलआई जैसी योजनाओं ने कंपनियों को मेक इन इंडिया का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया है.
भारत में सस्ता हो सकता है कर्जयूबीएस ने अनुमान लगाया है कि भारत के लिए महंगाई से ज्यादा अब ग्रोथ रेट का जोखिम है. यही कारण है कि विकास दर को सहयोग करने के लिए आरबीआई जल्द ही रेपो रेट को 0.75 फीसदी तक घटा सकता है. चालू वित्तवर्ष में भारत की विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के 7.2 फीसदी के अनुमान से काफी नीचे रह सकता है. अगले वित्तवर्ष में भी यह 6.5 फीसदी के आसपास रह सकती है. जाहिर है कि अब आरबीआई रेपो रेट में कटौती करके विकास दर को सपोर्ट कर सकता है.
Tags: Business news, GDP growth, India growth, Indian economyFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 13:24 IST
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