नई दिल्ली. दुनिया के हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा उनसे भी बड़ा कामयाब इंसान बने. बिजनेसमैन, डॉक्टर, नेता और अभिनेता समेत हर शख्स की यही ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे उनकी विरासत संभाले और उसे खूब बढ़ाएं. हालांकि, बच्चों की अपनी मर्जी होती है कि वे जिंदगी में क्या करना चाहते हैं. आमतौर पर ज्यादातर बच्चे अपने मां-बाप की इच्छाओं को पूरा करने में लग जाते हैं. लेकिन, हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने उद्योगपति पिता के 5 अरब डॉलर के व्यापारिक साम्राज्य को ठुकरा दिया और धर्म के प्रचार के लिए सारी सुख-सुविधाएं त्याग दीं. 40000 करोड़ के वारिस अजहान सिरिपन्यो अब बौद्ध भिक्षु बन गए हैं.
मलेशियाई टेलीकॉम टाइकून आनंद कृष्णन के बेटे अजहान सिरिपन्यो ने लग्जरी लाइफ को छोड़कर धर्म की राह पर निकल पड़े. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, आनंद कृष्णन मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं, जिनकी कुल संपत्ति 40,000 करोड़ रुपये (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) से ज्यादा है. वहीं, उनकी मां भी राजघराने से तालुक रखती हैं.
मलेशिया में बड़े-बड़े बिजनेस
मलेशिया में आनंद कृष्णन के टेलिकॉम, मीडिया, ऑयल, गैस और रियल एस्टेट जैसे बिजनेस में शामिल हैं. यह विशाल बिजनेस एम्पायर सिरीपान्यो को विरासत में मिल रहा था, लेकिन उन्होंने यह सांसारिक सुख छोड़कर धर्म को चुना और उस दिशा में आगे बढ़ गए. हैरानी की बात है कि सिरीपान्यो ने 18 साल की उम्र में सुख-सुविधाओं को छोड़कर बौद्ध भिक्षु बन गए.
अजहान सिरिपन्यो ने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत थाईलैंड यात्रा के दौरान शुरू की. जहां वे अस्थायी रूप से बौद्ध रिट्रीट में रहे. इस छोटी-सी अवधि में उन्हें धर्म और जीवन के सत्य का एहसास हुआ. इसके बाद तो मानों उन्होंने फैसला कर लिया कि वे आजीवन धर्म की राह पर चलेंगे. अजहान सिरिपन्यो, अब थाईलैंड-म्यांमार सीमा के पास स्थित दताओ दम मठ के मठाधीश के रूप में रह रहे हैं.
Tags: High net worth individuals, Success StoryFIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 11:09 IST
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