गाजियाबाद में हिंदू रक्षा दल नाम के एक हिंदूवादी संगठन ने सेक्टर-10 स्थित केएफसी (KFC) रेस्टोरेंट को जबरन बंद करवा दिया. आरोप लगाया कि रेस्टोरेंट में मांस बेचा जा रहा है, जिससे कांवड़ यात्रा में हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. इसके जुड़ा एक वीडियो वायरल है. इसी वीडियो को पोस्ट करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सवाल किया कि केएफसी को भारत में लाया कौन? इस पर विवाद जारी है. लेकिन क्या आप इस सवाल का जवाब जानते हैं कि KFC को भारत में कौन लाया? फ्राइड चिकन के लिए मशहूर ये कंपनी भारत में कब आई? इसके संस्थापक का नाम क्या है? बहुत से लोग इस बारे में नहीं जानते. लेकिन हम आपको इसकी विस्तार से जानकारी दे रहे हैं.
KFC का फुल फॉर्म है केंटुकी फ्राइड चिकन (Kentucky Fried Chicken). यह एक अमेरिकी ब्रांड है, जिसे कर्नल सैंडर्स ने 1930 के दशक में शुरू किया था. इसका मुख्यालय अमेरिका के केंटकी राज्य में है. कहा जाता है कि इसका मसाला एक सीक्रेट रेसिपी है, जिसमें 11 तरह की खास जड़ी-बूटियों मिलाई जाती हैं.
केएफसी भारत में कब आया?
KFC ने भारत में पहली बार साल 1995 में कदम रखा था. उस समय भारत में आर्थिक बदलाव का दौर चल रहा था, जिसे ‘LPG नीति’ कहा जाता है – यानी Liberalization, Privatization, Globalization. इसके तहत विदेशी कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना आसान हो गया था. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव थे.
भारत में शुरुआत के साथ ही KFC को विरोध झेलना पड़ा. कई लोगों ने इसके खाने में इस्तेमाल होने वाले तत्वों, खासतौर पर मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG), और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को लेकर विरोध किया. इसके बेंगलुरु और दिल्ली स्थित रेस्टोरेंट्स पर प्रदर्शन भी हुए. इस कारण KFC को भारत से बाहर होना पड़ा.
इसके बाद 1999 में इसकी फिर से एंट्री हुई. केंद्र सरकार बदल गई थी और देश का नेतृत्व NDA सरकार के पास आ गया था. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. संभवत: इसी वजह से अखिलेश यादव यह सवाल उठा रहे हैं.
जब कंपनी ने दूसरी बार भारत में प्रवेश किया तो केवल चिकन तक सीमित नहीं रही. कंपनी ने भारतीय स्वादों का ध्यान रखते हुए मेनू में कई बदलाव किए. कंपनी ने वेजिटेरियन विकल्प जैसे पनीर रैप, चना क्रंच स्नैकर, और वेजी पुलाव जैसे प्रोडक्ट्स पेश किए, ताकि भारतीय उपभोक्ताओं से बेहतर जुड़ाव हो सके.
भारत में कहां खुला था KFC का पहला आउटलेट?
भारत में केएफसी का पहला रेस्टोरेंट 1995 में बेंगलुरु में खोला गया था. इसे Yum! Brands ने शुरू किया था, जो कि KFC की मूल कंपनी है. आज भारत में KFC के दो प्रमुख फ्रैंचाइज़ी पार्टनर हैं- 1. देवयानी इंटरनेशनल लिमिटेड (Devyani International Limited) और 2. सैफायर फूड्स इंडिया लिमिटेड (Sapphire Foods India Limited). इनमें से देवयानी इंटरनेशनल ने ही सबसे पहले भारत में KFC की शुरुआत की थी.
भारत में KFC के कितने आउटलेट?
आज KFC भारत में बड़ी सफलता हासिल कर चुका है. ScrapeHero पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, 22 जनवरी 2025 तक भारत में इसके कुल 1,043 आउटलेट्स हैं, जो बड़े से लेकर छोटे शहरों तक फैले हुए हैं. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में भी इसके कई आउटलेट्स हैं. गुरुग्राम के साइबर हब में स्थित KFC, इस ब्रांड का भारत में 1000वां आउटलेट था. अगर केवल दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो EazyDiner पर 26 आउटलेट लिस्टेड हैं. यह एकदम सटीक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन असल में संख्या इसके आपसास ही होगी, क्योंकि ज्यादातर आउटलेट्स को फूड ऐप्स पर लिस्ट किया जाता है.
कौन है केएफसी का मालिक? कितनी नेटवर्थ?
कर्नल हारलैंड सैंडर्स ने इसकी स्थापना जरूर की थी, मगर आज KFC का मालिक कोई एक व्यक्ति नहीं है. यह एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी है. इसका स्वामित्व Yum! Brands के पास है. यही कंपनी पिज़्ज़ा हट और टैको बेल जैसे बड़े ब्रांड्स की भी मालिक है. आज की तारीख में Yum! Brands की कुल मार्केट वैल्यू 3.54 ट्रिलियन रुपये है. 1 ट्रिलियन एक खरब के बराबर है.
दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों में केएफसी के आउटलेट मौजूद हैं. इसके कुल करीब 30,000 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स हैं. अकेले चीन में ही 10,000 से अधिक आउटलेट हैं. भारत इसके सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से हैं.
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